Sachin Pilot Protest: सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन पर बैठे
कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट आज अपनी ही सरकार के खिलाफ एक दिन के अनशन पर बैठ गए हैं।
![]() पायलट का अपनी सरकार के खिलाफ अनशन शुरू |
पायलट अपने समर्थकों के साथ जयपुर के शहीद स्मारक में अनशन कर रहें हैं। इससे पहले सचिन पायलट ने महात्मा ज्योतिबा फूले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
#WATCH जयपुर: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के ख़िलाफ कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपना एक दिन का अनशन शुरू किया। वीडियो अनशन स्थल से है। pic.twitter.com/RnuFnP3wI3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 11, 2023
धरना स्थल पर बड़ी संख्या में पायलट समर्थक मौजूद हैं हालांकि पार्टी का कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया।
इस अनशन के लिए शहीद स्मारक के पास एक तंबू लगाया गया। वहां बनाए गए छोटे मंच पर केवल पायलट बैठे। उनके समर्थक व अन्य कार्यकर्ता आसपास नीचे बैठे। मंच के पास महात्मा गांधी व ज्योतिबा फुले की तस्वीरें रखी गईं। मंच के पीछे केवल महात्मा गांधी की फोटो के साथ 'वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध अनशन' लिखा गया।
पायलट की मांग यह है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार में हुए भ्रष्टाचार के ख़िलाफ कार्रवाई हो। जिसे गहलोत सरकार नजरअंदाज कर रही है।
बता दें कि इससे पहले पायलट ने रविवार को अपनी ही सरकार के खिलाफ जयपुर में शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन पर बैठने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि विपक्ष में रहते हुए हमने वादा किया था कि 45,000 करोड़ रुपये के खदान घोटाले की जांच कराई जाएगी, जबकि ऐसा नहीं हुआ।
वहीं कांग्रेस पार्टी ने पायलट के इस कदम को 'पार्टी विरोधी' करार दिया है। पार्टी के स्थानीय मीडिया ग्रुप में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा का एक बयान सोमवार देर रात जारी किया गया जिसके अनुसार ‘‘पायलट का अनशन पार्टी के हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है।’’
वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘राजस्थान कांग्रेस में घमासान सड़कों पर आया। गहलोत सरकार में महिलाओं पर अत्याचार, दलित शोषण, खान घोटालों और पेपर लीक घोटाले में कांग्रेस जन मौन क्यों हैं? पुजारी और संतों की मौत का जिम्मेदार कौन, तुष्टिकरण के मामलों से बहुसंख्यकों की विरोधी सरकार की दुर्गति निश्चित है।’’
उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान है। और तब से ही पायलट और गहलोत का आपसी झगड़ा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। वह पिछले पौने तीन साल से बयानबाजी करके सरकार के मुखिया पर बार-बार तंज कस रहें है।
हालांकि गहलोत ने भी पायलट को कभी नकारा, निकम्मा और यहां तक कि गद्दार तक भी बोला है। लेकिन पायलट ने इन सब का जवाब संयम बरतते हुए मर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करते हुए दिया है।
इस साल के अंत में राज्य में होने वाले चुनावों को देखते हुए यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। साथ ही यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पायलट के बीच पहले से खटास भरे संबंधों के और बिगड़ने को भी दर्शाता है।
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