Rajasthan Year 2022: राजस्थान के राजनीतिक पटल पर कई अमिट निशान छोड़ गया साल 2022
सत्तारूढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच 'खींचतान' और बयानबाजी तथा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के 'सफल' राजस्थान चरण के बीच बीता साल राज्य के राजनीतिक पटल पर अनेक अमिट निशान छोड़ गया।
![]() सत्तारूढ़ कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (फाइल फोटो) |
सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए तथा एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव में अपना दम दिखाया। वहीं कोटा में छात्र आत्महत्याएं, जोधपुर जिले में रसोई गैस सिलेंडर फटने से 35 लोगों की मौत, सांप्रदायिक तनाव की छिटपुट घटनाएं, उदयपुर में कथित तौर पर मोहम्मद का अपमान करने के लिए एक दर्जी की हत्या, जैसे घटनाक्रम भी इस साल में दर्ज हुए।
राजनीतिक पटल की बात की जाए तो राजस्थान के लिए यह बीतता साल काफी 'घटना प्रधान' रहा। तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 2020 में कुछ विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी।
साल 2022 में गहलोत गुट की बारी थी जब उसने पार्टी आलाकमान के सामने अपना 'शक्ति प्रदर्शन' किया। कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मई में उदयपुर में पार्टी के 'चिंतन शिविर' में विचार-मंथन सत्र के बाद भारत जोड़ो यात्रा की घोषणा की।
हालांकि राज्य में पार्टी की 'गुटबाजी' की जगह पार्टी आलाकमान के लिए चिंता व परेशानी का सबब बनती नजर आई। पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव लिए गहलोत का नाम गांधी परिवार द्वारा समर्थित उम्मीदवार के रूप में सामने आने पर अचानक एक नया संकट खड़ा हो गया।
उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले राज्य के मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के तौर पर देखा गया क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था।
हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।
इसके बाद कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी ‘‘घोर अनुशासनहीनता’’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया।
पायलट व पार्टी के तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन द्वारा अनुशासनहीनता के मुद्दे को उठाए जाने के बावजूद इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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