खुले आसमान के नीचे चल रहा सरकारी स्कूल
राज्य सरकार कितना ही सरकारी स्कलों में बेहतर शिक्षा व संसाधन,भवन उपलब्ध कराने का कितना ही दावा करे लेकिन हकीकत अलग ही है।
![]() खुले आसमान के नीचे चल रहा सरकारी स्कूल |
पिछले सात साल से भोपा बस्ती में राजकीय प्राथमिक विद्यालय बबूल के खुले आसमान के नीचे ही संचालित है, लेकिन न तो शिक्षा विभाग ने और न ही सरकार ने सुध ली।
वर्ष 2013 में भोपा बस्ती राजकीय प्राथमिक विद्यालय खोला गया था, तब से बबूल के पेड़ के नीचे शिक्षक बच्चों को पढ़ाई कराते हैं। इतना ही नही सर्दी हो या गर्मी बच्चों के साथ ही टीचरों की भी मेहनत का ही परिणाम है कि बच्चे प्रति वर्ष आगे की पढ़ाई के लिए इस विद्यालय से अन्य स्कूलों में जाते हैं। इस विद्यालय की शुरुआत से पूर्व भोपा बस्ती के बच्चों की शिक्षा की दृष्टि से इक्के -दुक्के ही थे जो पढ़ाई करते थे लेकिन भोपा बस्ती में स्कूल खुलने के बाद पढ़ाई के प्रति बच्चों की रुचि बढ़ी। विद्यालय का भवन न होने के बावजूद नियमित रूप स्कूल का एक बबूल के पेड़ के नीचे संचालित हो रहा है। शिक्षिका मधु शर्मा व मजूनिस्सा की मेहनत का ही परिणाम है कि बच्चे भी नियमित पढ़ाई के लिए स्कूल पहुंचते है। बरसात हो या आंधी तूफान टीचर व स्टूडेंट नियमित स्कूल आते हैं। ऐसी परिस्थिति में टीचर समीप ही किसी भी भोपा परिवार के मकान में क्लास लगा कर बच्चों को पढ़ाती हैं।
सात साल से संचालित भोपा बस्ती के राजकीय प्राथमिक स्कूल को न तो स्कूल भवन के लिए जमीन मिली न ही कोई भवन उपलब्ध कराया गया। हाल ही में शिक्षिकाओं ने जिला कलक्टर को भोपा बस्ती में ‘नो मास्क नो एंट्री’ अभियान के तहत भोपा बस्ती में बबूल के पेड़ के नीचे पढाई की आपबीती सुनाई तो जिला कलक्टर गौरव अग्रवाल भी दंग रह गए। उन्होंने इस मामले में जल्दी ही जमीन आवंटन किये जाने का आश्वासन दिया।
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