कोटा अस्पताल: खिड़कियों पर साड़ियां बांधकर नवजातों को बचाती रहीं मां

Last Updated 03 Jan 2020 10:16:54 AM IST

कोटा के जेके लॉन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय में 100 से अधिक बच्चों की मौत की वजह कदम-कदम पर लापरवाही है।


इस चिकित्सालय में बच्चे भगवान भरोसे रहे हैं क्योंकि जीवनरक्षक उपकरण या तो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थे या फिर वह चालू नहीं थे। खिड़कियों में दरवाजे तक नहीं थे, इसलिए माताओं ने नवजात को बचाने के लिए साड़ियों को खिड़कियों पर बांध रखा था।

बड़ी तादाद में बच्चों की मौत ने राज्य की अशोक गहलोत सरकार की पोल इस मामले में भी खोली है कि राज्य में बच्चे कुपोषित हैं और उनकी माताओं में खून की कमी (एनीमिक) है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की टीम ने इस चिकित्सालय का दौरा करने के बाद जो प्रारंभिक रिपोर्ट दी है उसमें गंभीर लापरवाही सहित ऐसी ही कई बातों का उल्लेख किया गया है।

आयोग ने शुक्रवार को कोटा सीएमओ बीएस तंवर को सम्मन जारी करके दिल्ली तलब किया है। उन्हें हाजिर नहीं होने पर कार्रवाई के लिए भी चेताया गया है। सीएमओ से आयोग बेहद नाराज है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जब 77 बच्चों की मौत के बाद 29 दिसम्बर को चिकित्सालय में बैठक बुलाई थी तो सीएमओ उसमें गैर हाजिर रहे थे।

आयोग ने सीएमओ से कोटा जिले में एनीमिक महिलाओं और कम वजन वाले बच्चों की संख्या के साथ-साथ यह भी पूछा है कि बच्चों की मौत के लिए किसकी जवाबदेही तय की गई है? उनसे यह भी बताने को कहा गया है कि भविष्य में लापरवाही से बच्चों की मौत न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं? पूछने पर आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने कहा कि चिकित्सा सचिव के दौरे के बाद भी चिकित्सालय की खिड़कियों पर दरवाजे के बजाय महिलाओं ने बच्चों को बचाने के लिए साड़ियां बांध रखी थीं। उन्होंने दावा किया कि चिकित्सा सचिव ने उनसे पहले दौरा किया था लेकिन उन्होंने नवजात के लिए जरूरी वेंटिलेटर, वार्मर, इंक्युवेटर, नेबोलाइजर जैसे जीवन रक्षक उपकरणों की कमी और खराब होने की तरफ ध्यान नहीं दिया। 

अजय तिवारी/एसएनबी
नई दिल्ली


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