Maharashtra: मुंबई में आंदोलन से पहले मनोज जरांगे बोले- फडणवीस के लिए मराठों को आरक्षण देकर समुदाय का दिल जीतने का सही समय

Last Updated 28 Aug 2025 01:25:59 PM IST

मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने गुरूवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग को मानकर उसका दिल जीतने का यह 'सही मौका' है।


 मराठा आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को मुंबई में शुरू होने वाले आंदोलन से पहले पुणे पहुंचने पर जरांगे ने यह टिप्पणी की। उन्होंने यह दावा भी किया कि मुंबई में सिर्फ एक दिन के लिए विरोध प्रदर्शन की अनुमति देकर सरकार उनका और मराठा समुदाय का "अपमान" कर रही है।

जरांगे (43) बुधवार को जालना जिले में अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी से मुंबई के लिए रवाना हुए थे।

वह गुरूवार की सुबह सैकड़ों समर्थकों के साथ पुणे जिले के जुन्नार तहसील में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली शिवनेरी किले पर पहुंचे।

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की मांग कर रहे जारांगे ने बृहस्पतिवार शाम तक मुंबई पहुंचने और आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने का संकल्प व्यक्त किया।

जारांगे ने शिवनेरी में पत्रकारों से कहा, “मैं एक बार फिर मुख्यमंत्री फडणवीस साहब से अपनी अपील दोहराना चाहूंगा कि मराठा समुदाय की मांगों को लागू करके उसका दिल जीतने का यह सही मौका है।”उन्होंने कहा, “अगर आप मांगें पूरी कर देंगे तो मराठा समुदाय के लोग आपको आखिरी सांस तक नहीं भूलेंगे। अभी समय नहीं बीता है। आप हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम आपसे आग्रह करते हैं कि मराठा समुदाय के प्रति अपना अड़ियल रुख छोड़ दें।”

मुंबई में, आजाद मैदान थाने के एक वरिष्ठ निरीक्षक ने एक आवेदन के जवाब में कार्यकर्ता को पत्र लिखा है, जिसमें उन्हें 29 अगस्त को सुबह नौ बजे से शाम छह बजे के बीच आज़ाद मैदान में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति दी गई है। पत्र में कहा गया है कि शाम छह बजे सभी प्रदर्शनकारियों को स्थल छोड़ना होगा।

पत्र के अनुसार प्रदर्शनकारियों की संख्या 5,000 से अधिक नहीं होनी चाहिए।

कार्यकर्ता ने फडणवीस से मराठा समुदाय के लोगों को आजाद मैदान जाने से न रोकने का आग्रह किया और कहा कि अगर मुख्यमंत्री एक दिन के लिए अनुमति दे सकते हैं, तो लंबी अवधि के लिए (आंदोलन के लिए) भी मंजूरी भी दे सकते हैं।उन्होंने कहा, "अगर आप विरोध प्रदर्शन के लिए एक दिन की अनुमति दे रहे हैं, तो आरक्षण की मांग एक दिन में पूरी कर दीजिए। विरोध प्रदर्शन के लिए सिर्फ एक दिन काफी नहीं है। हम सरकार से (विरोध प्रदर्शन के लिए रखी गई) सभी शर्तें वापस लेने का आग्रह करते हैं।”

जरांगे ने दावा किया कि सिर्फ एक दिन के विरोध प्रदर्शन की अनुमति देकर सरकार उनका और मराठा समुदाय का "अपमान" कर रही है।उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री से मेरा अनुरोध है कि वे एक दिन के विरोध प्रदर्शन या 5,000 प्रदर्शनकारियों के लिए कोई शर्त न लगाएं। अब, अगर वे मुझ पर गोलियां भी चलाएँ, तो भी मैं पीछे नहीं हटूंगा।”

जरांगे ने अपने समर्थकों से विरोध प्रदर्शन के दौरान धैर्य बनाए रखने और उकसावे में न आने की भी अपील की।

इस दावे के बारे में पूछे जाने पर कि एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल शिवनेरी किले में उनसे मिलने आ सकता है, जरांगे ने कहा कि राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मंगलवार को उनके सहयोगियों को फोन किया था और उन्हें बताया था कि एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने शिवनेरी आएगा।

हालांकि, मराठा आरक्षण से संबंधित कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख विखे पाटिल ने बुधवार को कहा कि राज्य स्तर पर जरांगे के साथ बातचीत करने का कोई फैसला नहीं लिया गया है।

जरांगे ने कहा कि वह मुंबई की यात्रा जारी रखने से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मस्थली पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

जरांगे बुधवार को अपने समर्थकों के साथ भूख हड़ताल शुरू करने के लिए मुंबई से 400 किलोमीटर दूर जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव से रवाना हुए थे।कार्यकर्ता ने आश्वासन दिया है कि उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करेंगे और गणेश उत्सव में बाधा नहीं डालेंगे।

जरांगे की मांग है कि सभी मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए। कुनबी कृषि प्रधान समुदाय है, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल है। ओबीसी श्रेणी में शामिल होने से मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिलेगा।

जालना पुलिस ने जरांगे और उनके समर्थकों पर 40 शर्तें लगाने के बाद उन्हें मार्च जारी रखने की अनुमति दी। पुलिस ने उन्हें कानून-व्यवस्था में व्यवधान से बचने, वाहनों की आवाजाही में बाधा न डालने और "आपत्तिजनक" नारे लगाने से बचने का निर्देश दिया है। 

 

भाषा
मुंबई


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