सरकार युवाओं को कट्टरपंथी बनाने वाले पूरे तंत्र को नष्ट करने के लिए प्रतिबद्ध: मनोज सिन्हा

Last Updated 20 Jul 2025 07:55:35 PM IST

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। सिन्हा ने साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले तंत्र को नष्ट करने के अपने संकल्प को भी रेखांकित किया।


जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘हमें एकजुट होकर आतंकवाद, उसके तंत्र और मादक पदार्थों की लत के खिलाफ लड़ाई छेड़नी होगी। यह मेरा दृढ़ संकल्प है कि मैं आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पूरे तंत्र का समूल नाश करूंगा और उस पूरे नेटवर्क को नष्ट करूंगा जो युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, हथियारों की आपूर्ति करने, धन मुहैया कराने और आतंकवादियों की किसी भी तरह से मदद करने के लिए जिम्मेदार है।’’

वह जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा आयोजित साइकिल रेस 'पैडल थ्रू पैराडाइज' को हरी झंडी दिखाने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 'पैडल थ्रू पैराडाइज़' केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं है बल्कि यह नये जम्मू कश्मीर का प्रतीक है।

उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा, ‘‘यह युवाओं को एक सशक्त संदेश देता है कि वे हिंसा और नशे की लत छोड़कर प्रगति के मार्ग को चुनें। मैं उनसे अपील करता हूं कि वे आतंकवाद-मुक्त, नशा-मुक्त और फिट जम्मू कश्मीर के निर्माण में योगदान दें।’’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पुलिस निःस्वार्थ सेवा, कर्तव्य और बलिदान का प्रतीक है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी विरासत उसके वीर जवानों के खून से लिखी गई है, जिनके सर्वोच्च बलिदान ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया, शांति स्थापित की, नयी आशा जगायी और जम्मू कश्मीर को शांति व समृद्धि के युग की ओर अग्रसर किया है।’’

सिन्हा ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में जम्मू कश्मीर पुलिस ने शांति स्थापित करने, राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने और जनता के लिए नये सपने गढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम शांति को खरीदने में विश्वास नहीं रखते, बल्कि शांति को स्थापित करने में विश्वास रखते हैं।’’ उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में यह संकल्प लिया गया है कि निर्दोषों को छुआ नहीं जाएगा, लेकिन दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

उपराज्यपाल ने कहा कि आतंकवादियों के समर्थन तंत्र- चाहे वह वित्तीय हो या साजोसामान- को नष्ट करने में पुलिस की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा, ‘‘सिर्फ आतंकवादी को ही नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र को खत्म करना जरूरी है जो आतंक को बढ़ावा देता है।’’

जम्मू कश्मीर में बीते कुछ वर्षों में आये बदलाव का उल्लेख करते हुए, उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि 'नया जम्मू कश्मीर' केवल एक नारा नहीं है, जैसा कि कुछ लोग कहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि पांच-छह साल पहले की तस्वीर को देखें, तो उन्हें पुराने और नये जम्मू कश्मीर के बीच का फर्क साफ समझ में आएगा। नये जम्मू कश्मीर में युवाओं के हाथों में पत्थरों की जगह कलम है। स्कूल और कॉलेज अब पूरे साल खुले रहते हैं। नये जम्मू कश्मीर में हड़ताल और बंद की जगह अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजनों ने ले ली है।’’

सिन्हा ने कहा, ‘‘नये जम्मू कश्मीर में हमारे युवा नवाचार और अनुसंधान में नयी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। वे स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और अपने व्यवसाय शुरू कर रहे हैं। नये जम्मू कश्मीर में अब अलगाववाद के नारे नहीं लगते, बल्कि वहां कारखानों की आवाज और जीवन की नयी ऊर्जा सुनाई देती है।’’

उन्होंने कहा कि अब लोग बिना किसी डर या दबाव के अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली और मुंबई की तरह यहां भी ‘नाइट लाइफ’ है और परिवार देर रात तक लाल चौक और झेलम रिवर फ्रंट जैसी जगहों पर समय बिता रहे हैं। नये जम्मू कश्मीर में अब नागरिकों को सिनेमा देखने के लिए जम्मू, चंडीगढ़ या दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है। ये छोटे बदलाव नहीं हैं-यह जम्मू कश्मीर के लिए एक नये युग की शुरुआत है।’’

पिछले दशकों में कश्मीर में हुई हिंसा की ओर इशारा करते हुए उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकियों ने जम्मू कश्मीर के निर्दोष नागरिकों का खून बहाया है और कई परिवारों ने अपने प्रियजनों को आतंकवाद के कारण खोया है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ घरों में केवल बुजुर्ग माता-पिता ही बचे हैं क्योंकि उनके बेटे बेरहमी से मार दिए गए। हजारों लोगों की हत्या पाकिस्तान के इशारे पर की गई और ज्यादातर मामलों में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई।’’

सिन्हा ने कहा कि हजारों लोग आतंक के माहौल के डर से चुप रहे। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उस स्थिति को बदलने की प्रक्रिया शुरू की है। नागरिक और पुलिस प्रशासन ने उन परिवारों को न्याय दिलाने की एक पहल शुरू की है। 13 जुलाई को, बारामूला में आतंक पीड़ित 40 परिवारों को सरकारी नौकरी के नियुक्ति पत्र दिए गए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह जम्मू कश्मीर का दुर्भाग्य था कि नौकरियां आतंकियों या उनके सहयोगियों को दी जाती थीं, जबकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के शिकार युवाओं और परिवारों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। लेकिन अब उनका सशक्तीकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। न्याय पहुंचाने की यह प्रक्रिया आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी।’’ 

भाषा
श्रीनगर


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