Himachal Political crisis : दबाव की रणनीति सरकार को नहीं बचा पाएगी, बोले हिमाचल के निर्दलीय विधायक

Last Updated 03 Mar 2024 12:29:16 PM IST

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में हाल के हुए राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ मतदान करने वाले दो निर्दलीय विधायकों ने कहा है कि निर्दलीय विधायकों एवं उनके परिवारों के व्यवसायों को निशाना बनाकर दबाव बनाने की रणनीति एक व्यर्थ कोशिश है और इससे सरकार नहीं बच पाएगी।


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू

नालागढ़ से निर्दलीय विधायक के.एल. ठाकुर ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुख्यमंत्री इस स्तर तक गिर गए हैं और हिमाचल प्रदेश में इस तरह की राजनीति कभी नहीं देखी गई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाजपा का पूर्व विधायक रहा हूं और वर्षों से पार्टी से जुड़ा हूं। मैंने अपनी विचारधारा के अनुरूप वोट किया।’’

निर्दलीय विधायक - के एल ठाकुर (नालागढ़), होशियार सिंह (देहरा) और आशीष शर्मा (हमीरपुर) उन नौ विधायकों में शामिल हैं, जिन्होंने राज्य में राज्यसभा की एक सीट पर 27 फरवरी को हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार हर्ष महाजन के पक्ष में मतदान किया था।

भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को हराया। मुकाबला 34-34 मतों से बराबरी पर रहा था लेकिन उसके बाद महाजन को ‘ड्रॉ’ के जरिए विजेता घोषित कर दिया गया।

यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है जिसके पास 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 विधायक थे। राज्य में भाजपा के 25 विधायक हैं और तीन विधायक निर्दलीय हैं।

राज्य में निर्दलीय विधायकों ने आरोप लगाया है कि उनकी व्यावसायिक फर्म पर छापे मारे गए और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उनके पुतले फूंके।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि कांग्रेस के बागी विधायक रवि ठाकुर द्वारा अपनी पार्टी के खिलाफ ‘क्रॉस वोटिंग’ करने के बाद उनके घर की ओर जाने वाली सड़क को बंद कर दिया गया था।

नालागढ़ से विधायक ने कहा कि निर्दलीय विधायकों और उनके परिवारों के कारोबारों को निशाना बनाकर दबाव डालने की रणनीति व्यर्थ है और इससे सरकार नहीं बचेगी।

देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने कहा विधायकों के पुतले फूंककर और उनकी व्यावसायिक कंपनियों पर छापेमारी कर गलत मिसाल कायम की जा रही है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसा प्रतिशोधपूर्ण रवैया नहीं अपनाना चाहिए और ‘‘बदले की भावना के तहत कार्रवाई करने से बचना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मतदान करना हमारा अधिकार है और हमने राज्य के हित में मतदान किया है।’’

सिंह ने कांग्रेस सरकार के कदमों की निंदा की।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले एक साल में मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी काम नहीं हुआ और पिछले आठ महीने से मैंने अर्द्धशासकीय (डीओ) नोट देना बंद कर दिया है।’’

बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सदन में कुल विधायकों की संख्या 68 से घटकर 62 रह गई है। वहीं कांग्रेस विधायकों की संख्या 40 से घटकर 34 हो गई है।

भाषा
शिमला


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