कावेरी जल विवाद: प्राधिकरण ने SC को बताया, कर्नाटक ने अपना दायित्व पूरा किया

Last Updated 02 Sep 2023 12:36:55 PM IST

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि कर्नाटक ने 12 अगस्त से 26 अगस्त के बीच कुल 1,49,898 क्यूसेक पानी छोड़ कर उसके निर्देशों को पूरा किया है।


कर्नाटक ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत के समक्ष कहा था कि उसने प्राधिकरण द्वारा पारित निर्देशों के अनुसार पहले ही पानी छोड़ दिया है और तमिलनाडु तक पानी पहुंचने में तीन दिन का समय लगता है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई, पी.एस. नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसके पास इस मामले में कोई विशेषज्ञता नहीं है और तमिलनाडु की याचिका पर सीडब्ल्यूएमए से रिपोर्ट मांगी।

पीठ ने आदेश दिया था, "हम पाते हैं कि यह उचित होगा कि सीडब्ल्यूएमए अपनी रिपोर्ट सौंपे कि पानी के निर्वहन के लिए उसके द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन किया गया है या नहीं।"

सीडब्ल्यूएमए ने एक हलफनामे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट को बताया कि "कर्नाटक राज्य ने 12 अगस्‍त 2023 से 26 अगस्‍त 2023 तक बिलीगुंडुलु में कुल 1,49,898 क्यूसेक पानी छोड़कर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों को पूरा किया है।"

इसने यह भी कहा कि 29 अगस्त को हुई 23वीं बैठक में कर्नाटक को 29 अगस्त से अगले 15 दिनों के लिए बिलीगुंडुलु में 5,000 क्यूसेक की दर से प्रवाह की प्राप्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

इस बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने गुरुवार को कहा कि सीडब्ल्यूएमए के आदेश के अनुसार कर्नाटक के लिए प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।

इस मामले में पहले दायर अपने हलफनामे में, कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कावेरी नदी से पानी छोड़ने की मांग करने वाला तमिलनाडु का आवेदन पूरी तरह से गलत है क्योंकि यह एक गलत धारणा पर आधारित है कि यह जल वर्ष एक सामान्य जल वर्ष है, न कि संकटग्रस्त जल वर्ष।

राज्य के जल संसाधन विभाग द्वारा दायर लिखित उत्तर में कहा गया है कि कर्नाटक सामान्य वर्ष के लिए निर्धारित पानी सुनिश्चित करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून की विफलता के कारण कावेरी बेसिन में संकट की स्थिति पैदा हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 6 सितंबर को अगली सुनवाई कर सकता है।

कावेरी नदी जल विवाद देश में ब्रिटिश शासन के दिनों से ही कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच गले की हड्डी बना हुआ है।
 

आईएएनएस
नई दिल्ली


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