Manipur Violence : मिजोरम में 'एकजुटता मार्च' के लिए हजारों लोगों ने हिस्सा लिया

Last Updated 25 Jul 2023 06:47:01 PM IST

मणिपुर में हिंसा प्रभावित कुकी-ज़ो आदिवासियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए मंगलवार को मिजोरम की राजधानी में एनजीओ समन्वय समिति द्वारा आयोजित 'एकजुटता मार्च' में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होंने केंद्र और मणिपुर सरकार से जल्द से जल्द शांति तथा सामान्य स्थिति बहाल करने की मांग की।


Manipur Violence : मिजोरम में 'एकजुटता मार्च'

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा, डिप्टी सीएम तावंलुइया, कई मंत्रियों और राज्य के कई विधायकों ने विशाल मार्च में हिस्सा लिया। आइजोल और कई अन्य जिलों में एक साथ आयोजित 'एकजुटता मार्च' ने आदिवासियों पर 'क्रूर हमलों' तथा आदिवासी महिलाओं पर अत्याचारी यौन हमलों के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार की कड़ी निंदा की।

मार्च में शामिल लोगों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी के लिए आलोचना की। इसके आलावा स्थिति से निपटने में पूरी तरह से विफल रहने के लिए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की भी आलोचना की।

तख्तियों और बैनर में संदेश लिखे थे- मणिपुर में आदिवासियों की पीड़ा हमारी पीड़ा है, मिजोरम कुकी-ज़ो आदिवासियों के साथ खड़ा है, हमें बर्बर युग में वापस नहीं जाना चाहिए, महिलाओं के शरीर युद्ध के मैदान नहीं हैं, मणिपुर के बलात्कारियों को मौत की सजा हो, मणिपुर में ईसाइयों को मारना बंद करो।

मीडिया को जानकारी देते हुए यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) के सहायक महासचिव माल्सावमलियाना ने कहा कि 84 दिनों से अधिक समय तक चली जातीय हिंसा के दौरान, जिस तरह से मणिपुर में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया, वह गंभीर है और भारत में कभी नहीं देखा गया। कई सिंगरों ने विभिन्न एकजुटता गीत गाए जबकि स्वयंसेवकों ने प्रभावित लोगों के लिए दान एकत्र किया।

'एकजुटता मार्च' में भाग लेने वालों ने राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ संगठनात्मक झंडे भी प्रदर्शित किए। एकजुटता मार्च के बाद एनसीसी ने एक बयान जारी कर कहा कि साथी मनुष्यों के प्रति दिखाए गए अनादर ने भारतीय लोकतंत्र के चेहरे पर कालिख पोत दी है।

बयान में कहा कि अब तक, 359 चर्च और क्वार्टर नष्ट हो गए हैं, 197 गांव जला दिए गए हैं, 7,247 घर आग से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 41,425 लोग मणिपुर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं। मणिपुर में पढ़ने वाले कई छात्र इस जातीय संघर्ष के कारण अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पा रहे हैं। इसका छात्रों के जीवन और यहां तक कि पूरे देश पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

एकजुटता रैलियों के समर्थन में सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट, विपक्षी भाजपा, कांग्रेस और ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के कार्यालय भी बंद कर दिए गए। रैली में एनजीओ समन्वय समिति के अध्यक्ष आर लालनघेटा ने केंद्र से मणिपुर में हिंसा खत्म करने का आग्रह किया।

एकजुटता मार्च के मद्देनजर पूरे मिजोरम में सुरक्षा कड़ी कर दी गई। मिजोरम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनिल शुक्ला के नेतृत्व में बैठकों के बाद, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सभी 11 जिलों में, विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस की भारी तैनाती, गश्त और स्थिति पर कड़ी निगरानी सुनिश्चित की गई।

आईएएनएस
आइजोल/इंफाल


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