बिल्कीस बानो के बलात्कारियों का स्वागत करना समाज के मुंह पर तमाचा है: टीआरएस नेता कविता

Last Updated 18 Aug 2022 04:51:07 PM IST

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के. कविता ने 2002 गुजरात दंगों में बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कार एवं उनके परिजन की हत्या से संबंधित मामले के 11 दोषियों का ‘‘स्वागत किए जाने’’ का जिक्र करते हुए कहा कि जेल से छूटकर आए बलात्कारियों और हत्यारों का एक विशेष विचारधारा के लोगों द्वारा स्वागत किया जाना एक सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा है।


टीआरएस नेता के. कविता (फाइल फोटो)

तेलंगाना विधान परिषद की सदस्य कविता ने ट्वीट किया कि इस अत्यंत खतरनाक परंपरा को शुरुआत में ही रोक देना जरूरी है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एक स्त्री होने के नाते मैं बिल्कीस बानो के दर्द और भय को महसूस कर सकती हूं। जेल से छूटकर आने पर बलात्कारियों एवं हत्यारों का जिस तरह से सम्मान किया गया, वह सभ्य समाज के मुंह पर एक तमाचा है। विरासत का रूप लेने से पहले इस बेहद खतरनाक परंपरा को रोकना जरूरी है।’’

गुजरात में गोधरा कांड के बाद 2002 में दंगों के दौरान बिल्कीस बानो से सामूहिक बलात्कार किए जाने के मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को सोमवार को गोधरा उप-कारागार से रिहा कर दिया गया। गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इनकी रिहाई की मंजूरी दी।

मुंबई में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को 21 जनवरी, 2008 को सामूहिक बलात्कार और बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखा था।

तीन मार्च, 2002 को गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिल्कीस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिल्कीस उस समय पांच महीने की गर्भवती थीं। उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई।

ऐसा बताया जा रहा है इस मामले में रिहा किए गए कैदियों के संबंधियों एवं एक संगठन के सदस्यों ने मिठाइयां बांटकर और हार पहनाकर उनका स्वागत किया।

कविता ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बलात्कार एवं हत्या जैसे जघन्य अपराधों में शामिल दोषियों को रिहा करने का फैसला इस पवित्र दिन को कलंकित करता है।

कविता ने ट्वीट किया, ‘‘बलात्कार और हत्या के घृणित अपराधियों को आजादी के अमृत महोत्सव पर छोड़ना इस पवित्र दिन को कलंकित करने वाला फैसला है।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिशानिर्देश भेजे हैं, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बलात्कारियों और उम्रकैद की सजा वाले कैदियों को माफ नहीं किया जाना चाहिए, इसके बावजूद इन कैदियों को रिहा किया गया।

कविता ने ट्वीट किया, ‘‘पांच माह की गर्भवती बिल्कीस बानो के बलात्कारियों और उसकी तीन साल की बच्ची के हत्यारों की सजा माफ कर गुजरात की भाजपा सरकार ने बर्बर सोच को बढ़ावा दिया है। यह केवल कानून एवं न्याय की भावना के ही नहीं, बल्कि मानवता के भी विरुद्ध है।’’

उन्होंने उच्चतम न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए एक अन्य ट्वीट किया, ‘‘कोई और निर्भया कांड न हो, कोई बिल्कीस दर्द के इस चरम से न गुजरे और कानून पर सबका भरोसा बनाए रहे, इसके लिए जरूरी है कि यह शर्मनाक फैसला वापस लिया जाए। मैं उच्चतम न्यायालय से भी इस मामले का स्वतः सज्ञान लेकर हस्तक्षेप करने की मांग करती हूं।’’

भाषा
हैदराबाद


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