ब्लूस्टार बरसी : बाजार बंद रहे, स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान के नारे लगे
ऑपरेशन ब्लूस्टार की 35वीं बरसी पर स्वर्ण मंदिर परिसर में सिख कट्टरपंथियों ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।
स्वर्ण मंदिर में बृहस्पतिवार को सिख कट्टरपंथियों ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए। |
स्वर्ण मंदिर के आसपास के बाजार कई घंटों तक बंद रहे। बहरहाल, दोपहर बाद मुख्य बाजारों और स्वर्ण मंदिर परिसर के आसपास दुकानें खुलने लगीं।
ऑपरेशन ब्लूस्टार स्वर्ण मंदिर परिसर को भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों से मुक्त कराने के लिए 1984 में चलाया गया एक सैन्य अभियान था। इसकी बरसी पर कट्टरपंथी सिख संगठन दल खालसा के आह्वान पर शहर में आंशिक रूप से बंद रखा गया।
अकाल तख्त ने सैन्य अभियान में मारे गए लोगों की याद में प्रार्थना आयोजित की और अंत में कुछ लोगों ने नारे लगाए। इस मौके पर कुछ लोग तलवार भी लहराते देखे गए। वे लोग सिख पंथ दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह ¨भडरावाले की तस्वीरों वाले बैनर भी लिये थे। सैन्य अभियान में ¨भडरावाले की भी मौत हुई थी। पूर्व सांसद और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान के साथ अकाल तख्त के एक ‘समानांतर जत्थेदार’ ध्यान सिंह मंड भी अकाल तख्त में मौजूद थे। जब अकाल तख्त मंच से सिख समुदाय को संबोधित करने के लिए जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह खड़े हुए तो मान और सभा में मौजूद कुछ युवाओं ने ‘खालिस्तान समर्थक’ नारे लगाए।
कट्टरपंथी संगठन दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धुमा के साथ जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और एसजीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन परिवारों को सम्मानित किया जिनके परिवार के सदस्य ऑपरेशन के दौरान मारे गए थे।
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘दुनिया भर में सिख समुदाय ऑपरेशन ब्लूस्टार के जख्मों को कभी नहीं भूलेगा।’ जत्थेदार ने केंद्र सरकार से कहा कि वह उन ऐतिहासिक और प्राचीन पुस्तकों को वापस लौटा दे जो पुस्तकालय से ले ली गई थीं। कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के टास्क फोर्स के साथ सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। स्वर्ण मंदिर के परिसर में अकाल तख्त के आसपास भारी बैरिकेडिंग की गई थी। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए तीन हजार से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे।
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