बिल का भुगतान नहीं होने पर रोगियों को रोककर रखना गैरकानूनी: उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि बिलों का भुगतान नहीं होने पर किसी मरीज को अस्पताल में रोककर रखना गैरकानूनी है और सभी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए.
बिल भुगतान न होने पर रोगी को रोकना गैरकानूनी (फाइल फोटो) |
बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि बिलों का भुगतान नहीं होने पर किसी मरीज को अस्पताल में रोककर रखना गैरकानूनी बताया, न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती डोगरा की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग को रोगियों के कानूनी अधिकारों और दोषी अस्पतालों के खिलाफ लागू होने वाले दंडनीय प्रावधानों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा, ''कोई अस्पताल किसी व्यक्ति को केवल इस आधार पर कैसे रोककर रख सकता है कि शुल्क का भुगतान नहीं हुआ, जबकि उसे सेहतमंद घोषित किया गया है. इस तरह का अस्पताल किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी का हरण कर रहा है.''
पीठ ने कहा, ''जनता के प्रत्येक सदस्य को पता होना चाहिए कि अस्पताल की ओर से इस तरह की कार्रवाई गैरकानूनी है.''
अदालत ने अस्पतालों के खिलाफ कोई विशेष नियामक आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह सरकार का काम है.
अदालत ने कहा, ''हम इन मुद्दों पर नियम जारी करके न्यायिक अधिकारों से परे नहीं जा सकते. हालांकि हम स्पष्ट कर दें कि हम इस तरह के मुद्दे को लेकर सहानुभूति रखते हैं.''
उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के रोगियों और उनके परिवारों को संरक्षण प्रदान करने की पण्राली बनानी चाहिए. पीठ ने कहा कि अस्पताल अपने बकाया बिल वसूलने के लिए हमेशा कानूनी तरीके अपना सकते हैं.
उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें दो मामलों का जिव किया गया जिनमें निजी अस्पतालों में रोगियों को कथित तौर पर बिलों पर विवाद के चलते रोककर रखा गया.
| Tweet |