भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पहले कराए गए जातिगत सर्वेक्षण को रद्द करने और नया सर्वेक्षण कराने के कर्नाटक सरकार के फैसले के बाद कांग्रेस पर अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ हमेशा विश्वासघात करने का सोमवार को आरोप लगाया।

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केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने जवाबदेही तय करने की मांग करते हुए कहा कि अब रद्द कर दिए गए जातिगत सर्वेक्षण को कराने में सरकारी खज़ाने से 165 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
यादव ने दावा किया कि कांग्रेस का ओबीसी समुदाय के हितों के साथ विश्वासघात करने का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकारों ने पिछड़ा वर्गों को सशक्त बनाने संबंधी काका कालेलकर आयोग की रिपोर्ट को नजरअंदाज किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने मंडल आयोग की सिफारिशों का भी विरोध किया था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि नये सिरे से जातिगत सर्वेक्षण कराने का फैसला उनकी सरकार का नहीं है, बल्कि कांग्रेस नेतृत्व का निर्णय है।
यादव ने पत्रकारों के साथ बातचीत में राज्य सरकार के फैसले में पार्टी के इस तरह के हस्तक्षेप पर सवाल उठाया और इसकी तुलना संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान सोनिया गांधी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के हस्तक्षेप से की।
यादव ने कहा कि मोदी सरकार ने अपनी अनेक योजनाओं के जरिए पिछड़े वर्गों के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण के लिए काम किया है। उनके मुताबिक, सरकार ने राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्ज भी दिया है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार का फैसला न सिर्फ पार्टी के विराधाभासों को सामने लाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सामाजिक न्याय पार्टी के लिए महज़ एक दिखावा भर है।
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