SC ने कोलकाता HC के फैसले को पलट कर, क्या दिया संदेश?
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए उसे पलट दिया और पुनः हाई कोर्ट भेज दिया। इस बेंच में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला शामिल थे। मामला केंद्रीय मंत्री के काफिले पर हुए हमले का था।
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केंद्रीय राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक के काफिले पर उस समय हमला हुआ था,जब वह कूच बिहार के दिनहाटा क्षेत्र में अपने कार्यकर्ताओं से मिलने जा रहे थे। यह घटना 25 फरवरी को हुई थी। जबकि स्थानीय पुलिस ने 26 और 27 फ़रवरी को एफआईआर दर्ज की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा नेता और वेस्ट बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के दावों पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। यहां बता दें कि उस समय शुभेंदु अधिकारी ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि एक केंद्रीय मंत्री पर हुए हमले के बाद, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने कोई कदम नहीं उठाया था। यानी सीधे-सीधे उन्होंने राज्य की पुलिस पर शिथिलता बरतने का आरोप लगा दिया था। पुलिस पर राज्य की ममता बनर्जी सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगा दिया था । उन्होंने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हाई कोर्ट ने 28 मार्च को सुनवाई के बाद इस मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दे दिया था। हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद वेस्ट बंगाल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। वहां अर्जी दाखिल की थी। बीते 13 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को हिदायत देते हुए कहा कि उन्हें देखना चाहिए कि पश्चिम बंगाल की पुलिस पूरे मामले की जांच पारदर्शिता के साथ कर रही है कि नहीं। साथ ही साथ कहा कि हाईकोर्ट में सरकार द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड के सभी पहलुओं को कायदे से देखा ही नहीं गया। उन्होंने दिमाग भी नहीं लगाया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की एफिडेविट पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया, जिसमें राज्य सरकार ने बताया था कि उस मामले को लेकर सरकार की तरफ से क्या क्या कदम उठाए गए हैं। जबकि राज्य सरकार ने बताया था कि 30 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है और 21 लोगों की गिरफ्तारियां की गईं थी, इसके बावजूद हाईकोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दे दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले को न सिर्फ पलट दिया बल्कि दोबारा यह कह कर केस वापस कर दिया है कि इसकी सुनवाई फिर से की जाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में निश्चित तौर पर हंगामा मचा होगा। विपक्षी पार्टी भाजपा नए सिरे से सोचने पर मजबूर हो रही होगी। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजनीतिक पार्टियों के लिए एक सबक है। इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कोर्ट को आसानी से गुमराह नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब संभव है कि राजनीतिक पार्टियां किसी मामले को कोर्ट में ले जाने से पहले सौ बार सोचेंगी। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद भाजपा की किरकिरी हुई है?
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