दिल्ली शराब नीति मामले में आज उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से CBI करेगी पूछताछ, केजरीवाल ने किया ट्वीट

Last Updated 26 Feb 2023 09:03:41 AM IST

दिल्ली शराब नीति मामले में आज सुबह 11 बजे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से सीबीआई पूछताछ करेगी।


दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो)

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति घोटाले की सीबीआई जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं। उनके रविवार 11 बजे तक सीबीआई मुख्यालय पहुंचने की संभावना है।

सिसोदिया को पहले 19 फरवरी को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के सामने पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने बजट की चल रही कवायद का हवाला देते हुए अपनी पूछताछ टालने की मांग की थी। सीबीआई ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया और उन्हें 26 फरवरी को जांच में शामिल होने के लिए दूसरा नोटिस जारी किया।

सिसोदिया ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के विकास को रोकने के लिए बीजेपी उन्हें गिरफ्तार करवाना चाहती है।


इससे पहले सीबीआई ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से तिहाड़ जेल में पूछताछ की थी। उनसे विजय नायर और मामले से जुड़ी अन्य बातों के बारे में पूछताछ की गई। नायर आप के संचार प्रभारी हैं और उन्हें दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था।

 


8 फरवरी को, सीबीआई ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी, बीआरएस नेता के.कविता के पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट, हैदराबाद स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट बुचिबाबू गोरंटला को गिरफ्तार किया।

आबकारी नीति मामले में सीबीआई पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। एक सूत्र ने कहा कि एजेंसी पूरक चार्जशीट दायर करने की प्रक्रिया में है, और इसलिए वे मामले को पुख्ता बनाने के लिए और सबूत इकट्ठा करना चाहती हैं।

 

उन्हें पहले 19 फरवरी को बुलाया गया था। लेकिन, सिसोदिया ने दूसरी तारीख मांगी क्योंकि वह दिल्ली का बजट तैयार करने में व्यस्त थे।

सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंकाओं के बीच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने मंत्री के लिए सवालों का एक विस्तृत सेट तैयार किया है।

दिल्ली मंत्रिमंडल में वित्त विभाग संभाल रहे सिसोदिया को पिछले रविवार को तलब किया गया था। लेकिन, उन्होंने चल रही बजट कवायद का हवाला देते हुए अपनी पूछताछ टालने की मांग की थी, जिसके बाद जांच एजेंसी ने उन्हें 26 फरवरी को पेश होने के लिए कहा था।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया शराब नीति मामले में रविवार आज को सीबीआई के सामने पेश होना है। सीबीआई की पूछताछ से पहले मनीष सिसोदिया राजघाट जाएंगे। उधर आम आदमी पार्टी का एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन नज़र आएगा।


मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, "आज फिर सीबीआई दफ्तर जा रहा हूं। सारी जांच में पूरा सहयोग करूंगा। लाखों बच्चो का प्यार और करोड़ों देशवासियो का आशीर्वाद साथ है। कुछ महीने जेल में भी रहना पड़े तो परवाह नहीं. भगत सिंह के अनुयायी हैं, देश के लिए भगत सिंह फांसी पर चढ़ गए थे. ऐसे झूठे आरोपों की वजह से जेल जाना तो छोटी सी चीज़ है।"

 

आप नेता आतिशी ने क्या कहा

आप विधायक आतिशी ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, 'कल मनीष सिसोदिया सीबीआईI जांच के लिए जाएंगे और उनका पूरा सहयोग करेंगे। पिछले आठ से 10 साल में आप नेताओं के खिलाफ लगभग 150 से 200 मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन वे (केंद्र) हमारे नेताओं के खिलाफ एक पैसा का भी भ्रष्टाचार साबित नहीं कर पाए हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आम आदमी पार्टी एक कट्टर ईमानदार पार्टी है।'

सौरभ भारद्वाज ने जताई गिरफ्तारी की आशंका

इसके अलावा सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज ये मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार करने वाले है, उन पर लगाए गए आरोप हास्यादपद हैं। इतने छापे पड़ने के बावजूद उनके घर में कुछ नहीं मिला। मगर फिर भी कहा जा रहा है कि 10 हजार करोड़ रुपये रिश्वत ली है। AAP नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को अरविंद केजरीवाल सरकार से ड़र लगता है। उन्होंने कहा कि अभी तो और सैकड़ों झूठ मुकदमें होने वाले है, हम बीजेपी से आंख में आंख ड़ालकर सवाल पूछते रहेंगे। आने वाले समय में जनता इनको जवाब देगी।

वहीं, सिसोदिया ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां ​​उन्हें गिरफ्तार कर सकती हैं। उन्होंने आरोप लगाया था, 'वे (केंद्र) बदला लेने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि वे मुझे गिरफ्तार करवाकर ऐसा करेंगे।'

दिल्ली आबकारी नीति क्या है और किस मुद्दों पर मचा है इतना बवाल।

दिल्‍ली की आबकारी नीति 2021-22 क्‍या है?

नई आबकारी नीति के जरिए दिल्‍ली सरकार शराब खरीदने का अनुभव बदलना चाहती थी। नई पॉलिसी में होटलों के बार, क्‍लब्‍स और रेस्‍टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई है। वे छत समेत किसी भी जगह शराब परोस सकेंगे। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम क‍िया जा सकता है। इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्‍फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं होगी। इस नीति के लागू होने के बाद दिल्ली के कुल 32 जोन में कुल 850 में से 650 दुकानें खुल गई हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि इससे राज्य का राजस्व बढ़ेगा। दिल्‍ली सरकार की नई आबकारी नीति में अलग-अलग बातों को शामिल किया गया था। इस नीति के तहत दुकान पर यह देखना होगा कि कम उम्र के व्‍यक्ति को शराब न बेची जाएगी। आईडी चेक क‍िया जाएगा। इसके अलावा शराब की दुकान के बाहर स्‍नैक्‍स या खाने-पीने की दुकान नहीं खुल सकेगी ताकि खुले में शराब पीना कम हो। नीति के अनुसार, सरकार किसी भी शराब की दुकान की मालिक नहीं होगी। पॉलिसी में प्राथमिकता कंज्‍यूमर की चॉइस और ब्रैंड्स की उपलब्‍धता पर देनी है; स्‍मगलिंग और बूटलेगिंग रोकना है। नीति में दिल्‍ली में शराब की दुकानें इस तरह हों कि कोई इलाका छूट न जाए और कहीं ज्‍यादा दुकानें न हो जाएं। ई-टेंडरिंग के जरिए हर जोन ऑपरेटर के लिए नया L-7Z लाइसेंस होगा।

केजरीवाल सरकार पर क्‍या आरोप है?
आरोप है कि कैबिनेट को भरोसे में लिए बिना तमाम नियमों और प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर तमाम निर्णय लिए। यहां तक कि कैबिनेट से यह निर्णय भी पास करवा लिया गया कि अगर पॉलिसी को लागू करने के दौरान उसके मूलभूत ढांचे में कुछ बदलाव करने की जरूरत हो तो आबकारी मंत्री ही वो बदलाव कर सकें। हालांकि, तत्कालीन एलजी ने कैबिनेट के इस फैसले पर सवाल उठाए, जिसके बाद 21 मई को हुई कैबिनेट मीटिंग में यह निर्णय वापस ले लिया गया, लेकिन इसके बावजूद एक्साइज विभाग मनमाने तरीके से लिए गए फैसलों को लागू करता रहा। बाद में जब लगा कि जांच में ये गड़बियां सामने आ जाएंगी और चीफ सेक्रेटरी ने भी अपने नोट में इनका जिक्र किया, तो आनन-फानन में इन गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने के लिए 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे कैबिनेट की एक अर्जेंट बैठक बुलाई गई, जिसका नोटिस खुद चीफ सेक्रेटरी को उसी दिन सुबह 9:32 बजे भेजा गया। कैबिनेट में किन मुद्दों पर चर्चा होने वाली है, उसके संबंध में कोई कैबिनेट नोट भी सर्कुलेट नहीं किया गया, जो कि अपने आप में नियमों का उल्लंघन था। मीटिंग खत्म होने और निर्णय लेने के बाद शाम 5 बजे एलजी सचिवालय को एजेंडा और कैबिनेट नोट प्राप्त हुआ।

नई आबकारी नीति पर क्‍या आपत्तियां हैं?
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति दिल्ली को 32 जोन में बांटती है, उसके मुताबिक बाजार में केवल 16 खिलाड़ियों को इजाजत दी जा सकती है और यह एकाधिकार को बढ़ावा देगी। विपक्षी दलों का आरोप है कि नई आबकारी नीति के जरिए केजरीवाल सरकार ने भ्रष्‍टाचार किया। दिल्‍ली में शराब के कई छोटे वेंडर्स दुकानें बंद कर चुके हैं। उनका कहना है कि कुछ बड़े प्‍लेयर्स अपने यहां स्‍टोर्स पर भारी डिस्‍काउंट से लेकर ऑफर्स दे रहे हैं, इससे उनके लिए बिजनेस कर पाना नामुमकिन हो गया है। अदालतों में वकीलों ने कहा कि उन्हें थोक कीमत के बारे में पता है, लेकिन यह साफ नहीं है कि उन्हें किस दाम पर शराब की बिक्री करनी होगी।

मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद एक्शन
चीफ सेक्रेटरी द्वारा दिल्ली के एलजी को भेजी गई रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि पहली नजर में यह जाहिर होता है कि नई एक्साइज पॉलिसी को लागू करने में जीएनसीटी एक्ट-1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया है। साथ ही टेंडर जारी होने के बाद 2021-22 में लाइसेंस हासिल करने वालों को कई तरह के गैरवाजिब लाभ पहुंचाने के लिए भी जानबूझकर बड़े पैमाने पर तय प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया है। एलजी ऑफिस की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993 के रूल नंबर 57 के तहत चीफ सेक्रेटरी ने यह रिपोर्ट एलजी को भेजी थी। यह रूल कहता है कि पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन में कोई भी कमी पाए जाने पर चीफ सेक्रेटरी तुरंत उस पर संज्ञान लेकर उसकी जानकारी एलजी और सीएम को दे सकते हैं। यह रिपोर्ट भी इन दोनों को भेजी गई थी। दावा है कि शराब बेचने का लाइसेंस हासिल करने वालों को टेंडर जारी होने के बाद भी बड़े पैमाने पर गैरवाजिब लाभ पहुंचाने का काम किया गया, जिससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में एक्साइज विभाग के शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ किए जाने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं।रिपोर्ट में एक्साइज विभाग के शराब विक्रेताओं की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ किए जाने पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

दिल्‍ली सरकार का क्‍या तर्क था?
हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा था कि उसकी नई आबकारी नीति 2021-22 का मकसद भ्रष्टाचार कम करना और शराब व्यापार में उचित प्रतिस्पर्धा का अवसर मुहैया कराना है। सरकार ने कहा था कि नीति के खिलाफ सभी आशंकाएं काल्पनिक हैं। इस नीति को लाने के पक्ष में दिल्ली सरकार ने कई तर्क दिए थे। राज्य सरकार कहना था कि इससे दिल्ली में शराब माफिया और कालाबाजारी समाप्त होगी। दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा। शराब खरीदने वालों की शिकायत भी दूर होगी। इसके अलावा हर वार्ड में शराब की दुकानें एकसमान होंगी।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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