दिल्ली : आबकारी अधिकारियों ने ’मनमाने‘ फैसले लिए

Last Updated 08 Aug 2022 06:42:04 AM IST

दिल्ली आबकारी विभाग के अधिकारियों ने आबकारी नीति 2021-22 के प्रावधानों में बदलाव किए और इसे मंत्रिपरिषद की मंजूरी के बिना निष्पादित किया, जिससे लाइेंससधारकों को ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ और दिल्ली सरकार को भारी क्षति।


दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया

दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की जांच रिपोर्ट में विभाग के अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर लिये गए और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा अनुमोदित विभिन्न ‘मनमाने और एकतरफा’ फैसलों को सूचीबद्ध किया गया है।

जांच रिपोर्ट के आधार पर ही विगत शनिवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 11 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई को मंजूरी दी है। रिपोर्ट के निष्कषरें पर दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग या सिसोदिया की ओर से कोई तत्काल प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हुई है।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी शराब के मामले में आयात पास शुल्क और लाभ मार्जिन की वसूली और आबकारी नीति के अवैध विस्तार पर जांच रिपोर्ट के निष्कर्ष से पता चलता है कि दिल्ली सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। 

सिसोदिया ने पहले अनुमान लगाया था कि नयी आबकारी नीति से 9500 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित होगा, लेकिन उन्होंने शनिवार को पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल पर रातोंरात शराब नीति को संशोधित करने का आरोप लगाया, जिसके कारण गैर-पुष्टि वाले क्षेत्रों में शराब की दुकानें नहीं खुल सकी, जिससे दिल्ली सरकार को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों ने आठ नवंबर, 2021 को विदेशी शराब की दरों की गणना के फामरूले को संशोधित करने और बीयर पर प्रति केस 50 रुपये की दर से आयात पास शुल्क की वसूली को हटाने के लिए आदेश जारी करने से पहले न तो मंत्रिपरिषद की मंजूरी ली और न ही उपराज्यपाल की राय।

वित्त विभाग ने 28 अक्टूबर, 2021 को एक नोट में सुझाव दिया था कि आबकारी विभाग इस निर्णय के कारण राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव के आंकलन के लिए मंत्रियों के समूह के समक्ष एक नोट रखे। आबकारी विभाग के फैसले को बाद में सिसोदिया ने मंजूरी दे दी थी। उनके पास आबकारी विभाग भी है।

सूत्रों ने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अधिकारियों ने उपमुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त नोट के आधार पर लाइसेंस अवधि को 31 जुलाई तक विस्तार देने का फैसला किया था, लेकिन इसके लिए उन्होंने वित्त विभाग से न तो कोई टिप्पणी मांगी थी, न मंत्रिपरिषद की मंजूरी ली थी।
 

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment