नेकी के लिए ऑक्सीजन जुटाना गुनाह नहीं
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड-19 रोगियों के लिए नेताओं द्वारा ऑक्सीजन जुटाने के मामले में बृहस्पतिवार को कहा कि नेक लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती जिन्होंने ऐसे समय ऑक्सीजन का प्रबंध किया जब राष्ट्रीय राजधानी में महामारी की दूसरी लहर के दौरान केंद्र और दिल्ली सरकार पर्याप्त प्राणवायु उपलब्ध कराने में विफल रहीं।
![]() दिल्ली उच्च न्यायालय |
अदालत ने ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था करने और इन्हें कोविड रोगियों को वितरित करने के मामले में आप विधायक प्रवीण कुमार के खिलाफ मुकदमा शुरू करने पर दिल्ली के औषधि नियंतण्रविभाग को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि ‘राजनीतिक लाभ’ के लिए ‘मानव त्रासदी’ का इस्तेमाल किया गया है। कार्रवाई को एक खास पार्टी के नेताओं को निशाना बनाने का कदम करार देते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि यदि औषधि नियंत्रक चिकित्सीय ऑक्सीजन जुटाने और वितरित करने के लिए किसी एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई पर आगे बढ़ता है तो उसे सभी गुरुद्वारों, मंदिरों, गिरजाघरों, सामाजिक संगठनों तथा उन सभी अन्य लोगों के खिलाफ भी मुकदमा चलाना होगा जिन्होंने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान प्राणवायु जुटाई और इसे मरीजों को वितरित किया। पीठ ने औषधि नियंत्रक को यह स्पष्ट करने के लिए समय प्रदान कर दिया कि क्या वह ऐसे सभी लोगों पर मुकदमा चलाना चाहता है जिन्होंने चिकित्सीय ऑक्सीजन जुटाई और जरूरमंद रोगियों को इसका नि:शुल्क वितरण किया। मामले में अगली सुनवाई पांच अगस्त को होगी।
उच्च न्यायालय ने अपने पूर्व के आदेश का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि चिकित्सीय ऑक्सीजन का मुद्दा तकनीकी है और यह कोविड रोधी दवाओं की जमाखोरी के मुद्दे से भिन्न है। पीठ ने कहा, क्या हमने यह नहीं कहा था कि आप ऑक्सीजन के मुद्दे पर आगे नहीं बढेंगे? यदि आप इस तरह आगे बढ रहे हैं तो आप आधी दिल्ली के खिलाफ आगे बढिए और सभी गुरुद्वारों के खिलाफ भी।
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