राजधानी में जून के अंत तक आंकड़ा होगा एक लाख के पार!
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में देश की राजधानी के लिए जून का महीना बेहद अहम है। जिस तरह से पहले हफ्ते में नए मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है, हालात और खराब होते दिख रहे हैं।
![]() जून के अंत तक आंकड़ा होगा एक लाख के पार! |
जून खत्म होते-होते यहां पर कोरोना मामलों की संख्या कम से कम एक लाख के पार जा सकती है। ऐसा दिल्ली सरकार की अपनी कोविड-19 कमेटी कह रही है। इसी अनुमान के आधार पर, कमेटी ने सरकार से 15 हजार अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली को 15 जुलाई तक 42 हजार बिस्तरों की जरूरत पड़ेगी।
कमेटी ने दिया सुझाव : कमेटी के चेयरमैन एवं आईपी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. महेश वर्मा के अनुसार उनकी टीम ने मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई जैसों शहरों के ट्रेंड्स पर स्टडी की। उन्होंने कहा कि गणना बताती है कि जून के आखिर तक दिल्ली में एक लाख से ज्यादा मामले होंगे। हमने सरकार को रिपोर्ट सबमिट की है जिसमें 15 हजार एडिशनल बेड्स तैयार करने की सलाह दी है। हम वायरस से लड़ने के लिए तैयार हैं। इन बेड्स को होटल्स, मेकशिफ्ट कोविड ट्रीटमेंट फैस्लिटीज में रखा जा सकता है बशर्ते वहां ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था ठीक हो।
बहुत से मरीजों को हो सकता है हाईपोक्सीया यानी सांस लेने में तकलीफ : इस बीच कमेटी के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा कि दिल्ली का डबलिंग रेट 15 दिन है। अधिकारी ने कहा कि दिल्ली के करीब 25 फीसद मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ेगी। अधिकतर मरीजों को हाईपोक्सीया होगा और 5 पर्सेंट पेशंट्स को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होगी। इसलिए हमने सरकार को अधिकतम ऑक्सीजन सप्लाई अरेंज करने की सलाह दी है। इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. आरएन कालरा के अनुसार हाईपोक्सीया वो कंडीशन होती है जब शरीर या शरीर के किसी हिस्से को टिश्यू लेवल पर पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती।
कमेटी का गठन क्यों : दरअसल, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने 2 मई को यह कमेटी बनाई थी। उनका काम था दिल्ली के अस्पतालों की तैयारियों को परखना, हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को कसना और कोविड-19 से लड़ाई के लिए बेहतर मैनेजमेंट की रूपरेखा बनाना। इसमें डॉ. वर्मा के अलावा 5 अन्य सदस्यों को शामिल किया गया था।
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