उत्तर प्रदेश के कुछ धार्मिक नेता भी थे दहशतगर्दों के निशाने पर

Last Updated 10 Jan 2020 04:44:50 AM IST

दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को मुठभेड़ के बाद वजीराबाद से जिन तीन आईएसआईएस आतंकियों को मुठभेड़ के बाद पकड़ा, उनका मकसद गणतंत्र दिवस से पहले राजधानी में भारी तबाही मचाना था।


यूपी के कुछ धार्मिक नेता भी थे दहशतगर्दों के निशाने पर

पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि आतंकियों के निशाने पर यूपी के कुछ धार्मिक नेता और भीड़भाड़ वाले बाजार भी थे। आरोपी नेपाल से अपने एक विदेशी आका के निर्देश पर तबाही मचाने के लिए दिल्ली आए थे।
आरोपी ख्वाजा मोइनुद्दीन (52), सैयद अली नवाज (32) और अब्दूल समद उर्फ  नूर (28) तमिलनाडु के आईएसआईएस मॉड्यूल के हार्डकोर आतंकी रहे हैं। वे पिछले साल 12-13 दिसम्बर को तमिलनाडु से फरार होकर नेपाल चले गए थे। वहां करीब 20 दिन रु कने के बाद भारत लौटे और दिल्ली में अपना ठिकाना बनाया। स्पेशल सेल को इनके दिल्ली में मौजूद होने की जानकारी मिलने पर इन्हें दबोचने की योजना तैयार की गई। पुलिस ने आरोपियों को उस वक्त पकड़ा,जब वे पैदल ही किसी परिचित से मिलने जा रहे थे। पुलिस ने जब तीनों को सरेंडर करने के लिए बोला, तो उन्होंने पिस्टल से हमला बोल दिया। इसके बाद पुलिस की जबाबी कारवाई में तीनों धर दबोचे गए। पुलिस ने बताया कि दोनो तरफ से करीब चौदह राउंड फायरिंग हुई, लेकिन कोई घायल नहीं हुआ।

पुलिस ने बताया कि तीनों पाक परस्त एक विदेशी हैंडलर के संपर्क में थे और उसी के कहने पर वे नेपाल से दिल्ली आकर किराए पर कमरा लेकर रह रहे थे। उनका मकसद दिल्ली में रहते हुए  एक खास समुदाय के लोगों का ब्रेनवाश कर उन्हें आतंकी हमले को अंजाम देने के साजिश में शामिल करना और वारदात के लिए हथियार और विस्फोटक जमा करना था। आतंकियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे वारदात को अंजाम देने के बाद उन्हें नेपाल के रास्ते पाकिस्तान फरार होना था। पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने बीजेपी के दक्षिण भारत के एक बड़े नेता एमआर गांधी की हत्या की कोशिश की थी और  हिंदूवादी नेता केपी सुरेश की हत्या की थी।
सुरेश की हत्या के मामले में जमानत पर रिहा होने बाद आतंकियों ने अपने सहयोगियों के माध्यम से भारत में आईएसआईएस नेटवर्क को पुनर्जीवित करने की योजना बनाई थी। इनमें ख्वाजा मोइनुद्दीन ने सैय्यद नवाज, अब्दुल समद, अब्दुल शमीम और जाफर अली आदि के के साथ मिलकर अपना मॉड्यूल बनाया और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तीनों काठमांडू चले गए थे। मूल रूप से तमिलनाडु निवासी ख्वाजा स्कूल के समय से ही सीपीआई (एम) से जुड़ा था, जबकि सैय्यद अली सफेदी और पेंटिंग काम काम करता था। तीसरे आरोपी अब्दुल समद ने बीकॉम और कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर की डिग्री ले रखी है।

राजीव रंजन/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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