स्टेशनों पर पहुंचा रेला, ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं
ट्रेन में सफर करना वैसे भी आसान नहीं है, लेकिन होली समेत अन्य त्योहारों पर तो इसमें यात्रा करना किला फतह करने से कम नहीं है। होली पर दिल्ली से पूरब की ओर जाने वाली ट्रेनों में पैर रखने तक की जगह नहीं है।
आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर घर जाने के इंतजार में यात्री। फोटो : मुकेश कुमार |
आरक्षित कोच में भी यात्री भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर यात्रा कर रहे हैं। अनारक्षित डिब्बों का तो और भी बुरा हाल है। मंगलवार को आनंद विहार, नई दिल्ली और दिल्ली स्टेशनों से यूपी होते हुए बिहार और उससे आगे जाने वाली ट्रेनों का बुरा हाल था। ट्रेन के शौचालय तक में लोग भरे थे। लिच्छवी, सम्पूर्ण क्रांति, नार्थ ईस्ट, सीमांचल, श्रमजीवी, जनसाधारण, विक्रमशिला समेत इस रूट से होकर जाने वाली ट्रेनों में खड़े होने की भी जगह नहीं थी।
आनंद विहार स्टेशन पर जितनी भीड़ ट्रेन के अंदर थी उससे दो से तीन गुना ज्यादा भीड़ प्लेटफार्म और स्टेशन के बाहर थी। इनमें से अधिकतर यात्रियों के पास जनरल (अनारक्षित) टिकट था। भटनी जाने के लिए परिवार के साथ पहुंचे पंकज ने बताया कि आरक्षित टिकट के लिए कई बार कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिली, ऐसे में जनरल टिकट लेकर यात्रा करने के लिए सुबह से आया हूं। लेकिन भीड़ अधिक होने के कारण लिच्छवी एक्सप्रेस में सवार नहीं हो पाए। अब वे किसी अन्य ट्रेन से प्रयास करेंगे। एक अन्य यात्री रमेश ने बताया कि उसे मऊ जाना है, अगर आज नहीं जा पाउंगा तो कल प्रयास करुंगा।
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