भोपाल में लॉकडाउन पर सियासी तकरार तेज
मध्य प्रदेश की राजधानी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों ने सरकार को भी चिंता में डाल दिया है और यही कारण है कि 10 दिन की पूर्ण बंदी का सरकार को फैसला लेना पड़ा है। इस पूर्ण बंदी के दौरान ईद और रक्षाबंधन जैसा त्योहार भी है इसी को लेकर सियासी तकरार तेज हो गई है।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों राज्य की कोरोना की स्थिति और व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए भोपाल में 10 दिन की पूर्ण बंदी (लॉकडाउन) का ऐलान किया था।
इस बंदी के दौरान चार अगस्त की सुबह तक तमाम बाजार बंद रहेंगे, सरकारी दफ्तरों में तय संख्या में कर्मचारी पहुंचेंगे। धार्मिक और सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। वहीं सभी सीमाओं पर आवाजाही बंद रहेगी विशेष परिस्थितियों में ई-पास लेकर ही कोई शहर से बाहर या शहर के भीतर आ सकेगा। साथ ही ईद और रक्षाबंधन को सार्वजनिक और सामूहिक तौर पर न मनाने का भी निर्देश जारी किया गया है।
सरकार के फैसले के खिलाफ शहर काजी मुश्ताक अली नदवी ने भी आवाज उठाई और कहा है कि कुर्बानी होगी। सरकार और प्रशासन की ओर से जो दिशा निर्देश दिए जाएंगे उनका भी पूरी तरह पालन किया जाएगा।
भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने भी त्योहारों के दौरान पूर्ण बंदी का विरोध किया है उनका कहना है कि त्योहारों के मौके पर सरकार ने एक-तरफा फैसला लिया है। जनप्रतिनिधियों से किसी भी तरह की बात नहीं की गई। सरकार के फैसले का सभी को मिलकर विरोध करना चाहिए।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ईद और रक्षा बंधन के दौरान छूट देने की मांग का समर्थन करते हुए कहा, "मैं सहमत हूं। ईद पर कुर्बानी के लिए और रक्षाबंधन के त्योहार पर भाई बहन से मिलने के लिए भोपाल शहर में लॉकडाउन में छूट दी जाना चाहिए।"
राज्य सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है विधायक आरिफ अकील, विधायक आरिफ मसूद और शहर काजी से भी इस मसले पर उनकी बात हुई है। सरकार के फैसले का उद्देश्य पवित्र है इसमें कोई राजनीतिक लाभ लेने जैसी कोई बात नहीं है, क्योंकि भोपाल में कोई चुनाव नहीं है, जो हम राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह यह गारंटी लें कि वे कोरोना को पूरी तरह रोक देंगे तो सरकार ने जो फैसला लिया है वह उसे वापस ले लेगी। वह गारंटी लें, क्योंकि उन्हें कमरे से तो बाहर निकलना नहीं है ट्विटर से राजनीति करनी है और बाकी के लोगों को उकसाना है यह परंपरा अच्छी नहीं है।
फिलहाल राज्य के कई जिलों में पूर्णबंदी की गई। इसके चलते ग्वालियर, मुरैना आदि स्थानों पर संक्रमण में कुछ रोक लगी है। इसकी के चलते सरकार ने भोपाल में भी 10 दिन की पूर्णबंदी का फैसला लिया है। अब देखना है कि यह कितनी सफल होती है और उसे समाज का कितना साथ मिल पाता है।
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