मध्य प्रदेश: कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी में BJP

Last Updated 10 Jun 2020 02:19:05 PM IST

मध्य प्रदेश में आगामी दिनों में एक और सियासी भूचाल आने की संभावना बनने लगी है और यह राज्यसभा चुनाव के दौरान नजर भी आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस को एक और झटका देने की तैयारी में लगी है।


कांग्रेस नेता कमलनाथ (फाइल फोटो)

राज्य में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों द्वारा कांग्रेस का साथ छोड़े जाने से कमलनाथ की सरकार गिर गई थी और भाजपा को लगभग 15 माह बाद एक बार फिर सत्ता में आने का मौका मिल गया। कांग्रेस में यह टूट अचानक नहीं हुई थी, बल्कि इसके लिए भाजपा द्वारा लंबे अरसे से सिंधिया के अनुकूल मैदानी पिच तैयार करने की कवायद चल रही थी। आखिरकार भाजपा को सफलता मिली और सिंधिया कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ आ गए।

राज्य में आगामी समय में 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं मगर भाजपा की कोशिश है कि इन चुनावों से पहले कांग्रेस को एक और झटका दिया जाए और इसके लिए उसके पास सबसे उपयुक्त मौका राज्यसभा का चुनाव है। भाजपा ने उन असंतुष्ट विधायकों से संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है जो कांग्रेस के अंदर चल रही खेमे बाजी में अपने को पूरी तरह सुरक्षित नहीं पा रहे हैं।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और खाद्य एवं आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. हितेश वाजपेयी का कहना है, "आगामी समय में कांग्रेस में टूट होना तय है मगर यह टूट अंदरूनी होगी या लोग बाहर निकल कर आएंगे यह तो वक्त ही बताएगा। इस टूट से भाजपा का कोई लेना देना नहीं होगा, यह तो कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान के चलते होने वाला है।"

सूत्रों का दावा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ आए तत्कालीन 22 विधायकों के अलावा कुछ और विधायक भी भाजपा के संपर्क में थे मगर वे यह नहीं चाहते थे कि राजनीतिक तौर पर यह संदेश जाए कि वे सिंधिया के बैनर तले भाजपा में जा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन विधायकों की निष्ठा सिंधिया में नहीं है। अब ऐसे कांग्रेस के असंतुष्ट विधायक जो सिंधिया से नाता नहीं रखते उनसे भाजपा संपर्क स्थापित कर रही है और राज्यसभा चुनाव के दौरान बड़ा झटका देने की तैयारी में है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय यादव यह मानने को तैयार नहीं हैं कि आगामी समय में कांग्रेस का कोई भी विधायक भाजपा में जा सकता है। उनका तर्क है कि जिन विधायकों को जाना था वे जा चुके हैं, अब ऐसी स्थितियां नहीं हैं कि किसी विधायक को भाजपा अपनी ओर खींच सके।

राजनीति के जानकारों का मानना है कि कुछ विधायक राज्यसभा में सदस्य के तौर पर दिग्विजय सिंह को भेजने के पक्ष में नहीं है और इसके लिए उनकी बैठक भी हो चुकी है। विधायकों में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को लेकर कोई असंतोष नहीं है मगर कई विधायक आगामी विधानसभा के उपचुनाव को लेकर राज्यसभा में दलित नेता फूलसिंह बरैया को भेजने की पैरवी करने में लगे हैं। पार्टी अगर प्राथमिकता में दिग्विजय सिंह को पहले स्थान पर रखती है तो कुछ विधायक बगावती तेवर भी अपना सकते हैं। इसी आधार पर कांग्रेस में एक और टूट हो भी सकती है।

आईएएनएस
भोपाल


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