शीर्ष माओवादी, छह अन्य ने झारखंड में आत्मसमर्पण किया

Last Updated 16 Feb 2017 12:30:51 PM IST

प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के बंगाल, झारखंड और ओड़िशा सीमा क्षेत्रीय कमेटी के सचिव कान्हू मुंडा ने समूह के छह अन्य सदस्यों के साथ पूर्वी सिंहभूम जिला पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.


माओवादी ने झारखंड में आत्मसमर्पण किया (फाइल फोटो)

आत्मसमर्पण के बाद मुंडा ने बुधवार को कहा कि पुलिस के मैत्रपूर्ण रूख के साथ ही झारखंड सरकार की हिंसा छोड़कर समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की अपील ने उसे हथियार डालने के लिए प्रेरित किया.
     
कान्हू उर्फ मंगलजी पर 25 लाख रूपये का इनाम था. उसने और उसके समूह के छह सदस्यों ने घाटशिला उपमंडल स्थित अपने पैतृक गांव जियान में पुलिस के समक्ष समर्पण किया.
     
कान्हू को पुलिस लाइन लाया गया जहां डीआईजी :कोल्हन: प्रभात कुमार, एसएसपी अनूप टी मैथ्यू और सीआरपीएफ की 193 बटालियन के कमांडेंट शिव कुमार मौजूद थे.
     
कान्हू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पुलिस अत्याचार और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की कमी के चलते करीब दो दशक पहले माओवादी बना था लेकिन चीजें अब बदल गई हैं.’’


     
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने माओवादियों से मुख्य धारा में शामिल होने और विकास कार्य में सरकार का सहयोग करने की अपील की है. सीआरपीएफ के डीजी दुर्गा प्रसाद ने भी माओवादियों को आत्मसमर्पण करने पर उनकी मदद करने का भरोसा दिया है.
     
सात वर्ष पहले घाटशिला उप मंडल के डाल्भुमगढ़ में खंड विकास अधिकारी के अपहरण का उल्लेख करते हुए कान्हू ने कहा कि उद्देश्य प्रशासन को केवल यह संदेश देना था कि माओवादी बेगुनाह ग्रामीणों की गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं.
     
भविष्य की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर कान्हू ने कहा कि वह समाज की सेवा करता रहेगा. उसने राजनीति में शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया. डीआईजी कुमार ने माओवादियों के आत्मसमर्पण के निर्णय की प्रशंसा करते हुए इसे पूर्वी सिंहभूम जिला और राज्य पुलिस के लिए ‘‘ऐतिहासिक दिन’’ बताया.

 

भाषा


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