झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को अपनी ही पार्टी में आलोचनाओं का सामना, उठ रहे हैं सवाल

Last Updated 12 Jan 2017 04:22:57 PM IST

झारखंड में भारतीय जनता पार्टी में सब कुछ सही नहीं दिख रहा है. खासकर राज्य की रघुवर दास सरकार पर सवाल उठ रहे हैं.


झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास (फाइल फोटो)

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास 105 खदानों के पट्टों के नवीनीकरण और दो भूमि अधिनियमों में संशोधन किए जाने को लेकर अपनी ही पार्टी में कड़ी आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं.

राज्य में भाजपा कार्यकारिणी की जमशेदपुर में बैठक के दूसरे दिन बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने दो भूमि अधिनियमों में संशोधन का मुद्दा उठाया.

मुंडा ने कहा, "राज्य सरकार ने दो भूमि अधिनियमों--छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन किया. इसका लोगों के दिल-दिमाग पर सीधा प्रभाव पड़ा है."

उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री को दो भूमि अधिनियमों में संशोधनों पर फिर से विचार करना चाहिए. इस तरह का निर्णय लेने से पहले, दीर्घकालिक प्रभाव को ध्यान में रखना चाहिए. मैंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था, लेकिन कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया."

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रघुवर दास ने बैठक में कहा, "हम जनजातीय लोगों के नाम पर राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे. यहां कुछ लोग ऐसे हैं जो पार्टी पर अपना निजी एजेंडा थोपना चाहते हैं."

झारखंड के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री सरयू राय ने अपनी ही सरकार के 100 से ज्यादा खदानों के पट्टे के नवीनीकरण के फैसले को लेकर सवाल उठाया. राय मामले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मंगलवार को कैबिनेट बैठक से बाहर चले गए थे.



बैठक में मौजूद एक अधिकारी के अनुसार, राय ने कैबिनेट के 105 खदानों के पट्टे के नवीनीकरण के फैसले के मामले को उठाया. उन्होंने कहा कि राज्य कैबिनेट के पास पट्टे के नवीनीकरण का अधिकार नहीं है. उन्होंने बैठक से बाहर जाने से पहले कहा कि भले ही सीबीआई दस साल बाद इस मामले की फाइल खोले, फिर भी वह जेल नहीं जाना चाहते.

रघुवर दास की अगुवाई वाली भाजपा सरकार ने दिसंबर में हुई कैबिनेट बैठक में 105 खानों के पट्टों के नवीनीकरण को मंजूरी दी थी. इस बैठक में राय नहीं मौजूद थे.

राय ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें 10 जनवरी को कैबिनेट बैठक में बोलने की अनुमति नहीं दी गई.

राय ने पत्र में लिखा है, "मैं इस मुद्दे पर अपना विचार 10 जनवरी की कैबिनेट बैठक में रखना चाहता था लेकिन मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई. संसदीय प्रणाली में असहिष्णुता के लिए कोई स्थान नहीं है. कैबिनेट के भीतर या बाहर यदि संवाद नहीं होता है तो यह स्वस्थ प्रणाली नहीं है."

 

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment