ED का खुलासा : छत्तीसगढ़ में हुआ 2000 करोड़ का शराब घोटाला

Last Updated 08 May 2023 07:28:56 AM IST

ED ने रविवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में बेची गई शराब की ‘हर बोतल’ पर ‘अवैध रूप’ से धन एकत्रित किया गया और रायपुर महापौर एजाज ढेबर (Raipur Mayor Ejaz Dhebar) के बड़े भाई अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) की अगुवाई वाले शराब सिंडिकेट (Liquor Syndicate) द्वारा दो हजार करोड़ रुपए के ‘अभूतपूर्व’ भ्रष्टाचार और धनशोधन के सबूत एकत्रित किए गए हैं।


ED का खुलासा : छत्तीसगढ़ में हुआ 2000 करोड़ का शराब घोटाला

एजेंसी ने एक बयान में कहा कि अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) को संघीय एजेंसी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत शनिवार तड़के रायपुर के एक होटल से तब गिरफ्तार किया, जब वह ‘‘पिछले दरवाजे से भागने’’ की कोशिश कर रहे थे।

विशेष पीएमएलए अदालत (special pmla court) ने बाद में उन्हें चार दिन के लिए ED की हिरासत में भेज दिया, जबकि उनके वकील ने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कार्रवाई ‘राजनीति से प्रेरित’ प्रतीत होती है और वे इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।

एजाज ढेबर छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता माने जाने जाते हैं। ईडी ने आरोप लगाया है, ‘‘जांच में पाया गया कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। अनवर ढेबर एक आम नागरिक हैं, लेकिन वह उच्च-स्तरीय राजनीतिक प्राधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की ओर से पैसे लेते थे।’’

एजेंसी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राज्य शराब व्यापार के ‘सभी पहलुओं’ पर सरकार का नियंत्रण है। ईडी ने आरोप लगाया है कि आईएएस के अधिकारी अनिल टुटेजा शराब कारोबारी अनवर ढेबर के साथ छत्तीसगढ़ में अवैध शराब सिंडिकेट के ‘सरगना’ हैं और भ्रष्टाचार से अर्जित रकम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में भी किया गया।

अनवर ढेबर इस घोटाले के अंतिम लाभार्थी नहीं

ईडी ने कहा कि मार्च में रायपुर (Raipur) में अनवर ढेबर के आवासीय परिसरों सहित छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 35 स्थानों पर छापे मारे गए थे और इस दौरान 2019-2022 के बीच दो हजार करोड़ रुपए के अभूतपूर्व भ्रष्टाचार और धनशोधन के सबूत मिले। ईडी ने आरोप लगाया कि अनवर ढेबर ‘इस पूरे अवैध धन संग्रह के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन वह इस घोटाले के अंतिम लाभार्थी नहीं हैं।’ उसने दावा किया, ‘यह बात सामने आई कि एकत्रित राशि का कुछ हिस्सा अपने पास रखकर शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को दे दिया करते थे।’

भाषा
रायपुर/नई दिल्ली


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