Bihar Election 2025: चुनाव आयोग ने बिहार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की जारी, दावा और आपत्ति के लिए मिलेगा एक महीने का समय

Last Updated 01 Aug 2025 12:48:03 PM IST

निर्वाचन आयोग ने बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महीने भर चली विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पूरी करने के बाद राज्य के लिए मतदाता सूचियों का मसौदा शुक्रवार को प्रकाशित किया।


हालांकि कोई संकलित सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है लेकिन मतदाता अपना नाम निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर देख सकते हैं।

निर्वाचन आयोग के अनुसार, जून में एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने से पहले राज्य में 7.93 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे।

अभी यह पता नहीं चला है कि आज प्रकाशित मसौदा सूचियों में कितने मतदाता शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मतदाता सूचियों के प्रिंटआउट बाद में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

मसौदा सूचियों के प्रकाशन के साथ ही ‘‘दावों और आपत्तियों’’ की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है, जो एक सितंबर तक जारी रहेगी और इस अवधि के दौरान मतदाता गलत तरीके से नाम हटाए जाने की शिकायत लेकर संबंधित प्राधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।

बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

एसआईआर के पहले चरण में, मतदाताओं को या तो बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) या राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ-स्तरीय एजेंटों (बीएलए) द्वारा ‘‘गणना प्रपत्र’’ प्रदान किए गए थे, जिन्हें उन्हें अपने हस्ताक्षर करने और पहचान के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य दस्तावेज संलग्न करने के बाद वापस करना था।

लोगों के पास इन गणना प्रपत्रों को डाउनलोड करने और ऑनलाइन जमा करने का विकल्प भी था।

यह प्रक्रिया 25 जुलाई तक पूरी हो गई और निर्वाचन आयोग के अनुसार, ‘‘7.23 करोड़ मतदाताओं’’ ने अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए, जबकि 35 लाख मतदाता ‘‘स्थायी रूप से पलायन कर गए या उनका कोई पता नहीं चला।’’इस दौरान पता चला कि 22 लाख अन्य मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, जबकि सात लाख लोग एक से ज़्यादा मतदाता सूची में मतदाता के रूप में पंजीकृत थे।

निर्वाचन आयोग ने यह भी दावा किया कि 1.2 लाख मतदाताओं ने गणना प्रपत्र जमा नहीं किये।

आयोग ने यह भी दावा किया कि 1.2 लाख मतदाताओं ने गणना प्रपत्र जमा नहीं किए। यह व्यापक कवायद 77,895 मतदान केंद्रों पर तैनात बीएलओ द्वारा की गयी, जिन्हें 243 ईआरओ (निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी) और 2,976 सहायक ईआरओ की देखरेख में 1.60 लाख बीएलए और अन्य स्वयंसेवकों की सहायता से की गयी।

विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि यह आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ‘‘मदद’’ करने के लिए किया गया है। इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में भी याचिकाएं दायर की गईं, जिसने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा कि एसआईआर का परिणाम ‘‘सामूहिक समावेशन होना चाहिए, न कि सामूहिक बहिष्कार।’’

 

भाषा
पटना


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