नीतीश कुमार 2024 में विपक्षी एकता की धुरी बन सकते हैं?

Last Updated 10 Aug 2022 01:49:25 PM IST

अगर गांधी परिवार से बाहर संयुक्त विपक्ष के चेहरे तौर पर खड़ा किया जाए तो नीतीश विपक्षी एकता के सूत्रधार के रूप में उभर सकते हैं।




नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

बिहार का तख्तापलट सीधे तौर पर नीतीश कुमार की चतुराई से तैयार की गई राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा से जुड़ा हुआ है। यह बात भले ही उनकी ओर से जाहिर न किया गया हो, लेकिन अटकलों का बाजार गर्म है। बिहार में 40 लोकसभा सांसद हैं और संयुक्त विपक्ष को बहुमत मिल सकता है, जिसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ सकता है।

नीतीश ओबीसी की एक प्रमुख जाति कुर्मी से आते हैं, और यह समुदाय भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह समुदाय उत्तर प्रदेश में भाजपा की सफलता की कुंजी रहा है। यदि कुर्मी और यादव समुदाय को साथ मिला लिया जाए तो अल्पसंख्यकों की मदद से एक संयुक्त विपक्षी बल तैयार किया जा सकता है, जो भाजपा से मुकाबला करने में सक्षम होगा।

हालांकि 2019 में बिहार में लोकसभा चुनावों के दौरान एनडीए ने बिहार से ज्यादा सीटें हासिल की थीं, लेकिन नीतीश कुमार के भाजपा से दूरी बना लेने का अगले लोकसभा चुनाव पर भारी असर पड़ सकता है।

नीतीश कुमार भले ही केंद्र की ओर एक बड़ी छलांग लगाने के लिए चुपचाप काम कर रहे हों, लेकिन कुछ अन्य लोग भी इस दौड़ में शामिल हैं। उनमें से एक हैं शरद पवार। हालांकि, महाराष्ट्र में हुईं हाल की घटनाओं में उनके प्रयास से बना एमवीए सत्ता से बाहर हो गया है, जिससे पवार की राजनीतिक ताकत घट गई है।

कांग्रेस के नेता 2024 की स्थिति पर अभी कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन वे इस बात पर जोर देते हैं कि किसी भी फॉर्मूलेशन का नेतृत्व कांग्रेस द्वारा किया जाएगा, जो निचले सदन में संख्या के मामले में सबसे बड़ा ब्लॉक है और कांग्रेस यूपीए की तरह किसी भी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व करेगी।

ममता बनर्जी भी इस पीएम की कुर्सी की दावेदार हैं, लेकिन भाजपा उन्हें सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित रखने की कोशिश कर रही है, जिससे उनके 'खेला' में बाधा आ सकती है। हिंदी भाषी राज्यों में उनकी कोई 'जन अपील' नहीं है और न ही वह ओबीसी से ताल्लुक रखती हैं।

ओबीसी में कोई भी विभाजन केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा को रोक सकता है, जिसमें 120 सांसदों की संयुक्त ताकत है और भाजपा इस क्षेत्र में काफी मजबूत है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अंकगणित की दृष्टि से यह अच्छा लग सकता है, लेकिन 'हिंदूत्व' की राजनीति का झुकाव भाजपा की ओर है। उनका कहना है कि कड़े विरोध के बावजूद भाजपा को ओबीसी वोटों की एक बड़ी संख्या मिलती है और यह कहना कि ओबीसी विपक्ष की ओर जाएगा, यह भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी होगी।

हालांकि भाजपा ने इस तर्क को खारिज कर दिया है। भाजपा नेता सुशील मोदी ने दावा किया है कि नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने का लक्ष्य बना रहे हैं, लेकिन उनमें वैसी क्षमता नहीं है। नीतीश के साथ उपमुख्यमंत्री रह चुके बिहार के नेता ने कहा, "वह नरेंद्र मोदी को चुनौती नहीं दे सकते, उनमें उन्हें चुनौती देने की क्षमता नहीं है।"

सुशील मोदी ने कहा, "नीतीश कुमार के लिए प्रधानमंत्री बनना दूर का सपना है। बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर प्रचंड बहुमत हासिल करेगी और नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।"

भाजपा के राज्यसभा सदस्य मोदी ने भाजपा के खिलाफ जद (यू) के आरोपों को 'झूठ' करार दिया।

उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, "नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भाजपा पर आरोप लगाया कि यह उनकी पार्टी को तोड़ने में शामिल थी, यह पूरी तरह झूठ है।"

उन्होंने नीतीश कुमार के इस आरोप का भी खंडन किया कि भाजपा ने तत्कालीन जद (यू) नेता आरसीपी सिंह को उनकी मंजूरी के बिना केंद्रीय मंत्री बनाया।

सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार एनडीए से बाहर निकलने के बहाने खोज रहे थे और इसलिए झूठा आरोप लगा रहे हैं। नीतीश कुमार ने ही आरसीपी सिंह को नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री बनने की मंजूरी दी थी। उन्होंने झूठ का सहारा लिया।

आईएएनएस
पटना


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment