बिहार मे NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने के बाद पश्चिम बंगाल भाजपा असमंजस में
बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन की सरकार ने मंगलवार को सर्वसम्मति से राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लागू नहीं करने को लेकर विधानसभा से संकल्प पारित किया है। बिहार पहला ऐसा राजग शासित राज्य है, जहां एनआरसी को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है।
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इससे सवाल उठने लगा है कि क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एनआरसी के मुद्दे पर पीछे हट रही है और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर रक्षात्मक हो रही है? बिहार में तस्वीर साफ हो गई है कि भाजपा सीएए और एनआरसी को इस राज्य में मुद्दा नही बनाएगी । लेकिन बिहार के बाद अब सब की निगाहें पश्चिमी बंगाल पर टिक गई हैं। सवाल उठने लगा है क्या भाजपा एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून को पश्चिमी बंगाल के चुनाव में मुद्दा बनाएगी। प्रदेश में एक गुट दिल्ली में हुई हिंसा के बाद इन विवादित मुद्दों को नहीं उठाने के पक्ष में है, वही दूसरा गुट इस मुद्दे पर आक्रामक रणनीति चाहता है।
नाम नही छापने की शर्त पर प्रदेश के एक बड़े भाजपा नेता ने कहा, "लोकसभा चुनाव के बाद गंगा में बहुत पानी बह गया है। अब पार्टी को यहां रणनीति बदलनी पड़ेगी।"
उधर रानाघाट पश्चिम से भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार कहते हैं, "जहां तक बात NRC की है तो ममता (मुख्यमंत्री ममता बनर्जी) सरकार ने इस मुद्दे पर भ्रम फैलाया है। जनता को जागरूक करने की जरूरत है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के गुंडे मुर्शिदाबाद में ट्रेनें और बसें जला रहे थे, पश्चिम बंगाल में आज सीएए पर जबरदस्त समर्थन है। इन मुद्दों से बंगाल में पीछे हटने का सवाल ही नही पैदा होता है। 2014 में हमारी सिर्फ दो सीटें थी और आज 18 हैं। ये हमारे पार्टी और संगठन की संगठित प्रयासों का ही नतीजा है।"
लेकिन उन्होंने साफ किया, "अभी NRC है ही नहीं तो इस पर इतनी हाय तौबा क्यों, हम तो नागरिकता देने की बात कर रहे हैं ना कि छीनने की। मुझे लगता है ये विपक्ष इस मसले को मुद्दा बना रहा है।"
गौरतलब है कि भाजपा अध्य्क्ष जे.पी. नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह एक मार्च को कोलकाता जाने वाले हैं। उस दिन भाजपा आलाकमान प्रदेश नेतृत्व के साथ विस्तार से रणनीति पर विचार करेंगे। बैठक में संगठन प्रभारी बी.एल. संतोष भी रहेंगे। इस मुद्दे पर अंतिम फैसला इस बैठक में ही तय होगा।
ध्यान रहे कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर को रामलीला मैदान में कहा था, "हमारी सरकार बनने के बाद से आज तक NRC शब्द की कभी चर्चा तक नहीं हुई। असम में भी हमने NRC लागू नहीं किया था, जो भी हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुआ।"
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