मुंबई: छात्राओं ने सुझाया अनोखा उपाय- ट्रैफिक सिग्नल पर हो नीली बत्ती भी जिससे कम हो वायु प्रदूषण
जी हां इस नूतन पहल के अनुसार ट्रैफिक सिग्नलों पर अगर नीली बत्ती जली होगी तो वाहन चालकों को अपनी गाडी अनिवार्य रूप से बंद करनी पडेगी.
फाइल फोटो |
शायद ही आपने देखा होगा कि वाहन चालक ट्रैफिक सिग्नलों पर अपनी गाड़ियों को बंद करते हैं, अमूमन ऐसा बहुत कम होता है. सिग्नलों पर वाहनों के चालू रहने से ईंधन की बर्बादी होती है और व्यस्त यातायात जंक्शनों के आसपास वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है.
इस अजीब समस्या को हल करने के लिए मुंबई की 19 वर्षीय शिवानी खोट और उसकी छोटी बहन ईशा 14 ने एक अनूठा समाधान निकाला है. उनका कहना है कि ट्रैफिक सिग्नलों पर लाल, पीली, हरी बत्तियों के साथ-साथ एक ‘‘नीली’’ बत्ती भी लगाया जाए.
जी हां इस नूतन पहल के अनुसार ट्रैफिक सिग्नलों पर अगर नीली बत्ती जली होगी तो वाहन चालकों को अपनी गाडी अनिवार्य रूप से बंद करनी पडेगी.
लाल बत्ती जलने के पांच सेकंड के बाद यह नीली बत्ती जल जाएगी और बत्ती हरी होने से पांच सेकंड पहले यह बंद हो जाएगी, जिसका संकेत यह होगा कि आप अपना वाहन चालू कर लें और चलने के लिए तैयार हो जाएं.
एस के सोमैया कॉलेज में मनोविज्ञान की छात्रा शिवानी खोट ने बताया, ‘‘सिग्नलों पर इंजन चलते रहने से ईंधन की भारी बर्बादी होती है. हमें लगता है कि नये सिग्नल लगाकर हम इन चीजों को बदल सकते हैं.’’
केंद्रीय सडक अनुसंधान संस्थार्न सीआरआरआईी द्वारा कराये गये अध्ययनों के निष्कर्ष का हवाला देते हुये उसने कहा कि सिर्फ 20 प्रतिशत वाहन चालक ही सिग्नलों पर इंतजार करने के दौरान अपनी गाडी का इंजन रखते हैं.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के केवल आठ व्यस्त चौराहों पर भी अगर वाहनों के इंजन बंद कर दिये जायें तो इससे 70 करोड रुपये के ईंधन की बचत होगी .
सीआरआरआई के आंकडों का हवाला देते हुए उसने कहा कि केवल इन आठ जंक्शनों पर ही करीब 28,750 टन कार्बन उत्सर्जित होता है, जिसे महज वाहनों के इंजन बंद कर देने से कम किया जा सकता है.
कॉलेज छात्रा ने कहा कि कुछ सिग्नलों पर लगे डिजिटल डिस्प्ले में यह समय सूचक लगा रहता है, जिससे पता चल जाता है कि बत्ती हरी कब होने वाली है, लेकिन इसके बावजूद लोगों की इस प्रवृत्ति में बदलाव नहीं आती है. इसलिए इसे कानूनन अनिवार्य बनाया जाना चाहिए.
| Tweet |