13 साल की उम्र में छोड़ा था स्कूल, बनी ‘बिजनेस वुमेन ऑफ द ईयर’

Last Updated 10 Apr 2017 11:37:05 AM IST

बिहार के सीतामढ़ी जिले में जन्मी खेमका ने 13 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया था इसके बावजूद भी उन्हें ब्रिटेन के सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.


आशा खेमका

आपने श्रीदेवी की इंग्लिश विंग्लिश फिल्म देखी होगी, जिसमें अंग्रेजी का ज्ञान ना होने पर परिवार द्वारा मजाक उड़ाए जाने के कारण वह अंग्रेजी सीखती है और अंग्रेजी में अपनी स्पीच से सबको हैरत में डाल देती है.

कुछ ऐसा ही मामला ब्रिटेन का है जहां अंग्रेजी के ज्ञान के बिना शादी के बाद यहां आई भारतीय मूल की एक शिक्षाविद् को बर्मिंघम में एक पुरस्कार समारोह में ‘एशियन बिजनेसवुमेन ऑफ द ईयर’ चुना गया है.

वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल और सीईओ 65 वर्षीय आशा खेमका को शुक्रवार को एशियन बिजनेस अवार्डस समारोह में शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया है.

बिहार के सीतामढ़ी जिले में जन्मी खेमका ने 13 वर्ष की आयु में स्कूल छोड़ दिया था और इसके बाद अंग्रेजी भाषा से उनका कोई वास्ता नहीं रहा. वह 25 साल की उम्र में अपने पति और बच्चों के साथ ब्रिटेन आ गई. उन्होंने बच्चों के टीवी कार्यक्रमों को देखकर और अन्य माताओं से बात करके अंग्रेजी सीखी.

उसके बाद  लेक्चरर बनने से पहले उन्होंने कार्डिफ विश्वविद्यालय से बिजनेस डिग्री हासिल की. फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह ब्रिटेन के सबसे बड़े कॉलेजों में से एक वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल और सीईओ बनीं.

वर्ष 2013 में तीन बच्चों की मां आशा खेमका को ब्रिटेन के सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार डेम कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ दि ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित किया गया. वर्ष 1931 में धार राज्य की महारानी लक्ष्मीदेवी बाई साहिबा के बाद वह भारतीय मूल की पहली डेम है.

शहर में मशहूर एजबस्टन क्रि केट मैदान पर आयोजित हुये इस समारोह में क्षेत्र में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एशियाई लोगों को चिह्नित करने के वास्ते मिडलैंड्स के लिए ‘एशियन रिच लिस्ट’ भी जारी की गई.

भाषा


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