ढाई से 5 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स

Last Updated 01 Feb 2017 04:54:24 PM IST

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा बुधवार को संसद में पेश किए गए आम बजट में 2.5 लाख से 5 लाख रुपये के बीच की आय वाले व्यक्तियों के लिए कराधान की मौजूदा दर को मौजूदा 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है.


केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)

इस तरह 5 लाख रुपये से कम आय वाले कर देनदारी घटकर शून्य (छूट सहित) हो जाएगी और 5 लाख सालाना आय पर कर देनदारी 50 प्रतिशत रह जाएगी. वित्तमंत्री ने इस मौके पर 2.5 लाख रुपये और 5 लाख रुपये आय स्लैब वाले सभी नागरिकों से 5 प्रतिशत कर की छोटी सी अदायगी कर राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनने की अपील की. इसके साथ ही व्यावसायिक आय से इतर 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं के लिए सिर्फ एक पृष्ठ का आयकर रिटर्न फॉर्म भरना होगा.

जेटली ने आम बजट 2017-18 पेश करते हुए कहा कि कराधान का वर्तमान बोझ मुख्यत: ईमानदार करदाताओं और वेतनभोगी कर्मचारियों पर है, जो अपनी आय को सही रूप में दर्शाते हैं. इसलिए नोटबंदी के बाद इस वर्ग के लोगों की यह उम्मीद जायज है कि उन पर से कर का बोझ कम किया जाएगा.

मंत्री ने यह भी कहा कि यदि निम्न आय स्लैब के लिए टैक्स की दर को सामान्य रखा जाता है, तो बड़ी संख्या में लोग कर दायरे में आएंगे. उन्होंने भारत के सभी नागरिकों से यह अपील की कि यदि उनकी आय 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक के सबसे निचले स्लैब के अंतर्गत आती है तो वे 5 प्रतिशत कर की छोटी सी अदायगी करते हुए राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें.

अरुण जेटली ने कहा कि सरकार कर के दायरे में ऐसे लोगों को भी लाने का प्रयास कर रही है, जो करों की चोरी कर रहे हैं. इसलिए कर दायरे को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक आय से इतर 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न के रूप में भरे जाने के लिए सिर्फ एक पृष्ठ का फॉर्म पेश करने का निर्णय लिया गया है.

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त इस श्रेणी के किसी भी व्यक्ति, जो प्रथम बार आयकर रिटर्न भरता है, को प्रथम वर्ष में तब तक किसी भी जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा, जब तक कि उसके उच्च मूल्य वाले लेन-देन के बारे में विभाग के पास विशिष्ट सूचना उपलब्ध न हो.



अपने बजट भाषण में मंत्री ने यह भी कहा कि लाभ की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए लाभार्थियों के इस समूह को उपलब्ध छूट के मौजूदा लाभ को घटाकर 2500 रुपये किया जा रहा है, जो 3.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए ही उपलब्ध है. इन दोनों उपायों का संयुक्त प्रभाव यह होगा कि प्रतिवर्ष 3 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देनदारी शून्य होगी और 3 लाख रुपये से लेकर 3.5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देनदारी मात्र 2500 रुपये होगी.

चूंकि 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं की कर देनदारी घटाकर आधी की जा रही है, इसलिए बाद के स्लैबों में आने वाले करदाताओं की सभी अन्य श्रेणियों को भी प्रति व्यक्ति 12,500 रुपये का एक समान लाभ मिलेगा. इस उपाय के फलस्वरूप सरकार द्वारा परित्यक्त की जा रही कुल कर राशि 15,500 करोड़ रुपये बनती है.

इस राहत के कारण होने वाली राजस्व हानि के कुछ भाग की प्रतिपूर्ति के लिए उन करदाताओं पर देय कर का 10 प्रतिशत अधिभार (सरचार्ज) के रूप में लगाने का प्रस्ताव किया गया है, जिनकी वार्षिक कर योग्य आय 50 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक है. इससे सरकार को 2700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने की संभावना है.

मंत्री ने कहा कि रियायतों से संबंधित प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों से 22,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा. हालांकि, अतिरिक्त संसाधन जुटाने वाले प्रस्ताव से 2700 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति को ध्यान में रखने पर प्रत्यक्ष कर में शुद्ध राजस्व नुकसान घटकर 20,000 करोड़ रुपये के स्तर पर आ जाएगा.

आईएएनएस


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