Delhi Riots 2020: उमर खालिद, शरजील इमाम और गुलफिशा की जमानत याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक टली

Last Updated 12 Sep 2025 03:04:23 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी 2020 में हुए दंगों की कथित साजिश से जुड़े यूएपीए के मामले में कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।


न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने कहा कि उन्हें फाइलें बहुत देर से मिलीं।

कार्यकर्ताओं ने दो सितंबर के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें खालिद और इमाम सहित नौ लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों की आड़ में ‘षड्यंत्रकारी’ हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती।

जिनकी जमानत खारिज की गई, उनमें खालिद, इमाम, फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं।

एक अन्य अभियुक्त तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ ने खारिज कर दी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान नागरिकों को विरोध प्रदर्शन या आंदोलन करने का अधिकार देता है, बशर्ते वे व्यवस्थित, शांतिपूर्ण और बिना हथियारों के हों और ऐसी कार्रवाई कानून के दायरे में होनी चाहिए।

हालांकि उच्च न्यायालय ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों में भाग लेने और सार्वजनिक सभाओं में भाषण देने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित है और इसे स्पष्ट रूप से सीमित नहीं किया जा सकता, लेकिन उसने यह भी कहा कि यह अधिकार ‘पूर्ण’ नहीं है और ‘उचित प्रतिबंधों के अधीन’ है।

जमानत खारिज करने के आदेश में कहा गया है, ‘‘अगर विरोध प्रदर्शन के निरंकुश अधिकार के प्रयोग की अनुमति दी जाती है, तो यह संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा और देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करेगा।’’

खालिद, इमाम और बाकी आरोपियों पर फरवरी 2020 के दंगों के कथित ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा घायल हुए थे।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।

इन आरोपियों ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। वे 2020 से जेल में हैं और अधीनस्थ अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत की गुहार लगाई थी।
 

भाषा
नई दिल्ली


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