वोटर लिस्ट में यदि अनियमितता है तो 7 दिन में शपथपत्र दें या माफी मांगे राहुल : CEC

Last Updated 18 Aug 2025 08:45:16 AM IST

निर्वाचन आयोग के खिलाफ ‘वोट चोरी’ के आरोपों के लिए राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी-CEC) ज्ञानेश कुमार (Gyanesh Kumar) ने रविवार को कहा कि कांग्रेस नेता को मतदाता सूची में अनियमितताओं के अपने आरोपों पर सात दिन के भीतर शपथपत्र देना चाहिए अन्यथा उनके ‘वोट चोरी’ के दावे ‘निराधार और अमान्य’ माने जाएंगे।


ज्ञानेश कुमार, मुख्य निर्वाचन आयुक्त

गांधी द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव में ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाने और कई विपक्षी नेताओं द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे को उठाने के बाद अपनी पहली प्रेस वार्ता में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि या तो गांधी माफी मांगें या चुनावी नियमों के तहत हस्ताक्षरित हलफनामे के साथ अपने दावों का समर्थन करें। 

उन्होंने कहा, ‘हलफनामा दें या देश से माफी मांगें। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। अगर सात दिन के भीतर शपथपत्र नहीं दिया जाता है, तो दावे निराधार और अमान्य माने जाएंगे।’ ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाते हुए, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 31 जुलाई को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रस्तुति के माध्यम से 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक वोट ‘चोरी’ हुए थे।

गांधी ने अन्य राज्यों में भी इसी तरह की अनियमितताओं का आरोप लगाया था। कई राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने गांधी से उनके दावों पर शपथपत्र दाखिल करने को कहा था लेकिन गांधी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि न तो आयोग और न ही मतदाता दोहरे मतदान तथा ‘वोट चोरी’ के आरोपों से डरते हैं।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रविवार को आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए ‘चुनाव चोरी’ करने की साजिश की जा रही है, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं होने देगा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बिहार के सासाराम से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत से पहले आयोजित सभा में यह दावा भी किया कि अब सबको पता चल गया है कि पूरे देश में ‘वोट की चोरी’ की जा रही है।

कुमार ने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी त्रुटियों को दूर करना है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ दल ‘आयोग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं।’

कुमार ने कहा, ‘यदि कोई यह सोचता है कि गलत तथ्यों के साथ प्रस्तुतीकरण देने से आयोग कार्रवाई करेगा, तो ऐसा नहीं है। निर्वाचन आयोग ऐसे गंभीर मामले में हलफनामे के बिना कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि यह कानून और संविधान के खिलाफ होगा।’

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने रविवार को स्वीकार किया कि मतदाता सूचियों में विसंगतियां हो सकती हैं और कहा कि इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका एसआईआर है। हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि किसी व्यक्ति का कई मतदाता सूचियों में नाम होने का यह मतलब नहीं है कि उसने कई बार मतदान भी किया हो।

वोटर लिस्ट से हटाए 65 लाख नाम वेबसाइट पर डाले 

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद बिहार की मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए नामों की सूची उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद जिलाधिकारियों की वेबसाइटों पर डाल दी गई है। 

चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह निर्वाचन आयोग से कहा था कि वह मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख नामों का विवरण प्रकाशित करे, साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए, ताकि प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाई जा सके।

यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि शीर्ष अदालत के निर्देश के 56 घंटे के भीतर, जिन मतदाताओं के नाम मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं थे, उन्हें जिलों की वेबसाइट पर डाल दिया गया।

कुमार ने यह भी रेखांकित किया कि भारत में संसद और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव प्रणाली कानून द्वारा परिकल्पित बहुस्तरीय, विकेन्द्रीकृत संरचना है। 
 

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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