Shubhanshu Shukla: 'मेरे कंधे पर भारत का तिरंगा... अंतरिक्ष के रास्ते से शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के लिए रवाना होकर इतिहास रच दिया है।
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने आज इतिहास रच दिया है। शुभांशु चार सदस्यीय दल का हिस्सा हैं, जो फॉल्कन-9 रॉकेट के जरिये ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में बैठकर आईएसएस(ISS) के लिए रवाना हुए हैं। वह आईएसएस का दौरा करने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं।
एक साल की कड़ी ट्रेनिंग के बाद उन्हें इस स्पेस मिशन के लिए चुना गया था।
चारों अंतरिक्ष यात्री बुधवार को एक्सिओम स्पेस द्वारा एक वाणिज्यिक मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में ड्रैगन अंतरिक्ष यान में सवार हुए।
कई बार यात्रा टलने के बाद एक्सिओम-4 मिशन ने दोपहर 12 बजकर एक मिनट पर उड़ान भरी जिसका दुनिया भर के लोगों ने स्वागत किया। वहीं शुक्ला के शहर लखनऊ स्थित ‘सिटी मोंटेसरी स्कूल’ में उनके माता पिता इस ऐतिहासिक उड़ान के गवाह बने।
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से दिया पहला संदेश
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने एक वीडियो संदेश में कहा, "नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफ़र है! हम 41 साल बाद वापस अंतरिक्ष में पहुंच गए हैं। यह एक अद्भुत सफ़र है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर मेरा तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूँ। यह मेरी यात्रा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की शुरुआत नहीं है, ये भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूँ कि आप सभी इस सफ़र का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए... आइए हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद! जय भारत!"
कक्षा में पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने नए कैप्सूल का नाम ‘ग्रेस’ बताया।
स्पेसएक्स ने चालक दल को बताया, ‘‘जो धैर्य रखते हैं उनके साथ अच्छी चीजें होती हैं। ग्रेस के पहले चालक दल को ईश्वर का आशीर्वाद मिले।’’
अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में 14 दिन बिताएंगे और अपने मिशन के दौरान 60 प्रयोग करेंगे।
वैज्ञानिक प्रयोगों के अलावा अंतरिक्ष यात्री अपने देश से जुड़ा पसंदीदा खाद्य पदार्थ भी ले जा रहे हैं, जैसे कि आम के रस के साथ भारतीय करी और चावल; हंगरी का मसालेदार पेपरिका पेस्ट और पोलैंड का फ्रीज-फ्राइड ‘पिरोगी’।
उड़ान से पहले शुक्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ‘‘वह अपने देश की एक पूरी पीढ़ी की जिज्ञासा को जगा पाएंगे और नवाचार को बढ़ावा दे पाएंगे’’।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं वास्तव में मानता हूं कि भले ही मैं एक व्यक्ति के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा कर रहा हूं, लेकिन यह 140 करोड़ लोगों (भारतीयों) की यात्रा है।’’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्सिओम-4 मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत किया और कहा कि इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की शुभेच्छाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर गए हैं।
मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हम भारत, हंगरी, पोलैंड और अमेरिका के अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर रवाना हुए अंतरिक्ष मिशन के सफल प्रक्षेपण का स्वागत करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले पहले भारतीय बनने की राह पर हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘वह अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की शुभेच्छाएं, उम्मीदें और आकांक्षाएं लेकर गए हैं। उन्हें और अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को सफलता की शुभकामनाएं।’’
आईएसएस में प्रवास के दौरान शुक्ला के कई संपर्क कार्यक्रमों में भाग लेने की संभावना है और उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत की भी उम्मीद है।
लखनऊ में जन्मे शुक्ला, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) की अंतरिक्ष यात्री पूर्व मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू व पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा हैं।
एक्सिओम-4 वाणिज्यिक मिशन का नेतृत्व कमांडर पैगी व्हिटसन कर रही हैं, जिसमें शुक्ला मिशन पायलट हैं और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू व पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की मिशन विशेषज्ञ हैं।
शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले पहले अंतरिक्ष यात्री बन गए। इससे 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने 1984 में तत्कालीन सोवियत संघ के सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन के तहत कक्षा में आठ दिनों तक प्रवास किया था।
इस मिशन के तहत प्रक्षेपण मूलतः 29 मई को होना था लेकिन फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में तरल ऑक्सीजन के रिसाव और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के पुराने रूसी मॉड्यूल में भी रिसाव होने का पता चलने के बाद पहले इसे आठ जून, फिर 10 जून और फिर 11 जून के लिए टाल दिया गया।
इसके बाद प्रक्षेपण की योजना फिर 19 जून के लिए टाल दी गई और फिर नासा द्वारा रूसी मॉड्यूल में मरम्मत कार्यों के बाद कक्षीय प्रयोगशाला के संचालन का आकलन करने के लिए प्रक्षेपण की तिथि 22 जून तय की गई।
यह मिशन फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र के ‘लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए’ से प्रक्षेपित किया गया है।
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