किसी भी हालत में जमीन पर अतिक्रमण मान्य नहीं : दिल्ली हाईकोर्ट

Last Updated 09 Jun 2025 08:53:20 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अतिक्रमणकारी केवल इस आधार पर सरकारी जमीन पर कब्जा जारी रखने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते कि उनके पुनर्वास दावों का समाधान नहीं हुआ है, क्योंकि इससे सार्वजनिक परियोजनाओं में अनावश्यक बाधा उत्पन्न होगी।


हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी डीडीए को दक्षिण दिल्ली के कालकाजी स्थित भूमिहीन कैंप में कानून के अनुसार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने की अनुमति देते हुए की।

न्यायमूर्ति धम्रेश शर्मा ने कहा, रिट याचिकाएं न केवल कई पक्षों के गलत तरीके से जुड़े होने के कारण त्रुटिपूर्ण थीं, बल्कि दिल्ली झुग्गी और झुग्गी-झोपड़ी पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन नीति द्वारा निर्धारित आवश्यक मानदंडों को भी पूरा नहीं करती थीं, जिसके आधार पर पुनर्वास और पुनस्र्थापन के लिए पात्रता तय की जाती है।

अदालत ने छह जून को सुनाए गए अपने आदेश में कहा, किसी भी याचिकाकर्ता को जेजे क्लस्टर पर लगातार कब्जा बनाए रखने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, जिससे आम जनता को नुकसान हो। अदालत ने लगभग 1200 लोगों से संबंधित याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

याचिका में डीडीए को आगे किसी भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को रोकने, स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने, और याचिकाकर्ताओं को उनकी संबंधित झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों से जबरन बेदखल न करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड को प्रभावित निवासियों का उचित और व्यापक सव्रेक्षण करने तथा 2015 की नीति के अनुसार उनका पुनर्वास करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।

हाईकोर्ट ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि याचिकाकर्ताओं को पुनर्वास की मांग करने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि यह उनके जैसे अतिक्रमणकारियों के लिए कोई पूर्ण संवैधानिक अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा, पुनर्वास का अधिकार पूरी तरह से उस प्रचलित नीति से उत्पन्न होता है, जो उन पर लागू होती है। पुनर्वास के लिए पात्रता का निर्धारण एक अलग प्रक्रिया है, जो सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाने से भिन्न है।

फैसले में कहा गया, अतिक्रमणकारी लागू नीति के तहत अपने पुनर्वास दावों के समाधान तक सार्वजनिक भूमि पर कब्जा बनाए रखने का अधिकार नहीं जता सकते, क्योंकि इससे सार्वजनिक परियोजनाओं में अनावश्यक बाधा उत्पन्न होगी।

अदालत ने हालांकि उनमें से कुछ के पुनर्वास की अनुमति दे दी और डीडीए को ईडब्ल्यूएस श्रेणी के फ्लैट आवंटित करने का निर्देश दिया। भूमिहीन कैंप में लगभग तीन दशक पुरानी झुग्गी बस्ती है, जहां उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों से आए प्रवासी रहते हैं।

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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