अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर अपनाएं दोहरी रणनीति
अमेरिका के जवाबी शुल्क लगाए जाने के बाद भारत को दोहरी नीति अपनानी चाहिए। इसके तहत अमेरिका से आयातित गैर-संवेदनशील कृषि वस्तुओं पर चुनिंदा रूप से उच्च शुल्क कम करने के साथ घरेलू आपूर्ति में कमी को पूरा करने के लिए रणनीतिक रूप से रियायतें भी देनी चाहिए।
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नीति आयोग ने ‘नई अमेरिकी व्यापार व्यवस्था के तहत भारत-अमेरिका कृषि व्यापार को बढ़ावा’ शीषर्क से जारी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के कृषि क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता की स्थिति से निपटने को लेकर उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी, 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद अमेरिकी निर्यात पर ‘जवाबी शुल्क’ की अचानक घोषणा और बाजार में पहुंच बढ़ाने से दुनियाभर में खासकर अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों को झटका लगा। इसमें कहा गया, भारत जहां घरेलू आपूर्ति में अंतर है, उसमें रणनीतिक रूप से रियायतें दे सकता है।
इनमें खाद्य तेल और बादाम, अखरोट आदि शामिल हैं। भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक है और अमेरिका के पास सोयाबीन का बहुत बड़ा निर्यात अधिशेष है, जो कि जीएम (जीन संवर्धित) है। ऐसे में भारत अमेरिका को सोयाबीन तेल के आयात में कुछ रियायत दे सकता है, ताकि उस देश में मांग को पूरा किया जा सके और घरेलू उत्पादन को नुकसान पहुंचाए बिना व्यापार असंतुलन को कम किया जा सके।
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि भारत को झींगा, मछली, मसाले, चावल, चाय, कॉफी, रबड़ जैसे उच्च प्रदर्शन वाले निर्यात के लिए अमेरिकी बाजार में अधिक पहुंच को बातचीत करनी चाहिए। भारत, अमेरिका को कृषि-निर्यात के जरिये सालाना लगभग 5.75 अरब डॉलर की कमाई करता है। शुल्क छूट के माध्यम से इसका विस्तार करना व्यापार वार्ता का हिस्सा होना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, रणनीतिक व्यापार प्रबंधन के साथ-साथ, भारत को अपने कृषि क्षेत्र की वैिक प्रतिस्पर्धी क्षमता में सुधार के लिए मध्यम अवधि के संरचनात्मक सुधार करने चाहिए। इसमें कहा गया, इनमें उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को अपनाकर उत्पादकता अंतर को पाटना, बाजार सुधार, निजी क्षेत्र की भागीदारी, लॉजिस्टिक में सुधार और प्रतिस्पर्धी मूल्य श्रृंखलाओं का विकास शामिल है। पिछले दो दशक में भारत-अमेरिका कृषि व्यापार में महत्वपूर्ण परिवर्तन और वृद्धि हुई है।
यह द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के प्रगाढ होने का संकेत है। भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार की संरचना से पता चलता है कि दोनों देश अपने निर्यात में विविधता ला रहे हैं। फ्रोजन झींगा, बासमती चावल और मसालों जैसी पारंपरिक वस्तुओं का दबदबा बना हुआ है, प्रसंस्कृत अनाज और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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