संविधान को नहीं मानते राहुल गांधी जैसे लोग, कांग्रेस ने किया बाबा साहब का अपमान : किरेन रिजिजू
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और देश में मुस्लिमों की स्थिति पर बात की।
केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू |
सवाल : 2014 से पहले और उसके बाद देश में बाबा साहब का विजन कितना अमल में लाया गया है। 2014 के पहले क्या स्थिति थी और उसके बाद कितना फर्क आया है?
जवाब : किसी भी सरकार का कामकाज पांच साल में रिव्यू होता है और फिर जनता के बीच में जाते हैं। पीएम मोदी के नेतृत्व में इतना काम हुआ है कि हम लोग काम के दम पर ही जनता का आशीर्वाद लेते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी हमारे काम को देखकर डर गई है। अगर वह काम के नाम पर लड़ेंगे, तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलेगी, तो उन्होंने बाबा साहब के नाम का गलत फायदा उठाया और संविधान को बदल देंगे जैसी झूठी बातें करके लोगों को गुमराह करने का काम किया। मैं यह कहना चाहता हूं कि बाबा साहब अंबेडकर के कामों को पीएम मोदी ने ही पहचान दिलाई है। सामाजिक न्याय और संविधान की रक्षा करने का काम पीएम मोदी ने किया है। कांग्रेस पार्टी ने संविधान पर लगातार प्रहार किया और 1975 में उन्होंने संविधान की हत्या कर दी थी। आज राहुल गांधी जैसे लोग, संविधान को मानते ही नहीं हैं। वह विदेशी ताकतों के साथ मिलकर भारत विरोधी लोगों के जाल में फस गए हैं और फिर भारत को नुकसान पहुंचाने वाली बात करते हैं। वह पीएम मोदी और हमारी सरकार को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। मैं इस पर आपत्ति दर्ज कराता हूं और कहना चाहता हूं कि संविधान की रक्षा अगर कोई कर सकता है, तो वह पीएम मोदी ही कर सकते हैं, और लोगों को संविधान पढ़ाने का काम कोई कर सकता है, तो वह पीएम मोदी ही हैं। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी संविधान की बात करते हैं, तो एक तरीके से वह संविधान का मजाक उड़ाते हैं और बाबा साहब की भी तौहीन करते हैं।
सवाल : बाबा साहब को क्यों हरवाना चाहते थे नेहरू और कांग्रेस? उन्हें किस बात का डर था?
जवाब : 1946 में एक अंतरिम सरकार बनी थी और उस दौरान बाबा साहब मंत्री बन गए थे। 1947 के बाद जब पूर्ण रूप से आजाद भारत में सरकार बनानी थी, तो उस दौरान जवाहरलाल नेहरू ने अंबेडकर के नाम को कैबिनेट में शामिल नहीं किया था, तब महात्मा गांधी ने नेहरू को कहा कि यह आपकी सरकार नहीं है, यह आपकी कैबिनेट नहीं है, बल्कि देश की कैबिनेट है, इसलिए बाबा साहब अंबेडकर को कैबिनेट में जगह मिलनी चाहिए, तो बाद में कैबिनेट में उनके नाम को शामिल किया गया। बाबा साहब पहली बार देश के कानून मंत्री बने। उसके बाद से लगातार पंडित नेहरू ने उनका अपमान किया और कैबिनेट कमेटी में कहीं भी जगह नहीं दी। बाबा साहब ने कई बार कहा भी था कि कानूनी जानकारी के अलावा वह इकोनॉमिक्स, सोशल सेक्टर और कॉमर्स समेत कई और मुद्दे हैं, जिसमें उन्होंने पढ़ाई की और ज्ञान प्राप्त किया। वह देश के लिए योगदान दे सकते हैं, लेकिन नेहरू ने बाबा साहब को कहीं भी जगह नहीं दी। इसके बाद बाबा साहब ने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद भी नेहरू और कांग्रेस के लोगों ने बाबा साहब को हराने के लिए हर संभव कदम उठाए। बाबा साहब जहां भी चुनाव लड़ने के लिए जाते थे। बाबा साहब को हराने के लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी थी, इस वजह से बाबा साहब बहुत दुखी थे। बाबा साहब अंबेडकर को 1990 में भाजपा के समर्थन से बनने वाली सरकार ने भारत रत्न से नवाजा था। कांग्रेस उनसे नफरत करती थी और वह उनके नाम को मिटा देना चाहते थे। बाद में नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री बने, तो गुजरात में संविधान यात्रा निकली और फिर जब वह प्रधानमंत्री बनें तो वह दिल्ली आए और प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया।
सवाल : कांग्रेस ने बाबा साहेब को भारत रत्न क्यों नहीं दिया?
जवाब : एक मूल बात समझनी होगी, जब बाबा साहब अंबेडकर को कैबिनेट में लाया गया, तो उस समय भारत में सबसे पढ़ा लिखा और कानून के क्षेत्र में सबसे बड़ा विद्वान उनके अलावा कोई और नहीं था। पंडित नेहरू बाबा साहब का मुकाबला नहीं कर सकते थे। बाबा साहब का कद बहुत ही ऊंचा है, बाबा साहब के नाम को मिट्टी में मिलने के लिए कांग्रेस पार्टी और जवाहरलाल नेहरू ने हर संभव प्रयास किया है, इसलिए बाबा साहब को पार्लियामेंट में नहीं आने देने के लिए कांग्रेस ने हर कदम उठाए और जब उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें अपमानित करने का सिलसिला चलता रहा। अंततः 1956 में उन्होंने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को अपना लिया। पंडित नेहरू को डर था कि बाबा साहब को अगर मौका मिला, तो देश में उनका कद और भी ऊंचा हो जाएगा, इसलिए बाबा साहब बाबा अंबेडकर को कांग्रेस पार्टी ने कभी भी भारत रत्न से नहीं नवाजा और उनके कामकाज को देश के सामने आने का भी मौका नहीं दिया, इसलिए मैं कहता हूं कांग्रेस पार्टी ने नेहरू से लेकर अब तक जितने भी प्रधानमंत्री दिए हैं, किसी ने नहीं सोचा होगा कि बाबा साहब को भी सम्मानित करना चाहिए।
सवाल : कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार पर संविधान बदलने का आरोप लगाती है?
जवाब : कांग्रेस पार्टी को जो ताकत मिल रही है, उसके पीछे माओवादियों का हाथ है, जो देश में कांग्रेस को सपोर्ट दे रहे हैं और विदेश में कई ऐसी ताकतें हैं, जो अलग-अलग तरीके से कांग्रेस को समर्थन देती हैं। राहुल गांधी अगर भारत को नुकसान पहुंचाने और कमजोर करने के लिए कुछ बोलते हैं, तो वे तुरंत ही उनकी बात को आग की तरह फैला देते हैं। कांग्रेस में खुद में दम नहीं है, वह भारत विरोधी ताकतों को साथ मिलकर काम कर रहे हैं, लेकिन हम उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे और पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण किताब देश का संविधान है।
सवाल : बाबा साहब के बाद किसी बौद्ध धर्म से जुड़े शख्स को देश में दोबारा कानून मंत्री बनने में इतना समय क्यों लगा?
जवाब : जब मुझे कानून मंत्री बनाया गया, तो हमने यह महसूस किया कि बाबा साहब के इस दुनिया से जाने के इतने साल बाद किसी बौद्ध धर्म के शख्स को कानून मंत्री बनने का मौका मिला। मैं समझता हूं कि पीएम मोदी ने माइनॉरिटी, एससी-एसटी समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए यह एक तोहफा दिया। मैं जब कानून मंत्री बनकर उस कुर्सी पर बैठा, जिस पर कभी बाबा साहब बैठा करते थे, तो मुझे उनके जीवन से जुड़ी कठिनाइयों को जानने का मौका मिला। मैं समझता हूं कि हम बाबा साहब के सपने को हर संभव पूरा करने का काम करेंगे, इसलिए पीएम मोदी ने बाबा साहब के नाम से पांच तीर्थ स्थल शुरू किए हैं।
सवाल : आप राहुल गांधी को बाबा साहब का दुश्मन क्यों कहते हैं?
जवाब : राहुल गांधी उस परिवार से आते हैं, जिस परिवार ने संविधान की हत्या की और बाबा साहब को अपमानित किया। जिस परिवार और पार्टी ने बाबा साहब का अपमान किया हो, उसने भारत के संविधान की हत्या करके उसे धूल में मिला दिया। कांग्रेस ने संविधान को बदलने के लिए हर बार कदम उठाया है। राजीव गांधी ने पार्लियामेंट में खड़े होकर कहा था कि ओबीसी को रिजर्वेशन नहीं देना चाहिए, कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली में भी पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एससी-एसटी रिजर्वेशन का विरोध किया था। लेकिन, बाबा साहब के चलते आज हमें रिजर्वेशन मिल पाया है।
सवाल : क्या कांग्रेस ने मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया?
जवाब : कांग्रेस पार्टी ने मुसलमान को एक वोट बैंक बनाया, वह खुद कहते हैं कि जब इलेक्शन होता है, तो उसका 15 परसेंट मुस्लिम वोट रिजर्व है, तो यह सच कितना गंदा है। कांग्रेस पार्टी मुसलमान को वोट बैंक के तहत देखती है। यह मुसलमानों के लिए भी बहुत बड़ा नुकसान है और ऐसे में उनका भला कैसे होगा। अगर आप किसी को गारंटी में ले लेते हैं, इसके लिए तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। हमको तो वोट देना ही है, तो यह तो बहुत गलत सोच है। कांग्रेस की प्लानिंग का हिस्सा है कि मुसलमानों को वोट बैंक बनाकर रखो और हिंदुओं को बांटो। इसलिए आजकल राहुल गांधी के मुंह से एससी-एसटी और ओबीसी निकलता है, जबकि उनको इसकी एबीसीडी की भी जानकारी नहीं है। पहले उन्होंने मुसलमानों को वोट बैंक बनाया, और अब एसटी-एससी और ओबीसी को विभाजित करके वोट हासिल करना चाहते हैं।
सवाल : क्या है कांग्रेस का वोट बैंक और इसके पीछे क्या है मकसद?
जवाब : कांग्रेस ने इतने सालों तक मुसलमान को वोट बैंक बनाकर रखा है और गरीब बना दिया। अब राहुल गांधी हमारे बौद्ध, एसटी-एससी और ओबीसी समाज को वोट बैंक बनाना चाहते हैं। हम यह कैसे मंजूर कर सकते हैं।
सवाल : राहुल गांधी के नेता प्रतिपक्ष के 100 दिनों को कैसे देखते हैं?
जवाब : राहुल गांधी जब विपक्ष के नेता बने, तो मुझे लगता कि सुधर जाएंगे, मगर वह तो और भी बिगड़ गए हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री को बोलने नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री के भाषण के समय में वह वेल में कूद गए। क्या भारत के इतिहास में किसी प्रधानमंत्री के बोलते समय ऐसा व्यवधान डाला गया है। राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन गए हैं और उन्हें अब सुधर जाना चाहिए। मगर वह देश विरोधी बातें करते हैं और देश विरोधियों के साथ खुलेआम घूमते हैं। अमेरिका में जाकर उन्होंने भारत को गाली दी। वह भारत को बदनाम करने का काम कर रहे हैं, यह कितने अफसोस की बात है।
सवाल : पूर्वोत्तर को लेकर विपक्ष के आरोपों पर क्या है आपका रुख?
जवाब : कांग्रेस ने 60 सालों तक पूर्वोत्तर के राज्यों को अंधेरे में रखने का काम किया। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा उग्रवादी संगठन नॉर्थ ईस्ट में हैं। यह कैसे पैदा हो गए और कोई सुनने वाला क्यों नहीं था। पहले पूर्वोत्तर के लोगों का दिल्ली में कोई नहीं था, लेकिन मोदी जी के आने के बाद 10000 से ज्यादा मिलिटेंट ने हथियार के साथ सरेंडर किया और वह मुख्यधारा से जुड़ गए। मणिपुर में दो समुदायों के बीच एक घटना हुई और उसको छोड़ कर पूरे नॉर्थ ईस्ट में शांति है और अभी जिस तेजी के साथ नॉर्थ ईस्ट आगे बढ़ रहा है, कुछ सालों के बाद विकास के मामले में हम देश के अन्य राज्यों के बराबर पहुंच जाएंगे।
सवाल : हरियाणा और जम्मू-कश्मीर एग्जिट पोल पर क्या है आपकी राय?
जवाब : चुनाव में हार जीत तो लोकतंत्र का हिस्सा है, लेकिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने की अहमियत कांग्रेस और देश विरोधी ताकतें कभी समझ में नहीं आएगा। एक ही देश में दो संविधान कैसे मंजूर कर सकते हैं। कांग्रेस और एनसी वाले बोलते हैं कि सत्ता में आएंगे तो अनुच्छेद 370 को वापस लाएंगे और अलग से संविधान बनाएंगे। हमारे देश का सामान्य से सामान्य नागरिक यह कैसे मंजूर कर सकता है।
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