Happy Independence Day 2024: आज धूमधाम से मनाया जा रहा है स्वतंत्रता दिवस, पीएम ने लाल किले के प्राचीर से साझा किए देशवासियों के सुझाव

Last Updated 15 Aug 2024 09:31:38 AM IST

Happy Independence Day 2024: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार 11वीं बार लाल किले के प्राचीर से ध्वजारोहण किया। इस दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा हुई। पीएम ने विशाल जनसमूह को संबोधित किया । उन्होंने इस दिवस को आजादी के दीवानों को याद करने का पर्व माना।


लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

पीएम मोदी ने कहा, युवा हो, बुजुर्ग हो.. गांव के लोग हों. शहर के लोग हैं, कामदार हों, दलित हो, आदिवासी हो, जंगल में रहने वाले लोग हों। हर किसी ने 2047 में विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं। मैं जब इन्हें देखता था तो काफी खुश होता था। कुछ लोगों ने कहा कि दुनिया का स्टील कैपिटल बनना जरूरी है।

कुछ लोगों ने भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने भारत की यूनिवर्सिटी को ग्लोबल बनाने के लिए सुझाव दिया। कुछ लोगों ने कहा कि क्या आजादी के इतने सालों बाद मीडिया ग्लोबल नहीं होना चाहिए। लोगों ने सुझाव दिया कि भारत को जल्द से जल्द जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहिए।

कई लोगों ने सुझाव दिया कि हमारे किसान जो मोटा अनाज उगाता है...उसे हर घर तक पहुंचाना है… विश्व के पोषण को भी बल देना है, किसानों को सशक्त करना है… लोगों ने सुझाव दिया कि सरकारी रीफॉर्म की जरूरत है…कुछ लोगों ने माना कि न्याय के प्रति जो विलंब हो रहा है… उसमें परिवर्तन की जरूरत है…. किसी ने बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाओं के बीच कई अभियान चलाने की अपील की… लोगों ने सपना देखा है कि भारत का स्पेस स्टेशन जल्द से जल्द बनना चाहिए…. कोई कहता है कि अब देर नहीं होनी चाहिए… भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनना होगा।

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। संबोधन की शुरुआत में उन्होंने कहा,'आज हम उन असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, जिन्होंने हमें एक स्वतंत्र देश दिया, हम आज उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत 2047 संकल्प को महज भाषण के शब्द नहीं बताया बल्कि उन्होंंने भारत वासियों से मिले सुझावों को भी पढ़ा। उन सुझावों को पीएम ने पढ़ा। उन्होने कहा, कुछ लोग चाहते हैं कि देश जब अपना आजादी का 100वां साल मानाएगा, 2047 तक भारत दुनिया में स्किलफुल देश के रूप में पहचाना जाना चाहिए। कुछ ने मैनुफैक्चरिंग हब बनाने पर जोर दिया। तो कुछ ने ग्लोबल मीडिया की बात की... भारत के विश्वविद्यालयों को ग्लोबल बनाना होगा। तो तीसरे खत में कहा- किसानों के मोटा आनाज को दुनिया के हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है। देश के किसानों को मजबूत बनाना होगा।

इसके साथ ही पीएम ने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं में नुकसान झेलने वाले लोगों को याद किया। उन्होंने कहा, हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा के कारण हम चिंतित हैं, कई लोगों ने अपने प्रियजनों, अपनी संपत्ति को खो दिया है, हम उनके साथ एकजुटता से खड़े हैं।' पीएम मोदी ने कहा कि जब हम 40 करोड़ थे, तब हमने महासत्ता को हरा दिया था। आज तो हम 140 करोड़ हैं।

संबोधन से पहले पीएम मोदी को स्वदेशी 105 एमएम लाइट फील्ड गन से 21 तोपों की सलामी दी गई। समारोह में करीब 6000 स्पेशल अतिथियों को आमंत्रित किया गया। कार्यक्रम में खासतौर पर अटल इनोवेशन मिशन जैसी पहलों से जुड़े लोग, मेरा युवा भारत के वॉलंटियर्स, आदिवासी समुदाय के लोग और किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

पीएम ने कही यूनिफॉर्म सिविल कोड, वन नेशन वन इलेक्शन की बात

इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात कही है। 'वन नेशन वन इलेक्शन' पर भी अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री ने राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद समाप्त करने और 1 लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाने की बात कही जिनके परिवार का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड न हो।  

यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है। अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और उसमें सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर के हम जी रहे हैं वह सिविल कोड एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है। भेदभाव करने वाला सिविल कोड है।

प्रधानमंत्री ने कहा, देश की आजादी को 75 साल हो चुके हैं ऐसे में देश में कम्युनल सिविल कोड लागू नहीं होना चाहिए। संविधान की भावना हमें कहती है यह करने के लिए। देश की सुप्रीम कोर्ट जो हमें कहती है करने के लिए। जो देश के संविधान निर्माता का सपना था उस सपने को पूरा करना हम सब का दायित्व है।

आगे बोले, मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर देश में चर्चा हो। व्यापक चर्चा हो। हर कोई अपने विचार को लेकर के आए। उन कानूनों को जो कानून के धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, जो ऊंच नीच का कारण बन जाते हैं, ऐसे कानून का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा, मैं तो कहूंगा कि अब समय की मांग है कि देश में एक सेकुलर सिविल कोड हो हमने एक कम्युनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं। अब हमें सेकुलर सिविल कोड की ओर जाना होगा, तब जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं, सामान्य नागरिक को जो दूरी महसूस होती है उससे हमें मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने 'वन नेशन वन इलेक्शन' की बात भी लाल किले की प्राचीर से की।

उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए देश को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि बार-बार आने वाले चुनाव इस देश की प्रगति में रुकावट उत्पन्न करते हैं। आज कोई भी योजनाओं को चुनाव के साथ जोड़ना आसान हो गया है। क्योंकि हर 3 महीने 6 महीने बाद चुनाव होते हैं। हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है इसलिए देश ने व्यापक चर्चा की है।

सभी राजनीतिक दलों ने अपने विचार रखे हैं। मैं लाल किले से तिरंगे को साक्षी रखते हुए देश के राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं। संविधान को समझने वाले लोगों से आग्रह करता हूं कि भारत की तरक्की के लिए, भारत के संसाधनों का सर्वाधिक उपयोग जन सामान्य के लिए हो सके, इसके लिए वन नेशन वन इलेक्शन के लिए हमें आगे आना चाहिए।

प्राकृतिक आपदा चिंता का विषय, देश पीड़ितों के साथ खड़ा है

पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश के अलग-अलग हिस्सों में आई प्राकृतिक आपदा को चिंता का विषय बताते हुए कहा कि यह देश पीड़ितों के साथ खड़ा है।  

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर गुरुवार को लगातार 11वीं बार लाल किले पर ध्वजारोहण के बाद देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वर्ष और पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदा के कारण हम सब की चिंता बढ़ती चली जा रही है।

प्राकृतिक आपदा में अनेक लोगों ने अपने परिवारजन खोए है, संपत्ति खोई है, राष्ट्र ने भी बार-बार नुकसान भोगा है। मैं आज उन सब के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि यह देश इस संकट की घड़ी में उन सब के साथ खड़ा है।

इससे पहले लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने देश को आज़ादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को नमन भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि, आज वह शुभ घड़ी है जब हम देश के लिए मर मिटने वाले, देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले, आजीवन संघर्ष करने वाले, फांसी के तख्ते पर चढ़कर भारत माता की जय का नारे लगाने वाले अनगिनत आजादी के दीवानों को हम नमन कर रहे हैं।

आजादी के दीवानों ने आज हमें आजादी के इस पर्व में स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। यह देश उनका ऋणी है और ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपनी श्रद्धा भाव व्यक्त करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज जो महानुभाव राष्ट्र रक्षा के लिए और राष्ट्र निर्माण के लिए पूरी लगन से, पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश की रक्षा भी कर रहे हैं। देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास भी कर रहे हैं।

चाहे वह हमारा किसान हो, हमारा जवान हो, हमारे नौजवानों का हौसला हो, हमारे माता-बहनों का योगदान हो, दलित, शोषित, वंचित या पीड़ित हो,अभावों के बीच भी स्वतंत्रता के प्रति उसके निष्ठा, लोकतंत्र के प्रति उनकी श्रद्धा यह पूरे विश्व के लिए एक प्रेरक घटना है। मैं आज ऐसे सभी को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

उन्होंने 1857 से पहले भी देश में आजादी के लिए चलाए गए कई आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि सैकड़ों साल की गुलामी और उसका हर कालखंड संघर्ष का रहा। युवा हो, किसान हो, महिला हो या आदिवासी हों,वो गुलामी के खिलाफ जंग लड़ते रहे। इतिहास गवाह है, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पूर्व भी हमारे देश के कई आदिवासी क्षेत्र थे, जहां आजादी की जंग लड़ी जा रही थी।

विकसित भारत 2047 केवल आशा नहीं, इसके पीछे कठोर परिश्रम

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर लाल किले की प्राचीर से विकसित भारत 2047 का उल्लेख किया। उन्होंने देशवासियों से कहा कि विकसित भारत 2047 केवल आशा के शब्द नहीं है, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। उन्होंने आम देशवासियों की भारत को विकसित देखने की इच्छा का जिक्र किया।  

प्रधानमंत्री ने कहा मुझे प्रसन्नता है कि देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए। देशवासियों के सपने, संकल्प उसमें दिखते हैं। युवा, गरीब, आदिवासी, ग्रामीण, शहरी, किसान, कामगार, ने विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं। मैने जब इन सुझावों को देखा था मन प्रसन्न हो जाता था।

कुछ लोगों ने भारत को दुनिया का स्किल कैपिटल बनाने का प्रस्ताव हमारे सामने रखा। कुछ लोगों ने मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने का प्रस्ताव रखा। कुछ लोगों ने भारत के हमारे विश्वविद्यालयों को ग्लोबल बनाया जाए इसका सुझाव दिया। कई लोगों ने ग्लोबल मीडिया के सुझाव दिए। कुछ लोगों ने जीवन की हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने मोटा अनाज जिसे श्री अन्न कहा जाता है, सुझाव दिया कि ऐसे सुपर फूड को दुनिया की हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है। इसके अलावा कई लोगों ने यह सुझाव दिए की देश में स्थानीय स्वराज संस्थाओं से लेकर अनेक इकाइयां हैं, उन सब में गवर्नेंस के रिफॉर्म की बहुत जरूरत है।

न्याय के अंदर होने वाले विलंब को लेकर कई देशवासियों ने अपनी चिंता जताई और लिखा कि हमारे देश में न्याय व्यवस्था में रिफॉर्म की बहुत बड़ी जरूरत है। किसी ने प्राकृतिक आपदा को लेकर लिखा। इसको लेकर शासन प्रशासन में कैपेसिटी बिल्डिंग को लेकर अभियान चलाने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि कई लोगों ने लिखा कि अंतरिक्ष में भारतीय स्पेस स्टेशन बने। प्रधानमंत्री ने बताया कि हमारे देश के सामान्य नागरिकों ने यह सुझाव हमें दिए। कई लोगों ने भारत की पारंपरिक औषधी को लेकर लिखा। कई लोगों ने कहा कि अब देर नहीं होनी चाहिए भारत जल्द से जल्द दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं समझता हूं जब देशवासियों के इतने बड़े सपने हो तब हमारे अंदर एक नया संकल्प बन जाता है।

हमारे मन में आत्मविश्वास एक नई ऊंचाई पर पहुंच जाता है। देशवासियों का यह भरोसा केवल इंटेलेक्चुअल डिबेट नहीं है, यह भरोसा अनुभव से निकला है। यह विश्वास लंबे कालखंड की पैदावार है। प्रधानमंत्री ने कहा, जब लाल किले से कहा जाता है कि हिंदुस्तान के 18 हजार गांवों में तय समय सीमा में बिजली पहुंचाएंगे, और इन गांव में बिजली पहुंच जाती है तो भरोसा मजबूत हो जाता है।

जब यह तय होता है कि आजादी के इतने साल बाद भी ढाई करोड़ परिवार ऐसे हैं जहां बिजली नहीं है जो अंधेरे में जिंदगी गुजारते हैं। ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंच जाती है तो सामान्य मानवी का भरोसा बढ़ जाता है। जब लाल किले से स्वच्छ भारत की बात कही जाती है। तब हर परिवार के अंदर स्वच्छता का वातावरण बन जाए, स्वच्छता की चर्चा हो, स्वच्छता के संदर्भ में एक दूसरे को टोकने का निरंतर प्रयास चलता रहे, प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं समझता हूं यह भारत के लिए नई चेतना का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत 3 करोड लोगों को स्वच्छ जल पहुंचने का जिक्र भी लाल किले से किया।

उन्होंने कहा कि जब लाल किले से यह है कहां जाए कि हमारे 3 करोड़ परिवार ऐसे हैं जिनके घर में नल से जल मिलता है। आवश्यक है हमारे परिवारों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचे। जल जीवन मिशन के तहत कम समय में नए 12 करोड़ परिवारों को जल जीवन मिशन के तहत नल से जल पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कौन लोग वंचित थे, इन व्यवस्थाओं से कौन पीछे रह गए थे। उन्होंने कहा कि समाज की अग्रिम पंक्ति के लोग इन अभावों में नहीं जीते थे बल्कि दलित, पीड़ित, शोषित, आदिवासी झोपड़ी वाले में रहने वाले लोग इन अभावों में जी रहे थे। हमने अनेक ऐसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जो प्रयास किया है उनका परिणाम मिला है।

शिक्षा के क्षेत्र में फिर से सदियों पुरानी 'स्पिरिट' को जगाना होगा

पीएम ने स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में नई शिक्षा नीति व नालंदा विश्वविद्यालय का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिहार में गौरव का इतिहास रहा है, यहां हमने नालंदा यूनिवर्सिटी का पुर्ननिर्माण किया है। नालंदा यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर से काम करना शुरू कर दिया है। लेकिन हमें शिक्षा के क्षेत्र में फिर से एक बार सदियों पुरानी उस नालंदा स्पिरिट को जगाना होगा।  

नालंदा स्पिरिट को जीना होगा, उस नालंदा स्पिरिट को लेकर के बड़े विश्वास के साथ विश्व की ज्ञान की परंपराओं को नई चेतना देने का काम करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा की नई शिक्षा नीति पर कई राज्यों ने अच्छे कदम उठाए हैं। इसके कारण 21वीं सदी के अनुरूप अपनी शिक्षा व्यवस्था को जो हम बल देना चाहते हैं और विकसित भारत के लिए जिस प्रकार से मानव समूह को तैयार करना चाहते हैं उसमें नई शिक्षा नीति की बड़ी भूमिका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं नहीं चाहता हूं कि मेरे देश के नौजवानों को अब विदेशों में पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़े। मध्यवर्गीय परिवार जब अपने बच्चों को विदेश में पढ़ने भेजते हैं तो लाखों करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं। हम ऐसी व्यवस्था स्थापित करना चाहते हैं जिससे हमारे देश के नौजवानों को पढ़ने के लिए विदेश जाना न पड़े। मध्यमवर्गीय परिवारों को लाखों करोड़ों रुपए खर्च न करने पड़े। इतना ही नहीं ऐसे संस्थानो का निर्माण हो कि विदेश के छात्र भारत में पढ़ने के लिए आए।

प्रधानमंत्री ने देश के सभी शिक्षण संस्थानों को संबोधित करते हुए कहा की भाषा के कारण हमारे देश के टैलेंट के आगे रुकावट नहीं आनी चाहिए। शिक्षा नीति ने मातृभाषा पर बल दिया है। भाषा अवरोध नहीं होनी चाहिए। मातृभाषा का समर्थन हमारे देश के युवा, गरीब मां के बेटे को भी सपने पूरे करने की ताकत देता है। मातृभाषा पर हमें बल देना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए कहा कि हमें नई ऊंचाइयों, नए जोश के साथ आगे बढ़ाना है। जो हो गया है, हम उसका संतोष मानकर बैठने वाले लोग नहीं है, यह हमारे संस्कार में नहीं है। हम नई ऊंचाइयों को पार करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं। विकास को समृद्धि को साकार करने के लिए, संकल्प को लेकर जीवन खपाने को हम अपना स्वभाव बनाना चाहते हैं, देशवासियों का स्वभाव बनाना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विश्व में जिस प्रकार का बदलाव नजर आ रहा है उसमें स्किल का महत्व बहुत बढ़ जाता है। हम स्किल को और एक नई ताकत देना चाहते हैं। हम स्किल डेवलपमेंट चाहते हैं। हम जीवन के हर क्षेत्र में, हम एग्रीकल्चर सेक्टर में कैपेसिटी बिल्डिंग करके स्किल डेवलपमेंट चाहते हैं। चाहे सफाई का क्षेत्र हो उसमें भी एक नए स्किल डेवलपमेंट की ओर बल देना चाहते हैं।

हम स्किल इंडिया प्रोग्राम को बहुत व्यापक रूप से इस बार लेकर आए हैं। इस बजट में इंटर्नशिप पर भी हमने बल दिया है। ताकि हमारे नौजवानों को एक अनुभव मिले। बाजार में उनकी ताकत दिखाई दे। मैं इस प्रकार से इसके लिए युवाओं को तैयार करना चाहता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व की परिस्थिति को देखते हुए भारत का स्किल मैनपॉवर जो है ग्लोबल जॉब मार्केट में हम उस सपने को लेकर आगे चल रहे हैं।

पंचायत से लेकर केंद्र तक, आम लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए मिशन मोड में काम करें सरकारें

प्रधानमंत्री ने पंचायत से लेकर केंद्र तक, सरकार के सभी स्तरों से आम लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए मिशन मोड में काम करने का आग्रह किया है। लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पंचायत स्तर से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक देश में 3 लाख के लगभग संस्थाएं काम कर रही हैं।  

पीएम ने कहा, चाहे वो पंचायत हो, नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो, महानगर पालिका हो, यूटी हो, राज्य हो, जिला हो या केंद्र हो। मैं अपनी इन 3 लाख इकाइयों से आह्वान करता हूं कि आप साल में अपने स्तर पर सामान्य मानव के लिए 2 रिफॉर्म करें और उसको जमीन पर उतारें। वह हर स्तर पर जनप्रतिनिधियों से चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हो, आह्वान करते हैं कि हम सबको मिशन मोड में आम लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए, ईज ऑफ लिविंग के लिए काम करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि, मैं अपने युवाओं को भी कहना चाहता हूं कि वे अपनी दिक्कतों के बारे में सरकार को बताए,चिट्ठी लिखे। हर सरकार चाहे वो राज्य की हो या केंद्र की , संवेदनशील है और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि,लोगों के जीवन में सरकार का दखल कम हो, इस दिशा में भी हमने काम किया है।हमने देशवासियों के लिए 1,500 से ज्यादा कानूनों को खत्म कर दिया, ताकि कानूनों के जंजाल में देशवासियों को फंसना न पड़े।

सदियों से हमारे पास जो क्रिमिनल कानून थे, उन्हें हम न्याय संहिता के रूप में लाए हैं।इसके मूल में 'दंड नहीं, नागरिक को न्याय' के भाव को हमने प्रबल बनाया है।मैं हर स्तर पर सरकार के प्रतिनिधियों और जन-प्रतिनिधियों से आग्रह करता हूं कि हमें मिशन मोड में ईज ऑफ लिविंग के लिए कदम उठाने चाहिए। जहां सरकार की जरूरत हो वहां अभाव न हो और जहां सरकार की जरूरत नहीं है वहां सरकार का प्रभाव न हो,ऐसी व्यवस्था हमें बनानी है।

हमने बड़े रिफॉर्म्स जमीन पर उतारे हैं। गरीब हो, मध्यम वर्ग हो, वंचित हो, हमारी बढ़ती शहरी आबादी हो या हमारे नौजवानों के संकल्प हो, इन सभी के जीवन में बदलाव लाने के लिए हमने रिफॉर्म का मार्ग चुना।मैं देशवासियों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि रिफॉर्म के प्रति हमारी प्रतिबद्धता देश को मजबूती देने के इरादे से है।

रिफॉर्म का हमारा मार्ग आज ग्रोथ का ब्लूप्रिंट बना हुआ है। हम यह रिफॉर्म कोई राजनीतिक गुणा भाग के नजरिए से नहीं कर रहे हैं बल्कि हमारा एक ही संकल्प होता है - नेशन फर्स्ट। मेरा भारत महान बने, इसी संकल्प को लेकर हम कदम उठाते हैं। हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए अनेक रिफॉर्म किए।आज उसके कारण हमारे बैंक विश्व के अग्रणी बैंकों में अपना स्थान बना चुके हैं। जब बैंक मजबूत होते हैं, तो फॉर्मल इकोनॉमी की ताकत भी बढ़ती है।

जिस प्रकार के कारनामे पहले हुए थे, उसके कारण हमारे बैंक संकटों से गुजर रहे थे। हमने बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए अनेक रिफॉर्म किए और आज उसके कारण हमारे बैंक विश्व के गिने-चुने मजबूत बैंकों में शामिल हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा, दुर्भाग्य से हमारे देश में आजादी के बाद लोगों को एक प्रकार के माई-बाप कल्चर से गुजरना पड़ा- सरकार से मांगते रहो, सरकार के सामने हाथ फैलाते रहो।

किसी की सिफारिश के लिए रास्ते खोजने रहो, यही कल्चर था। लेकिन आज हमने गवर्नेंस के इस मॉडल को बदला। आज सरकार खुद लाभार्थी और हितार्थी के पास जाती है।आज सरकार खुद उसके घर तक गैस का चूल्हा, पानी, बिजली और आर्थिक मदद पहुंचाती है। आज सरकार खुद नौजवानों के कौशल विकास के लिए अनेक कदम उठा रही है।

10 साल के भीतर देशवासियों के सपनों को नई धार मिली है, आत्मविश्वास बढ़ा है। विश्व में भारत की साख बढ़ी है। यह भारत के लिए स्वर्ण युग है। वैश्विक परिस्थितियों की तुलना में भी देखें तो भारत के लिए यह स्वर्ण युग है। यह हमारा स्वर्णिम कालखंड है ,मेरे देशवासियों यह अवसर हमें जाने नहीं देना है और इसी मौके को पकड़ कर 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे। आज देश में नए अवसर बने हैं, तो मैं कह सकता हूं कि 2 चीजें और हुई हैं, जिन्होंने विकास को एक नई गति दी है, विकास को नई छलांग दी है । हमने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने की दिशा में बहुत बड़े कदम उठाए हैं।दूसरी तरफ सामान्य आदमी के ईज ऑफ लिविंग पर भी उतना ही बल दिया है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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