Natwar Singh Passes Away: पीएम मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के निधन पर जताया दु:ख
Natwar Singh Passes Away: पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह (Natwar Singh) के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने दुख जताया है।
![]() प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी |
उनकी कूटनीति और विदेश नीति की प्रशंसा करते हुए उनके लेखन को भी सराहा है। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार (10 अगस्त) रात निधन हो गया। गुरुग्राम के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
नटवर सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। लिखा- “नटवर सिंह जी के निधन से बहुत दुःख हुआ। उन्होंने कूटनीति और विदेश नीति की दुनिया में बहुत बड़ा योगदान दिया। वे अपनी बुद्धिमता के साथ-साथ विपुल लेखन के लिए भी जाने जाते थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
वहीं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नटवर सिंह के निधन पर दु:ख जताते हुए कहा, “प्रतिष्ठित राजनयिक और पूर्व विदेश मंत्री के नटवर सिंह के निधन से बहुत दुःख हुआ। उनके कई योगदानों में जुलाई 2005 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका शामिल है। उनके लेखन, विशेष रूप से चीन पर, हमारी कूटनीति में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। उनके परिवार के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
Pained by the passing away of Shri Natwar Singh Ji. He made rich contributions to the world of diplomacy and foreign policy. He was also known for his intellect as well as prolific writing. My thoughts are with his family and admirers in this hour of grief. Om Shanti. pic.twitter.com/7eIR1NHXgJ
— Narendra Modi (@narendramodi) August 11, 2024
बता दें कि नटवर सिंह ने 2004-05 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में बतौर विदेश मंत्री अपनी सेवाएं दी थीं। इससे पहले वो एक नौकरशाह थे। उन्हें 1953 में भारतीय विदेश सेवा के लिए चुना गया था, जिसे उन्होंने 1984 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया । फिर वो कांग्रेस के टिकट पर राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़े और लोकसभा सांसद बने।
1985 में, उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई और उन्हें इस्पात, कोयला और खान तथा कृषि विभाग आवंटित किए गए। 1986 में, वे विदेश मामलों के राज्य मंत्री बने। उन्होंने पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी काम किया।
उनको 1987 में न्यूयॉर्क में आयोजित निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का अध्यक्ष चुना गया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया था।
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