सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय रेप पीड़िता को 30 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी

Last Updated 22 Apr 2024 01:22:55 PM IST

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय एक दुष्कर्म पीड़िता को 30 हफ्ते का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी।




सुप्रीम कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट ने पीड़िता को गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दी थी। बीते शुक्रवार को पीड़िता की माँ ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने डॉक्टरों के एक्सपर्ट पैनल के नेतृत्व में पीड़िता की प्रेग्नेंसी को खत्म करने का निर्देश दिया। बता दें कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम के तहत गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है। इनमें बलात्कार पीड़िताओं और कुछ अन्य महिलाओं जैसे कि विकलांग और नाबालिग को शामिल किया गया है।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई की थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय कथित दुष्कर्म पीड़िता की मेडिकल जांच का आदेश दिया था। मामले में नाबालिग की मां ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें गर्भावस्था को काफी समय हो जाने के कारण गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने शुक्रवार को ही पीड़िता की ओर से तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को लेकर भेजे गए एक ई-मेल पर गौर किया। इसके बाद मामले की तत्काल सुनवाई के लिए शाम करीब साढ़े चार बजे कार्यवाही शुरू हुई। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं।

पीठ ने मुंबई के सायन अस्पताल से पीड़िता की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। पीठ ने कहा था कि अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक एक मेडिकल बोर्ड का गठन करेंगे और इसकी रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 22 अप्रैल को अदालत के समक्ष रखी जाएगी। मामले पर सोमवार को 10.30 बजे सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि नाबालिग 30 सप्ताह की गर्भवती है और फिलहाल मुंबई में है।
 

 

सहारा समय लाईव
नई दिल्ली


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