चीन ने समझौतों की अनदेखी कर सैन्य बल तैनात किया: विदेश मंत्री जयशंकर

Last Updated 27 Feb 2024 08:07:53 AM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने सोमवार को कहा कि भारत और चीन तरक्की कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में दोनों देश वैश्विक व्यवस्था को बदल रहे हैं।


विदेश मंत्री एस जयशंकर

जयशंकर ने विगत वर्षों में मामल्लापुरम और वुहान में दोनों देशों के नेतृत्व के बीच हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि भारत ने कूटनीति के माध्यम से संबंधों में "संतुलन" बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन के तहत चीन के सैन्य जमावड़े के बाद दोनों देशों के संबंधों ने एक अलग मोड़ ले लिया।

एक मीडिया शिखर सम्मेलन में विदेश मंत्री ने वैश्विक भूराजनीतिक परिदृश्य में भारत और चीन के उदय को "महत्वपूर्ण" बताया।

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ''आप पिछले 20-25 वर्षों में बदली हुई तीन से चार बड़ी चीजों की सूची बनाएं तो ज्यादातर लोग इस बात से सहमत होंगे कि यह चीन का उदय और भारत का उदय होगा।''

विदेश मंत्री ने कहा, ''आप कह सकते हैं कि चीन ने इन चीजों को बहुत पहले ही शुरू कर दिया था क्योंकि हमारी अपनी राजनीति ने यहां सुधार के युग में देरी की। ठीक है, जो हो गया सो हो गया, लेकिन इस पर कोई सवाल नहीं है कि दोनों देश उभर रहे हैं और वैश्विक राजनीति के लिए यह एक बहुत ही दिलचस्प समस्या है।''

जयशंकर ने कहा, ''समस्या यह है कि दोनों देश अपने उत्थान से वैश्विक व्यवस्था को बदल रहे हैं, इसलिए हर एक का दुनिया पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन ये दोनों देश पड़ोसी भी हैं। बाकी दुनिया की तुलना में चीजें बदल रही हैं लेकिन इसके साथ ही दोनों देशों का रिश्ता भी बदल रहा है।''

विदेश मंत्री ने तर्क दिया कि इसलिए यह स्थिति संतुलन बनाए रखने के लिहाज से बेहद जटिल हो रही है।

जयशंकर से जब विशेष रूप से 2018 में चीनी शहर वुहान और 2019 में ममल्लापुरम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये मुलाकात "संतुलन बनाए रखने के अभ्यास" का हिस्सा थीं।

उन्होंने कहा, ''हमने पहले कूटनीति के माध्यम से उस संतुलन को स्वाभाविक रूप से बनाए रखने की कोशिश की, तो आपने वुहान और मामल्लापुरम आदि में जो देखा वह संतुलन बनाए रखने की कवायद थी।''

विदेश मंत्री ने कहा, ''लेकिन चीन ने 2020 में जो किया वह यह था कि किसी भी कारण से उसने समझौतों की अवहेलना करते हुए सैन्य बलों को स्थानांतरित करने का विकल्प चुना। इस घटना ने संतुलन बनाए रखने के लिए एक अलग प्रतिक्रिया की मांग की।''

उन्होंने कहा, "हमारा इस पर तार्किक कदम यह था कि हमने अपने सैन्य कर्मियों को बहुत बड़े पैमाने पर भेजा। इसलिए 2020 से एक संतुलन बना हुआ है जिसका एक हिस्सा यह है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना तैनात है। आज एक हिस्सा स्पष्ट रूप से सीमा स्थिति के कारण प्रभावित हुआ राजनीतिक संबंध है।"

जयशंकर ने कहा, ''इसका एक हिस्सा हमारे द्वारा उठाए गए आर्थिक कदम भी हैं।''

विदेश मंत्री ने बताया कि 2014 तक चीन के साथ सीमा पर भारत का वार्षिक औसत खर्च लगभग 3,500 करोड़ रुपये था जो आज लगभग 15,000 करोड़ रुपये है।

भाषा
नई दिल्ली


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