बिहार की जनता को एनडीए में शामिल होने की असली वजह बताएंगे नीतीश कुमार ?

Last Updated 07 Feb 2024 05:34:08 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुँच चुके हैं। उनकी दिल्ली यात्रा को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रहीं हैं।


Modi, Nitish

नीतीश कुमार को अच्छी तरह पता है कि बिहार में बीजेपी के समर्थन में भले ही उनकी सरकार बन गई है, लेकिन अभी कुछ भी हो सकता है, क्योंकि आगामी 12  फ़रवरी को उनकी सरकार का फ्लोर टेस्ट होना बाकी है।  वगैर फ्लोर टेस्ट पास किए ही दिल्ली जाना और संदेह पैदा कर रहा है। इस लेख के जरिए हम यही बताने की कोशिश करेंगे कि नीतीश कुमार क्यों दिल्ली गए हैं? आगे बढें  उसके पहले आपको बता दें कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार पहली बार बैकफुट पर हैं, जबकि अपनी सत्ता गंवाने के बाद भी पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव फ्रंटफुट पर हैं। बिहार की जनता शायद जानना चाह रही है कि आखिर नीतीश कुमार ने राजद या महागठबंधन का साथ क्यों छोड़ा ? राजद के किसी बड़े नेता या खुद तेजस्वी यादव ने कोई ऐसा व्यवहार नहीं किया है ,जिसकी वजह से उन्हें तकलीफ हुई हो।

राजद मुखिया लालू यादव ने भी उन्हें लेकर कोई उटपटांग बयान नहीं दिया था, उसके बाद भी नीतीश कुमार क्यों नाराज हो गए। यह सभी सवाल इस समय नीतीश कुमार के कानों में गूंज रहे होंगे। उन्हें अच्छी तरह से पता है कि बिहार की जनता के मन में भी यही सवाल उठ रहे होंगे। नीतीश कुमार इन्हीं  सवालों का जवाब  ढूंढने दिल्ली पहुंचे हैं। नीतीश कुमार दिल्ली से जब बिहार वापस जाएंगे तो बिहार की जनता को बतायंगे कि वो इन वजहों से राजद का साथ छोड़कर एनडीए के साथ चले गए। निश्चित तौर पर वह प्रधानमंत्री मोदी से बिहार के लिए विशेष पैकेज या बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करेंगे, ताकि बिहार लौटकर जनता को यह बता सकें कि इन कारणों की वजह से वह एनडीए के साथ गए हैं।

नीतीश अपनी साफ़ सुथरी छवि को लेकर जाने जाते हैं। उन्हें लोग सुशासन बाबू भी कहते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी सुशासन बाबू वाली छवि दागदार हो गई है। लोग अब उन्हें पलटू जैसे उपनामों से जानने लगे हैं। नीतीश चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले वह पलटू वाली छवि को सुधार लें। बीजेपी की भी यही कोशिश होगी कि वह नीतीश को जिस मकसद से साथ लेकर आई है, वह मकसद पूरा हो जाए।  क्यों बीजेपी को भी पता है कि अगर उनकी छवि नहीं सुधरी तो लोकसभा चुनाव में वह 2019 वाले प्रदर्शन को शायद ना दोहरा पाए।

यानि इस समय नीतीश कुमार को जहां अपनी छवि सुधरने की चिंता सत्ता रही है तो वहीं बीजेपी इस कोशिश में होगी कि बिहार से लोकसभा की अधिक से अधिक सीटें जीतीं जाएं। ऐसे में संभावना यही बनती दिख रही है कि नीतीश कुमार की मांग शायद पीएम मोदी मान जाएं। यानि बिहार को विशेष पैकेज या फिर विशेष राज्य का दर्जा दोनों में से कोई एक दे दी जाए।  हालांकि केंद्र की सरकार को नीतीश की मांग को मानना इतना आसान भी नहीं है। अगर पीएम मोदी ने उनकी मांगे मान लीं तो कल को देश के अन्य कई राज्य भी अपने- अपने राज्य के लिए कुछ इसी तरह की मांगे मानने लगेंगे।  क्योंकि इन दोनों मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र की सरकार को भारी भरकम रकम देने पड़ेगी।

वैसे भी बीजेपी को पता है कि अभी फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ है, ऐसे में बिहार में अभी संभावनाओं के दरवाजे पूरी तरह से खुले हुए हैं। अभी वहां कुछ भी हो सकता है। राजद नेता तेजस्वी पहले ही कह चुके हैं कि अभी बिहार में खेला होना बाकि है। 'हम' के मुखिया जीतन राम मांझी अभी अपनी जिद्द का तम्बू तान कर बैठे हैं। बिहार की राजनैतिक बाल हवा में उछाल दी गई है, जो नीतीश  कुमार के सिर पर मंडरा रही है, बाकी पार्टी के नेता उस बाल को निहार रहे हैं। देखना यह है कि नीतीश कुमार उस बॉल को कैसे पकड़ते हैं, और बिहार की जनता को  एनडीए में पुनः शामिल होने की क्या वजह बताते हैं।

 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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