Aditya-L1 Sun Mission: चंद्रयान-3 के बाद भारत ने रचा एक और इतिहास, मंजिल पर पहुंचा आदित्य L-1, PM मोदी ने बताया शानदार उपलब्धि
सूर्य मिशन पर निकला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का आदित्य एल-1 ने अपनी मंजिल लैग्रेंज प्वाइंट-1 (L1) पर शाम 4 बजे अपने लक्ष्य पर पहुंच गया है।
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भारत ने स्पेस सेक्टर में आज एक और बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद आज भारत का पहला सोलर मिशन ‘आदित्य L1’ शाम 4 बजे अपने लक्ष्य पर पहुंच गया है।
यान को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (L-1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया गया है।
इसरो की इस सफलता पर पीएम मोदी ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने सोशल मीडिय प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि 'भारत ने एक और मील का पत्थर हासिल किया। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई। सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। यह असाधारण उपलब्धि सराहना योग्य है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।'
भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे: प्रधानमंत्री… pic.twitter.com/nggoMi2PKe
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 6, 2024
बता दें कि ‘लैग्रेंज प्वाइंट' वह क्षेत्र है जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण नि्क्रिरय हो जाएगा। ‘हेलो' कक्षा‚ एल 1 ‚ एल 1 या एल 1 ‘लैग्रेंज प्वाइंट' में से एक के पास एक आवधिक‚ त्रि-आयामी कक्षा है। ‘एल1 प्वाइंट' के चारों ओर ‘हेलो' कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है।
इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV–C57) ने 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसड़ीएससी) के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य–एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।
‘आदित्य एल1' को सूर्य परिमंड़ल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डि़जाइन किया गया है।
इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता‚ सूर्य के परिमंड़ल की गर्मी‚ सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन' (सीएमई)‚ सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।
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