इजरायल (Israel) पर हमास (Hamas) के ताजा हमले के बाद एक बार फिर इजरायल और फिलिस्तीन विवाद (Israel-Palestine Conflict) चर्चा के केंद्र में है।
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शनिवार, 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल के खिलाफ “ऑपरेशन अल-अक्सा स्टॉर्म" शुरू किया। गाजा पट्टी में चल रहे इस युद्ध में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,100 से अधिक हो गई है। बुधवार यानि आज पांचवें दिन भी जारी हिंसा के कारण और अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है।
बीते शनिवार को हमास के हमले के बाद इजरायल ने भी युद्ध की घोषणा की है। इजरायल ने हमास को नेस्तनाबूत करने की घोषणा की है, जबकि हमास ने दशकों पहले दुनिया के नक्शे से इजरायल का नामों-निशान मिटा देने की कसम खा रखी है।
संघर्ष में एक तरफ है, इजरायल की सेना और दूसरी तरफ है, आतंकी संगठन- हमास, जो फिलिस्तीन के पक्ष में हैं। इस संघर्ष को लेकर दुनिया के देश भी अलग-अलग गुटों में बंट गए हैं।
बता दें कि इजरायल की अपनी सरकार है। वर्तमान में बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) यहां के प्रधानमंत्री हैं। वहीं वेस्ट बैंक में 'फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी' के तहत फतह पार्टी की सरकार है और इस समय यहां के महमूद अब्बास अब्बास राष्ट्रपति हैं।
इजरायल एक यहूदी देश है, जबकि फिलिस्तीन मुस्लिम बहुल देश है। इस पर हमास शासन करता है। ये जंग इजरायल की स्थापना के पहले से ही जारी है। फिलिस्तीन और कई मुस्लिम देश इजरायल को यहूदी राज्य के रूप में मानने से इनकार करते हैं। जबकि इजरायल औऱ फिलिस्तीन दोनों दी देश येरूशलम को अपनी राजधानी मानते हैं। इन दोनों देशों के बीच सदियों से गाजा औऱ येरूशलम पर कब्जे की लड़ाई जारी है। भले ही दुश्मनी की तलवारें इस्लामिक उदय के साथ खिंच गई हों, लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब ओटोमन साम्राज्य खत्म हो रहा था।
इज़रायली और फ़िलिस्तीनी संघर्ष की शुरुआत पहले वर्ल्ड वॉर (1914–1918) के समय हुई थी। इस युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के साथ ही इस लड़ाई की जड़ ने जन्म लिया। दरअसल, फिलिस्तीन पर पहले ओटोमन साम्राज्य का शासन था। लेकिन पहले वर्ल्ड वॉर में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद फिलिस्तीन पर ब्रिटेन का कब्जा हो गया। तब तक इजरायल को कोई नामोंनिशान नहीं था। इजरायल से लेकर वेस्ट बैंक तक के इलाके को फिलस्तीनी क्षेत्र के तौर पर जाना जाता था। तब फिलिस्तीन में यहूदी अल्पसंख्यक और अरब बहुसंख्यक थे। यहूदियों ने स्वतंत्र देश की मांग की तो ज़ोरों की मांग ये भी उठी कि येरुशलम में यहूदियों के लिए एक ऐसी जगह मिले जिसे यहूदी सिर्फ अपना कह सकें। येरूशलम इजराइलियों और फ़िलिस्तीनियों का पवित्र शहर है। और यही मुद्दा येरूशलम इजरायल-अरब तनाव में सबसे विवादित भी रहा है। क्योंकि ये शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों में महत्व स्थान रखता है। पैगंबर इब्राहिम को अपने इतिहास से जोड़ने वाले ये तीनों ही धर्म येरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं।
कब हुआ इजरायल का जन्म?
वहीं ब्रिटिश विदेश सचिव आर्थर बाल्फोर ने 1917 में बाल्फोर घोषणा जारी की, जिसे बाल्फोर घोषणा (अरबी में "बालफोर का वादा") कहा जाता है। बाल्फ़ोर ने घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार फ़िलिस्तीन में एक यहूदी मदरलैंड के निर्माण का समर्थन करती है। इस घोषणा के बाद विवादों से घिर गई। कई फिलिस्तीनियों और अन्य अरबों ने घोषणा का विरोध किया और माना कि यह उनके लिए अनुचित और अन्यायपूर्ण था।
युद्ध के बाद के बाकी शासनादेशों के विपरीत, यहां ब्रिटिश शासनादेश का मुख्य लक्ष्य एक यहूदी "राष्ट्रीय घर" की स्थापना के लिए स्थितियां बनाना था- जहां उस समय यहूदियों की आबादी 10 प्रतिशत से भी कम थी।
जनादेश के शुरू होने पर, अंग्रेजों ने फिलिस्तीन में यूरोपीय यहूदियों के आप्रवासन को सुविधाजनक बनाना शुरू कर दिया। 1922 और 1935 के बीच, यहूदी आबादी नौ प्रतिशत से बढ़कर कुल आबादी का लगभग 27 प्रतिशत हो गई।एक तरफ जहां यहूदियों का मानना था कि ये उनके पूर्वजों का घर है। वहीं दूसरी ओर फिलस्तीनी अरब भी इस क्षेत्र पर अपना दावा करते थे।
फिलिस्तीन में जैसे-जैसे यहूदी बढ़ते गए कई फिलिस्तीनी विस्थापित होते गए और यहीं से दोनों के बीच हिंसा और संघर्ष की शुरुआत हुई। सन 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरबों के लिए दो अलग-अलग राष्ट्र में बांटने का प्रस्ताव पास किया। यहूदी नेतृत्व ने इस पर हामी भरी, लेकिन अरब पक्ष ने इसे अस्वीकार कर दिया।
दूसरे वर्ल्ड वार और नरसंहार के बाद, फिलिस्तीन में एक यहूदी राज्य की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 1948 में इज़राइल का निर्माण हुआ। और फिर यहीं से फिलिस्तीन-इजरायल विवाद की शुरुआत हुई।
इजरायल ने जैसे ही अपनी आजादी का ऐलान किया, इसके महज 24 घंटे के अंदर ही अरब देशों की संयुक्त सेनाओं ने उस पर हमला कर दिया। करीब एक साल तक चली इस लड़ाई में अरब देशों की सेनाओं की हार हुई। अंत में ब्रिटिश राज वाला ये पूरा हिस्सा तीन भागों में बंट गया. जिसे इजरायल, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी का नाम दिया गया। और फ़िलिस्तीन के नाम पर अब दो ही इलाक़ा बचे हैं. एक गाजा और दूसरा वेस्ट बैंक। वेस्ट बैंक अमूमन शांत रहता है, जबकि गाजा गरम। क्योंकि गाजा पर एक तरह से हमास का कंट्रोल है और मौजूदा जंग इसी गाजा और इज़राइल के बीच है।
सारे रॉकेट और बम गाजा पट्टी से इजराइल पर गिराए जा रहे हैं और इजराइल भी इसी गाजा पर बम बरसा रहा है। नतीजा ये है कि पिछले पांच दिनों में अब तक दोनों तरफ से हजारो की संख्या मेंजान जा चुकी है. वैसे तो इज़रायल और फिलिस्तीन सालों से एक दूसरे से टकराते रहे हैं। और इस टकराव में दोनों देशों के अब तक हज़ारों लोगों की जानें भी जा चुकी हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इज़ारयल बार-बार जिस फिलिस्तीन से लोहा लेता है, उस मुल्क यानी फिलिस्तीन के पास अपनी कोई सेना तक नहीं है?
हमास ने पिछले कुछ वर्षों में इज़राइल पर कई हमलों का दावा किया
हमास सैन्य शाखा वाला एक इस्लामी संगठन है, जो 1987 में वजूद में आया था। यह मुस्लिम ब्रदरहुड से निकला था, जो एक सुन्नी इस्लामवादी समूह है, जिसकी स्थापना 1920 के दशक के अंत में मिस्र में हुई थी। "हमास" शब्द "हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया" का संक्षिप्त रूप है, जिसका मतलब है - इस्लामी प्रतिरोध के लिए आंदोलन। अधिकांश फ़िलिस्तीनी गुटों और राजनीतिक दलों की तरह समूह इस बात पर ज़ोर देता है कि इज़राइल एक कब्ज़ा करने वाली शक्ति है और वह फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों को आज़ाद करने की कोशिश कर रहा है। यह इज़राइल को एक "अवैध राज्य" मानता है।
इज़राइल को मान्यता देने से इनकार करना एक कारण है कि उसने अतीत में शांति वार्ता को अस्वीकार कर दिया है।
इस बीच, हमास गाजा पट्टी को नियंत्रित करता है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जो लगभग 20 लाख फिलिस्तीनियों का घर है और आतंकवादियों और इजरायली बलों के बीच लड़ाई के दौरान अक्सर जनसंहार होते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हमास ने पिछले कुछ सालोम में इज़राइल पर कई हमलों का दावा किया है और उसे अमेरिका, यूरोपीय संघ और इज़राइल द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है। इज़राइल ने अपने कट्टर दुश्मन ईरान पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है।
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