सोमवार को भी नहीं सौंपी गई, अडानी ग्रुप और हिंडनबर्ग केस की रिपार्ट, सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगा 15 दिन का और वक्त
मार्केट रेगुलेटर सेबी अभी तक अडाणी-हिंडेनबर्ग मामले की जांच पूरी नहीं कर पायी है। सोमवार को एक बार फिर सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 15 दिन का और समय मांगा।
![]() Supreem Court and Adani |
यह दूसरी बार है जब सेबी ने शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। सोमवार यानी 14 अगस्त को रिपोर्ट सौंपनी थी। 29 अगस्त को होनी है सुनवाई। यहां बता दें कि 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और सेबी को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। सेबी को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सेबी की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी थी। हालांकि, बेंच ने 6 महीने का समय देने से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि वह "अनिश्चित विस्तार" नहीं दे सकती। हमने 2 महीने का समय दिया था और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है। यानी सेबी को कुल 5 महीने का समय मिल चुका है।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को करने वाला है। कोर्ट ने सेबी को अडाणी की कंपनियों के मिनिमम पब्लिक होल्डिंग्स (MPS) नियमों के कथित उल्लंघन की जांच पर एक रिपोर्ट 14 अगस्त को पेश करने के निर्देश दिए थे। 24 जनवरी को अमेरिकी बेस्ड संस्था हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी देखने को मिली थी। इस मामले में चार याचिकाएँ दाखिल हुईं थीं।
एक याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी। विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं। जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।
कोर्ट ने 2 मार्च को 6 सदस्यीय कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था। सेबी को जिन पहलुओं पर जांच करने किलये कहा गया था। वह इस प्रकार हैं। क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ? क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ? कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए। इसने अडाणी ग्रुप को कानूनों से बचने में मदद की।
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया है। कोर्ट ने इससे पहले 2 मार्च को सेबी को जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। यानी उसे 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। हालांकि, सेबी ने कहा था कि अडाणी ग्रुप के ट्रांजैक्शन काफी कॉम्प्लेक्स है, इसलिए जांच के लिए उसे कम से कम 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिए।
| Tweet![]() |