दरभंगा AIIMS मामला, किस विभीषण ने PM Modi को दी गलत जानकारी ?

Last Updated 14 Aug 2023 11:28:52 AM IST

बीते शनिवार को एक भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में बने हुए कुछ नए एम्स की जानकारी दे रहे थे। अपने भाषण के दौरान देश के कई राज्यों में बनाये गए एम्स की जानकारी देते-देते उनके मुंह से दरभंगा का भी नाम निकला गया। यानी मोदी के मुताबकि दरभंगा में भी एम्स चल रहा है।


दरभंगा AIIMS मामले में PM Modi से हो गई बड़ी चूक !

जबकि वहां एम्स बनना तो दूर अभी तक वहां जमीन भी चिन्हित नहीं की गई है। मोदी के उस भाषण के बाद राजद के नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पीएम की बात को पकड़ लिया और उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया। आलम यह है कि  इस समय बिहार के दरभंगा में आल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज यानि एम्स बनाने की बात को लेकर पूरे बिहार की राजनीति गरमाई हुई है। बीजेपी के नेता बिहार की वर्तमान सरकार पर आरोप लगा रहे हैं।  उनके मुताबिक़ नीतीश चाहते नहीं कि बिहार में एम्स बने, जबकि सरकार में शामिल राजद नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का कहना है कि केंद्र की सरकार दरभंगा में एम्स को लेकर राजनीति कर रही है। जदयू ,राजद और भाजपा के नेताओं के बीच आपसी विवाद क्यों हुआ, दरभंगा को लेकर आखिर अभी ही क्यों बवाल मचा हैं। बिहार की राजनीति में इस समय जो कुछ भी हो रहा है, उसके पीछे कोई गहरी साजिश की महक आ रही है। देश में पीएम ने कहां-कहां और कितने भवनों , कितनी सड़कों और कितनी योजनाओं का शिलान्यास या उदघाटन किया है, उन सबकी जानकारी शायद ही उनके पास होगी ,वही क्या उनकी जगह कोई भी व्यक्ति होता तो उसके पास भी उन सबकी जानकारी नहीं होती। ऐसे में पीएम मोदी ने अगर दरभंगा में एम्स होने की बात कर दी तो यह निश्चित ही उनकी गलती है, जो मोदी के सलाहकार हैं। भाजपा के उन नेताओं की गलती है, जो मोदी को फीडबैक देते हैं। पीएम मोदी वैसे भी शार्प माइंडेड हैं ,बहुत तरीके और सलीके से कोई जानकारी देते हैं। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर उनसे इस तरह की गलती कैसे और क्यों हो गई? एक संदेह यह पैदा होता है कि कहीं उनके बीच कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं है, जो उनकी छवि खराब करना चाहता है।


फिलहाल बिहार के जिस दरभंगा एम्स की बात हो रही है, उसके निर्माण की स्वीकृति केंद्र ने 15 दिसम्बर 2020 में दे दी थी। 750 बेड वाले एम्स के लिए 1267 करोड़ रूपए  प्रस्तावित किए गए थे। उस समय नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हुआ करते थे। सरकार में उनके साथ भाजपा शामिल थी। हालांकि 2015 में ही तत्कालीन स्वस्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने बिहार में एम्स का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन बिहार की सरकार ने उसमें शयद रूचि नहीं दिखाई थी। क्यों कि बिहार की सत्ता से भाजपा बाहर हो गई थी। उस समय बिहार में जदयू और राजद की सरकार बन गई थी। ऐसा कहना है कि बिहार सरकार ने सूटेबल जमीन की व्यवस्था नहीं किया था, इसलिए एम्स के निर्माण में देरी हो रही है। दरभंगा एम्स वाला मामला नीतीश कुमार की समाधान यात्रा के दौरान  ज्यादा गरमा गया था। उनकी वह यात्रा इसी वर्ष कुछ माह पहले हुई थी। अपने उस यात्रा के दौरान उन्होंने कह दिया था कि डीएमसीएच कैम्पस की बजाय एक दूसरी जमीन एम्स के लिए चयनित की जा रही है , जो शायद ज्यादा सूटेबल है। उसके बाद बिहार सरकार ने दरभंगा के शोभन में बाईपास पर एम्स के निर्माण के लिए जमीन का चयन किया। उसका प्रस्ताव  केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इंस्पेक्शन टीम ने उस जमीन का फिजिकल वेरिफिकेशन किया था। अपनी रिपोर्ट में टेक्निकल टीम ने बिहार सरकार के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद दरभंगा में एम्स का निर्माण अधर में लटक गया। इसको लेकर भाजपा ने यह आरोप लगाया था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जानबूझकर डीएमसीएच के बदले शोभन बाईपास पर जमीन दिलाने की बात की थी, ताकि एम्स का क्रेडिट पीएम मोदी को ना मिले। आरोप यह भी लगाया था कि एम्स के लिए बिहार कैबिनेट ने स्वीकृति भी दे दी थी। बिहार सरकार ने 81 एकड़ जमीन केंद्र सरकार को हैंडओवर भी कर दिया था। जिसमें 13  करोड़ की लागत से जमीन पर भराई और लेबलिंग का कार्य शुरू भी हो चुका था।


बहरहाल दरभंगा में एम्स का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इस बात की जानकारी सबको है। बिहार सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी अच्छी तरह पता है, फिर भी किसी ने पीएम मोदी को उसकी जानकारी क्यों नहीं दी? 2015 से चल रहे इस मामले में बेशक राजनीति हुई है। उसकी सबसे बड़ी वजह एक यह भी हो सकती है कि पिछले 8 वर्षों में नीतीश  कुमार कभी भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री रहे तो कभी राजद और अन्य दलों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री का कार्य भार संभाला। ऐसे में सबके अपने-अपने राजनैतिक स्वार्थ हो सकते हैं। उन स्वार्थों के चलते बिहार आज भी उस एम्स के निर्माण की बाट जोह रहा है, लेकिन मसला अब दरभंगा में एम्स का नहीं है। मसला है पीएम की छवि का। पीएम की साफ़ सुथरी छवि को खराब करने की कोशिश किसने और क्यों की? क्योंकि अगर पीएम मोदी ने अपने भाषण में दरभंगा एम्स का जिक्र किया है तो यह बात स्पष्ट है कि उन्हें किसी ने उन एम्स की सूचि जरूर दी होगी जो उनकी सरकार ने बनवाए हैं। अगर उस सूचि में दरभंगा एम्स का जिक्र था, तो यह कोई मामूली बात नहीं है। मोदी अपने मन से कोई भी गलत जानकारी दे ही नहीं सकते। जिस भाषण को देश के यशश्वी प्रधानमंत्री पढ़ने या करने जा रहे हैं, उसमें गलत तथ्यों की जानकारी क्यों दी गईं? यह ठीक है कि इस समय नीतीश कुमार उनके साथ नहीं हैं, लेकिन उनके कहने से तो पीएम के भाषण में दरभंगा एम्स को नहीं जोड़ा गया होगा। पीएम मोदी के भाषण के बाद जिस तरीके से बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है, वह साधरण बात नहीं है। ऐसे में सवाल एक बार फिर पैदा होता है कि मोदी की टीम, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय या भाजपा में ऐसा कौन सा विभीषण पैदा हो गया है, जो मोदी की प्रतिष्ठा से खिलवाड़ कर रहा है। मोदी के भाषण के बाद भले ही आज भाजपा के बड़े-बड़े नेता उनके बचाव में खड़े हो गए हों, लेकिन अब क्या फायदा। पीएम मोदी से अनजाने में ही सही एक बड़ी चूक तो हो ही गई है। संभव है कि सरकार और पार्टी के अंदर भी इस पर चर्चा हो रही हो। शायद इस बात का पता लगाया भी जा रहा हो कि किसकी वजह से ऐसी गलती हुई है, लेकिन एक बात शायद सत्य मालूम पड़ रही है कि कोई न कोई ऐसा है जो मोदी की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहा है।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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