Mayawati और Akhilesh Yadav फिर होंगे साथ-साथ, मायावती के ट्वीट ने कर दिया इशारा !

Last Updated 09 Aug 2023 04:56:05 PM IST

राजनैतिक पार्टियों के देश में दो गठबंधन बन गए हैं। भाजपा नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन तो पुराना है, लेकिन इसमें इस बार कुछ और दल शामिल हो गए हैं।


Akhilesh Yadav , Mayawati

जबकि विपक्षी पार्टियों का गठबंधन इण्डिया(I.N.D.I.A) भी मूर्त रूप लेने लगा है। हर राज्य के लगभग छोटे या बड़े दल इन दोनों गठबंधनों में से किसी न किसी में शामिल हो चुके हैं। खास करके हिंदी भाषी राज्यों के लगभग सभी दल अपना-अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश की एक बड़ी पार्टी बसपा ने, अभी तक किसी भी गठबंधन में शामिल होने की घोषणा नहीं की है। ऐसे में बसपा सुप्रीमों मायावती के रुख को लेकर अकसर चर्चा होती रही है कि उनकी पार्टी किस खेमे में शामिल होगी। कुछ मिडिया कर्मियों ने भी उनकी पार्टी के नेताओं से उनके रुख को जानने की कोशिश की, फिर भी पार्टी के रुख का पता नहीं चल पाया। ऐसे में बुधवार को मायावती द्वारा किया गया एक ट्वीट चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने ट्वीट के जरिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जातिगत जनगणना कराने वाली पहल की तारीफ़ की है। साथ ही साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में जातिगत आधारित जनगणना कराने की मांग कर दी है। उनके इस ट्वीट के बाद राजनैतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि शायद मायावती ने इण्डिया गठबंधन के साथ जाने का मन बना लिया है। उनके ट्वीट के जो भी मतलब निकाले जाएं, संभव है कि वो इण्डिया के साथ जाने का मन भी बना लें। लेकिन अगर वो ऐसा करती हैं तो उत्तर प्रदेश में उनके और अखिलेश यादव के सामने कई तरह की व्यावहारिक दिक्क़तें आएंगी।


फिलहाल अब तक खुलकर कुछ ना बोलने वाली मायावती ने बिहार की जातिगत जनगणना की तारीफ कर, उन्होंने इशारों-इशारों में यह बता दिया है कि उनकी आगे की रणनीति क्या है। मायावती ने जो ट्वीट किया है उसका मजमून कुछ इस प्रकार है। उन्होंने लगातार तीन ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में बिहार में चल रही जातिगत जनगणना पर लगी रोक हटने की तारीफ करते हुए कहा है कि अब उत्तर प्रदेश में भी जातिगत जनगणना की मांग जोर पकड़ रही है। दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि  भाजपा जातिगत जनगणना कराने के लिए तैयार नहीं हो रही है। तीसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि देश में जातीय जनगणना का मुद्दा ,मंडल आयोग की सिफारिस को लागू करने की तरह राजनीति का नहीं बल्कि सामाजिक न्याय से जुड़ा महत्वपूर्ण मामला है। समाज के गरीब ,कमजोर ,उपेक्षित, और शोषित लोगों को देश के विकास में उचित भागीदार बनाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए ऐसी जनगणना जरुरी है।


मायावती के इस ट्वीट ने बहुत कुछ इशारा कर दिया है। भाजपा भी शायद उनके ट्वीट को पढ़ कर सोचने पर मजबूर हो रही होगी। क्योंकि बसपा सुप्रीमों मायावती की पार्टी, चुनावों में भले ही पहले जैसा प्रदर्शन ना कर पा रही हो लेकिन सबको पता है कि मायावती आज भी दलित समुदाय के लिए देश की सबसे नेता हैं। उनके ट्वीट को दलित समाज के लोगों ने भी पढ़ा होगा।
मायावती की मांग पर भाजपा क्या सोचती है, क्या करती है, यह तो बाद की बात है, लेकिन अभी मामला 2024  लोकसभा चुनाव का है। सभी पार्टियों की नजरें इस समय आगामी लोकसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं। ऐसे में मायावती का रुख बहुत मायने रखता है, लेकिन मायावती अगर इण्डिया गठबंधन के साथ आ भी गई तो उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा कैसे होगा। यह सबसे बड़ा सवाल होगा। क्योंकि बसपा और सपा के बीच इस समय तलवारें खींची हुई हैं। दोनों पार्टियां भले ही 2019 के लोकसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ीं थीं, लेकिन बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए थे, सबको पता है कि राजनीति में कोई भी किसी के लिए अछूता नहीं होता है। शायद सभी पार्टियां अपने-अपने मतलब और अपने-अपने फायदे की बात सोचती हैं। संभव है कि मायावती और अखिलेश यादव कुछ फायदा देखकर एक बार फिर से साथ आने का मन बना लें।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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