विपक्षी सांसदों का मणिपुर दौरा, स्वतन्त्रता दिवस की खुशियों में शामिल हो पाएंगे मणिपुर के लोग ?
विपक्ष के 21 सांसद शनिवार को मणिपुर पहुँच गए। मणिपुर रवाना होने से पहले उनमें से कई सांसदों ने वहां जाने का उद्देश्य बताया।
![]() Opposition 21 MPs tour on Manipur |
बकौल विपक्षी सांसद वो मणिपुर के लोगों की बातें सुनेगें। उनकी पीड़ा को समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही साथ यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि ऐसी कौन सी वजह है जिसके चलते लगभग तीन महीने से देश का एक सुन्दर सा राज्य हिंसा की आग में जल रहा है। हालांकि विपक्षी सांसदों के इस दौरे को सत्ताधारी पार्टी ने नाटक करार दिया है। फिलहाल विपक्षी सांसद वहां जाकर क्या करेंगे ,वहां फैली हिंसा को रोकने में अपनी भूमिका किस तरह से निभाएंगे ,इस पर सबकी नजरें बनी रहेंगी। सेवन सिस्टर्स राज्यों की श्रृंखला का एक राज्य मणिपुर में आज भाजपा की सरकार है। ऐसे में वहां की सरकार को विपक्षी सांसदों का वहां जाना नागवार लग रहा होगा।
मणिपुर की समस्या को लेकर बहुत कुछ कहा जा चूका है ,बहुत कुछ लिखा जा चूका है। बावजूद इसके वहां की समस्या नहीं सुलझ पा रही है। केंद्र में मोदी जैसा सशक्त प्रधानमंत्री ,अमित शाह जैसा दिलेर गृह मंत्री होने के बाद भी आखिर वहां अब तक शांति बहाली क्यों नहीं हो पायी है। माना कि वहां के दो समुदाय मैतेयी और कुकी आपस में लड़ रहे हैं। कथित तौर पर कोई अपना हक बचाने की लड़ाई लड़ रहा है तो अपना हक पाने की बात करते हुए हिंसा पर उतारू है। देश के कई राज्यों में इस तरह की समस्याएं आयीं हैं।
कई राज्यों में इस तरह के जातीय और सामुदायिक झगडे हुए हैं। लेकिन वहां की सरकारों ने या केंद्र की तात्कालीन सरकारों से मिलकर या फिर प्रभावित राज्यों के लोगों से बात करके मामले को शांत किया है। लेकिन देश का छोटा ही सही लेकिन एक प्यारा सा राज्य पिछले तीन महीने से जल रहा है। पिछले तीन महीनों के भीतर सैकड़ों बेगुनाह लोगों की जानें जा चुकीं हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। वहां के हजारों लोग आज रात में सोने से पहले यह सोचने पर मजबूर हो रहें है कि कल की सुबह उन्हें नसीब होगी की भी नहीं। छोटे-छोटे बच्चों को यह तक नहीं पता है कि उनका गुनाह क्या है। सैकड़ों बच्चे वहां भूख से बिलबिला रहे हैं। उनकी देखभाल करने वाली माताएं इस बात से चिंतित हैं कि पहले उन्हें दूध पिलाने की व्यवस्था करें या पहले उनकी जान बचाएं।
कुल मिलाकर वहां का व्यक्ति, मैतेयी समुदाय का हो या फिर कुकी समुदाय का, चिंताएं दोनों तरफ एक जैसी ही हैं। हमारा देश इस समय चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक प्रक्षेपण की खुशियां मना रहा है। देश भर में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। कुछ दिनों बाद एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला के प्राचीर से देश भर के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देंगे। अपने भाषण के दौरान देश के करोड़ों लोगों नई-नई योजनाओं की जानकारी देंगे। जरा सोचिए, तब तक मणिपुर में शांति का माहौल नहीं बन पाता है तो वहां के लोगों के दिल पर क्या गुजरेगी।
वहां के लोग क्या स्वतंत्रता दिवस की खुशियां मना पाएंगे। अभी संसद का मानसून सत्र चल रहा है। विपक्ष प्रधानमन्त्री से बस इतना चाह रहा है कि वो संसद में मणिपुर पर अपना वक्तव्य दें। लेकिन पता नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी बयान देने से क्यों बचना चाहते हैं। उनके ब्यान ना देने की वजह से संसद में कोई ख़ास कार्य भी नहीं हो पा रहा है। बहरहाल विपक्षी पार्टी के सांसद मणिपुर गए हैं। बहुत से लोग उनके दौरे को नाटक बता रहे हैं। सत्ताधारी पार्टी उन पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है। राजनेता किसी भी पार्टी के क्यों ना हों, उन्हें राजनीति तो करनी ही है।
मणिपुर का दौरा भी राजनीति से प्रेरित हो सकता है। लेकिन कम से कम विपक्षी पार्टी के सांसद वहां गए तो हैं। निश्चित तौर पर वो वहां सैर सपाटा करने नहीं गए हैं। जो सांसद वहां गए हैं, उनको यह भी पता है कि वहां के हालात अच्छे नहीं हैं। वहां कभी भी किसी के साथ भी कुछ भी हो सकता है। ऐसे में देश के मुखिया से एक ही सवाल बनता है कि क्या मणिपुर के लोग इस बार खुले दिल से स्वंतंत्रता दिवस मना पाएंगे। अगर वहां का माहौल 15 अगस्त से पहले भी शांत नहीं हो पाता तो देश के लोग उनकी पीड़ा में उनके साथ खड़े होंगे। अब रही बात विपक्षी पार्टी के सांसदों की। उनसे अपेक्षा यही की जा सकती है कि जब वो वहां से लौटकर आएं तो संसद में कुछ ऐसा सुझाव दें, ताकि सरकार कुछ ऐसा रास्ता निकाल सके, जिसके बाद मणिपुर में शांति व्यवस्था बहाल हो सके।
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