ऐसे तो बहुत दिनों तक NDA में नहीं रह पाएंगे Omprakash Rajbhar

Last Updated 19 Jul 2023 04:22:07 PM IST

मंगलवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानि एनडीए की बैठक में कुल 38 पार्टियों के शामिल होने की सुचना दी गई। वो अलग बात है कि इनमें से कुछ ऐसी भी पार्टियां होंगी जिनका नाम देश के बहुत कम लोगों ने सूना होगा।


Omprakash Rajbhar ( File Photo)

 इस बैठक में उत्तर प्रदेश की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकश राजभर भी शामिल हुए थे। उन्हें एक तेज तर्रार नेता माना जाता है। वो अपनी बेबाक टिप्पणी की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। बैठक से लौटने के बाद उन्होंने मिडिया से कुछ ऐसी बातें कीं, जिसे सुनकर शायद बीजेपी के नेताओं को बूरा भी लगा होगा। हालांकि मंगलवार को ही एक तरफ विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक हुई। जिसमें कुल 26 पार्टियों के शामिल होने की बात की गई। जबकि एनडीए की बैठक में 38  पार्टियों के शामिल होने के दावे किये गए। यह तय है कि  दोनों गठबंधनों में शामिल कुछ पार्टियां लोकसभा चुनाव करीब आते-आते अपना पाला बदल लें। दोनों गठबंधनों में शामिल कौन-कौन से दल इधर-उधर होंगे,अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के चुनाव की तिथि घोषित होने तक इधर-उधर जाने की पूरी संभावना बनी रहेगी।

ओमप्रकाश राजभर एनडीए में शामिल नहीं हुए हैं बल्कि उनकी घर वापसी हुई है। 2017 में वो एनडीए के ही हिस्सा हुआ करते थे। उन्हें 2017 की  योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से यह कहकर स्तीफा दे दिया था कि उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश की  अति पिछड़ी जातियों के लिए जिस आरक्षण की बातें की थीं, उन्हें सरकार कोई तवज्जों नहीं दे रही थी। 2022 में उन्होंने समजवादी पार्टी के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव लड़ा था। कुछ दिनों तक वो सपा मुखिया अखिलेश यादव का गुणगान करते रहे, जबकि बीजेपी को लेकर हमेशा कुछ न कुछ विवादित बयान दिया करते रहते थे।

कुछ माह बाद अचानक उनका अखिलेश यादव और सपा से मोहभंग हो गया। अगर कुछ माह पहले के उनके बयानों पर नजर दौड़ाएं तो ऐसा प्रतीत होगा कि  वो विपक्षी पार्टियों के संग जाने का मन बना रहे हों। राजनैतिक गलियारों में भी उनको लेकर काफी चर्चाएं होती थीं, लेकिन उन्होंने सभी चर्चाओं पर विराम लगाते  हुए एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी। हालांकि उनका एनडीए में शामिल होने की चर्चा उस समय ज्यादा  होने लगी थी, जिस समय उनके छोटे बेटे की शादी थी। उनके बेटे की शादी में भाजपा के कई मंत्री शामिल हुए थे। प्रधानमन्त्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने खुद उनके बेटे की शादी की शुभकामनाएं प्रेषित की थीं।

 खैर वो बातें अब पुरानी हो गई हैं। नया मामला उनके एक ब्यान को लेकर आया है। एनडीए की बैठक के बाद जब उनसे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के बारे में पूछ गया तो वो बिलबिला गए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया कि अब्बास उनकी पार्टी के विधायक हैं। हालांकि मुख्तार अंसारी के बेटे इस समय जेल में बंद हैं। उनके ऊपर लगे आरोपों के बारे में पूछने पर भी ओमप्रकाश  राजभर ने कड़ी आपत्ति जताई, जबकि मिडिया शायद यह उम्मीद कर रही होगी कि शायद ओमप्रकश राजभर यह कह दें कि अब्बास सपा के विधायक हैं क्योंकि वो सपा के टिकट पर चुनाव लाडे थे,जबकि बैनर था सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का। लेकिन ओमप्रकाश ने यहां बड़ी चतुराई से जवाब दे दिया।

 उन्हें पता है कि उन्हें और उनकी पार्टी को मुस्लिम वोटरों को नाराज नहीं करना है। उन्हें उम्मीद है कि कई आगामी लोकसभा चुनाव में अब्बास अंसारी की वजह से उनकी पार्टी को मुस्लिम लोगों का भी समर्थन मिल जाएगा। जिस मुख्तार अंसारी, उनके भाई अफजल अंसारी और मुख़्तार के बेटे को जेल हो गई है, उनके समर्थन में ओमप्रकाश का खड़े रहना शायद भाजपा को अच्छा नहीं लगेगा। अंसारी परिवार के प्रति उनका लगाव महंगा साबित हो सकता है। लेकिन वो जिस उम्मीद में अंसारी परिवार का समर्थन कर रहे हैं, उनकी वो उम्मीदें शायद तभी पूरी होंगी जब वो भाजपा का साथ छोड़ें, अकेले चुनाव में जाएं या फिर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन में शामिल हों। खैर अंसारी परिवार को लेकर वो भले ही अपना स्टैंड क्लियर कर चुके हों लेकिन  भाजपा शायद उनके अंसारी परिवार के प्रति प्रेम को आसानी से पचा नहीं पाएगी।

दूसरी तरफ उन्होंने जातिगत आधारित जनगणना की वकालत करके नीतीश कुमार की मुहीम पर मुहर लगा दी है। उन्होंने कह दिया है कि जातिगत जनगणना करवा कर नीतीश ने अच्छा काम किया है। यानि एक तरह से उन्होंने नीतीश कुमार की तारीफ़ कर दी। शायद उनकी यह तारीफ़ भी भाजपा के नेताओं को अच्छी नहीं लग रही होगी। ओमप्रकाश राजभर यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने भी हर दस साल पर जातिगत जनगणना  करवाने की बात कही थी।

 ओमप्रकाश राजभर को अच्छी तरह से पता है कि केंद्र की सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। यहां  तक कि बिहार में हुई जातिगत जनगणना को भी अधर में लटकाने के आरोप नीतीश कुमार ने भाजपा पर ही लगाए थे। इन सबको जानते हुए आज ओमप्रकाश राजभर जातिगत जनगणना की मांग को सही ठहरा रहे हैं। ओमप्रकाश राजभर की इन दोनों बातों को सुनकर भाजपा के नेता कुछ कुछ चिंतित जरूर हो रहे होंगे। राजभर चुनाव शुरू होने तक अपनी इसी शैली में बात करते रहेंगे। वो इन दोनों मामलों को लेकर अपनी राय व्यक्त करते रहेंगे। ऐसे में पूरी संभावना है कि कहीं भाजपा इनको गठबंधन से किनारा करने पर विचार न करने लगे।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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