यमन में भारतीय नर्स को फांसी से बचाने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही : केंद्र

Last Updated 14 Jul 2025 06:54:22 PM IST

केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि यमन में हत्या के जुर्म में फांसी की सजा का सामना कर रही एक भारतीय नर्स से जुड़े मामले में भारत सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन यमन की स्थिति को देखते हुए ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।


अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ से कहा, ‘‘एक सीमा तक ही भारत सरकार प्रयास कर सकती है और हम उस सीमा तक पहुंच चुके हैं।’’

शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि सरकार अपने नागरिकों को बचाना चाहती है और इस मामले में हरसंभव प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘यमन की संवेदनशीलता और स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार ज्यादा कुछ नहीं कर सकती।’’

उन्होंने यमन में हूतियों का जिक्र करते हुए कहा कि इसे कूटनीतिक रूप से मान्यता भी नहीं मिली है।

वेंकटरमणी ने कहा कि सरकार ने हाल में संबंधित क्षेत्र के लोक अभियोजक को पत्र लिखकर पता लगाने को कहा था कि क्या फांसी को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।

वेंकटरमणी ने कहा, ‘‘भारत सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है और उसने कुछ शेखों से भी संपर्क किया है, जो वहां बहुत प्रभावशाली लोग हैं।’’

शीर्ष अदालत यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही 38-वर्षीय भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

केरल के पलक्कड़ जिले की नर्स प्रिया को 2017 में अपने यमनी कारोबारी साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और उसकी अंतिम अपील 2023 में खारिज कर दी गई।

वह वर्तमान में यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद है।

प्रिया की सहायता के लिए कानूनी मदद प्रदान करने वाले याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया- इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ की ओर से सोमवार को पेश हुए वकील ने कहा कि यह ‘‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति’’ है।

उन्होंने देश के शरिया कानून का हवाला देते हुए कहा, ‘‘यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद के स्तर तक मौत की सजा की पुष्टि कर दी गयी है।’’

उन्होंने कहा कि प्रिया की मां एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ यमन में मृतक के परिवार से ‘ब्लड मनी’ के लिए बातचीत कर रही हैं।

वकील ने कहा, ‘‘आज मौत की सजा से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि मृतक का परिवार ‘ब्लड मनी’ स्वीकार करने के लिए राजी हो जाए।’’

उन्होंने कहा कि वे सरकार से धन की मांग नहीं कर रहे हैं और स्वयं धन का प्रबंध करेंगे।

वेंकटरमणी ने कहा, ‘‘ब्लड मनी एक निजी समझौता है। वे (याचिकाकर्ता) कह रहे हैं कि वे ब्लड मनी का प्रबंध कर सकते हैं। एकमात्र प्रश्न बातचीत की कड़ी का है।’’

वेंकटरमणी ने कहा कि यमन दुनिया के किसी भी अन्य हिस्से जैसा नहीं है, जहां सरकार कूटनीतिक प्रक्रिया या अंतर-सरकारी बातचीत के माध्यम से कुछ मांग सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत जटिल है और हम बहुत ज्यादा सार्वजनिक होकर स्थिति को जटिल नहीं बनाना चाहते।’’

वेंकटरमणी ने यह भी कहा, ‘‘और शायद हमें किसी तरह का अनौपचारिक संदेश मिला है, जिसमें कहा गया है कि शायद फांसी की सजा स्थगित कर दी गई है। हमें नहीं पता कि इस पर कितना विश्वास किया जाए।’’

उन्होंने कहा कि यमन में वास्तव में क्या हो रहा है, सरकार के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘चिंता का असली कारण यह है कि घटना किस तरह हुई और इसके बावजूद, अगर उसकी जान चली जाती है, तो यह वाकई दुखद है।’’

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई के लिए स्थगित कर दी और पक्षकारों से अदालत को स्थिति से अवगत कराने को कहा।

भाषा
नई दिल्ली


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